तपोवन में एनटीपीसी के निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल से शवों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान आज भी यहां से तीन शव बरामद किए गए हैं। आपदा के बाद से ही टनल के नीचे एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) तक पहुंचने में बाधा बन रहे मलबे के विकल्प के तौर पर आजमाया गया ड्रिलिंग का काम रविवार को अंजाम तक तो पहुंचा, लेकिन इसने जिंदगियों को बचाने के लिए पिछले आठ दिनों से चलाए जा रहे रेस्क्यू आपरेशन के हौसले पस्त कर दिए।
एसएफटी के मलबे से पटे होने की जानकारी मिलने से रेस्क्यू टीम, प्रशासन और टनल में फंसे व्यक्तियों के स्वजनों को निराश कर दिया। अब तक कुल बरामद किए गए कुल 54 शवों और 22 मानव अंगों में से 29 शवों और एक मानव अंग की शिनाख्त की जा चुकी है। जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है, उन सभी के डीएनए सैंपल संरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा जोशीमठ थाने में अब तक कुल 179 लोगों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है, जबकि अब तक कुल 55 परिजनों के डीएनए सैंपल शिनाख्त में सहायता के लिए लिए गए हैं। राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है।
जल प्रलय के आठवें दिन तपोवन जल विद्युत परियोजना की सुरंग समेत पूरे आपदा प्रभावित इलाके से 13 शव आईटीबीपी (इंडो तिब्बतन पुलिस फोर्स), एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रेसपांस फोर्स) व अन्य बचाव दलों ने निकाले। निकाले गए शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट चौंकाने वाली है। आपदा के कुछ घंटों के भीतर ही सबकी मौत हो गई थी।
विद्युत परियोजना की सुरंग में से पांच, ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना स्थल के आसपास 6, रैणी गांव में मलबे में एक और एक शव रुद्रप्रयाग में अलकनंदा किनारे से मिला। इनमें से 11 की शिनाख्त हो गई। दो की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं। इसको मिलाकर आपदा में लापता 51 लोगों के शव मिल गए हैं। 155 अभी भी लापता हैं।
आपको बता दें कि 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने की वजह से ऋषि गंगा में आई बाढ़ के बाद 35 लोग तपोवन जलविद्युत परियोजना की सुरंग में फंस गए थे। बैराज, ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना स्थल व अन्य नदी किनारे सैकड़ों लोग मलबे में दब गए थे। तब से सुरंग और आसपास लापता लोगों की खोज की जा रही है। सुरंग से डंपर के जरिए मलबा बाहर लाया जा रहा है। लेकिन जिस तरह से इस राहत और बचाव में संघर्ष का सिलसिला लंबा खींचा है उसने सैकड़ों ज़िंदगियों से उनकी साँसे छीन ली हैं