देहरादून। ऋषिगंगा में आई आपदा में लापता 205 लोगों में से 72 लोगों के शव मिल चुके हैं, जबकि 133 अभी भी लापता हैं। रेस्क्यू अभियान जारी है, लेकिन टनल में लगातार पानी का रिसाव होने के कारण यहां मलबा हटाने का काम प्रभावित हो रहा है।
अब तक मिले शवों में से 41 की शिनाख्त हो चुकी है। वहीं एनडीआरएफ और एसडीआरएफ लगातार नदी किनारे और बैराज साइट पर लापता लोगों की तलाश कर रही है। शुक्रवार को टनल से मलबा हटाकर एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) प्वाइंट तक पहुंचा गया था, लेकिन काफी अधिक मात्रा में पानी का रिसाव होने के कारण आगे नहीं बढ़ा जा सका। पानी निकालने के लिए चार पंप लगाए गए हैं लेकिन टनल के अंदर से पानी कम ही नहीं हो रहा है।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया का कहना है कि अब तक 38 लोगों को मुआवजा वितरित किया जा चुका है। 12 घायलों और एक परिवार को गृह अनुदान के तहत मुआवजा दिया गया है। प्रभावित क्षेत्र में शिविर लगाकर अब तक 2288 लोगों का परीक्षण किया जा चुका है। राहत शिविर में अब तक 11247 लोगों को भोजन कराया गया है। वहीं मलारी हाईवे पर रैणी में बीआरओ बैली ब्रिज बनाने में जुटा ह। बैली ब्रिज के दोनों तरफ के एबेटमेंट तैयार कर लिए गए हैं। जल्द पुल बनकर तैयार हो जाएगा।
आपदा से प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों के मन से आपदा का भय नहीं निकल पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि आपदा के कारण समस्याएं कम ही नहीं हो रही हैं। जुगजू गांव का झूला पुल टूटने से ग्रामीणों को चट्टानी रास्ते से आवाजाही करनी पड़ रही है। जुगजु गांव के मुरली सिंह रावत ने बताया कि नीती माणा घाटी समिति के प्रतिनिधियों ने सभी प्रभावित गांवों का भ्रमण किया है। क्षेत्र के लोग अभी भी आपदा का खौफ हैं।
आपदा में मृत तपोवन विष्णगाड़ जल विद्युत परियोजना के 25 श्रमिकों का मुआवजा एनटीपीसी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जिला कोर्ट में जमा कर दिया हैं। कामगार क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923 के तहत यह मुआवजा दिया जा रहा है। यह मुआवजा पीड़ित परिवार को मिलने वाले 20 लाख के मुआवजे से अतिरिक्त है। बता दें कि ऋषिगंगा आपदा में एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना के 139 श्रमिक लापता हो गए थे।