संपादक पीयूष वालिया
सह संपादक अमित मंगोलिया
तीर्थ नगरी हरिद्वार में गणेश उत्सव की चारों तरफ बड़ी धूमधाम से तैयारियां के चलते मां गंगा को दूषित करने की तैयारियां भी की जा रही है। गंगा नगरी में रहने वाले लोगों को माँ गंगा की जरा सी भी चिंता नहीं है जो त्यौहार यहां का ना होते हुए भी लोग बड़ी धूमधाम से इस त्यौहार मना कर गंगा को दूषित कर रहे हैं लाखों निर्दोष जीवो की हत्या पाप कर रहे हैं। यह त्यौहार 15 वर्ष पूर्व हरिद्वार में कोई नहीं जानता था लेकिन टीवी के माध्यम से इस महाराष्ट्र के गणेश उत्सव त्यौहार को हरिद्वार में बड़ी धूमधाम से लाखों लोग मनाने लगे हैं। लेकिन जिस माँ गंगा से इनके परिवार चल रहे हैं व्यापार चल रहा है बच्चों का पालन पोषण हो रहा है उसी माँ गंगा को खूनी बना रहे हैं लाखों जीवो की हत्या के पापी बना रहे हैं। जबकि मां गंगा तो मां है सभी का पालन पोषण करती हैं पापों से मुक्ति दिलाती हैं लेकिन यहां के लोग माँ गंगा को इस तरह से दूषित कर माँ गंगा का अस्तित्व खत्म करने पर तुले हैं। अगर इस त्योहार को मनाने वाले लोगों को कहा जाए कि मां गंगा के लिए एक अलग से त्योहार मनाए तो शायद कोई भी तैयार नहीं होगा जबकि मां गंगा से इनका व्यापार चल रहा है पालन पोषण हो रहा है फिर भी कोई तैयार नहीं होगा लेकिन जहां मां गंगा को दूषित करने वाला त्यौहार नजदीक है तो उसके खूब तैयारियां की जा रही हैं बड़ी-बड़ी मूर्तियां जिनकी कीमत हजारों से लेकर लाखों रुपए तक की है जो पेरिस प्लास्टर जैसे केमिकल से बनी है खतरनाक रंगों का उन मूर्तियों में उपयोग हो रहा है उसके बावजूद भी इन खतरनाक मूर्तियों को खरीद कर मां गंगा में विसर्जित करते हैं जिससे माँ गंगा प्रदूषित होती हैं और गंगा को शुद्ध करने वाले लाखों निर्दोष जीवों की हत्या हो रही है। लेकिन माँ गंगा की किसे चिंता बस उन्हें तो एक दूसरे को देख कर दौड़ में शामिल होना है कि कौन कितनी माँ गंगा को प्रदूषित कर सकता है अगर यही हाल रहा तो 1 दिन यहां के लोग मां गंगा को खो देंगे जब देखा जाएगा की कैसे परिवार का पालन पोषण करेंगे और कैसे अपने पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जन करेंगे।