महज 2.5 घंटे में होगा तय दिल्ली और देहरादून का सफर
दिल्ली और देहरादून का सफर महज 2.5 घंटे
नया कॉरिडोर यात्रा समय को घटाकर 2.5 घंटे में सीमित कर देगा
नई दिल्ली। दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून आर्थिक गलियारा बन कर तैयार हो जाने पर दोनों शहरों के बीच की दूरी 235 किलोमीटर से घटकर 210 किलोमीटर हो जाएगी और यात्रा अवधि जो अभी 6.5 घंटा है वह केवल 2.5 घंटा रह जाएगा। यह देश का पहला राजमार्ग होगा जहां वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 12 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर होगा। ईपीसी मोड के तहत परियोजना को पूरा करने का निर्णय लिया गया है। पूरे कॉरिडोर को न्यूनतम 100 किमी प्रति घंटा की गति के साथ ड्राइविंग के लिए डिजाइन ििकया गया है।
इस कॉरिडोर पर ड्राइविंग करने वाले को बेहतर अनुभव देने के लिए हर 25-30 किमी की दूरी पर सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। केवल उपयोग किए गए राजमार्ग की सीमा तक भुगतान करने में सक्षम बनाने के लिए क्लोज्ड टोल मैकेनिज्म को अपनाया जाएगा। इस कॉरिडोर के विकास से इसके आसपास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, विशेष रूप से उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
कार्यान्वयन के लिए, अक्षरधाम (शुरुआती बिंदु) से देहरादून तक की पूरी लंबाई को 4 खंडों में विभाजित किया जाएगा- खंड-1 में छह लेन के साथ छह लेन सर्विस रोड विकसित किया जा रहा है जिसमें पूर्ण अभिगम नियंत्रण के साथ और इसे 2 पैकेजों में विभाजित किया गया है। पैकेज 1 दिल्ली के हिस्से में है यह 14.75 किमी में है और जिसमें से 6.4 किमी एलिवेटेड है। पैकेज 2 यूपी में 16.85 किमी की लंबाई में पड़ता है और इस 11.2 किमी एलिवेटेड है। इन दोनों पैकेजों की निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। यह खंड डीएमई के पास अक्षरधाम मंदिर से शुरू होगा और गीता कॉलोनी, खजुरीखास, मंडोला आदि से होकर गुजरेगा। इस राजमार्ग का उद्देश्य उत्तर पूर्वी दिल्ली पर जाम के बोझ को कम करना है और साथ ही ट्रोनिका सिटी, यूपी सरकार की मंडोला विहार योजना की विकास क्षमता को भी बढ़ाना है।
खंड-2 पूरी तरह से 6 लेन ग्रीनफील्ड योजना है जो बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों से गुजरती है। डीपीआर का काम पूरा हो गया है और चार पैकेजों में निविदा प्रक्रिया शुरू की गई है। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है और वन/पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन दिए गए हैं। परियोजना को मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है। हालांकि यह बहुत कुछ पर्यावरण मंजूरी और जरूरत के मुताबिक भूमि अधिग्रहण पर निर्भर करेगा।
खंड-3 यह सहारनपुर बाईपास से शुरू होता है और गणेशपुर पर समाप्त होता है। हाल ही में पूरी लंबाई को एनएचएआई ने चार लेन में पूरा किया है। न्यूनतम 100 किमी प्रति घंटे की गति को प्राप्त करने के लिए इसे पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए आवश्यक अंडरपास और सर्विस रोड की योजना बनाई जा रही है।
खंड-4 में छह लेन है जिसमें पूर्ण अभिगम नियंत्रित है। यह खंड मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में आरक्षित वन से होकर गुजरता है। 20 किमी में से, 5 किमी का विस्तार ब्राउनफील्ड है, और 15 किमी में से वन्य जीवन गलियारे (12 किमी) के लिए एलिवेटेड और सुरंग (संरचना 340 मीटर) है। वन्यजीव की चिंताओं के कारण सामान्य तौर पर आरओडब्ल्यू 25 मीटर तक सीमित है। वन और वन्यजीव की मंजूरी मिल गई है। मूल्यांकन के तहत 3 पैकेजों में बोलियां प्राप्त हुई हैं। मार्च 2021 तक परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य है।