भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने दीमक बन कर देवभूमि की खुशहाली को चाट लिया – तीसरा विकल्प देगा मजबूत विकल्प – भावना पांडे
युवाओं महिलाओं का अपमान करने वाली भाजपा-कांग्रेस से देवभूमि लेगी बदला – भावना पांडे
उत्तराखंड के चमोली जिले स्थित नंदप्रयाग घाट सड़क निर्माण को लेकर बीते दिनों जो आंदोलन चल रहा था उस पर जब हिंसक कार्यवाही पुलिस ने की फिर सियासत चारों तरफ से शुरू हो चुकी है ….अब एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री और बयान बहादुर माने जाने वाले हरीश रावत ने इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है उन्होंने बकायदा ट्वीट करते हुए गैरसैण नंदप्रयाग घाट पर आंदोलनकारियों पर हुई पुलिस लाठीचार्ज की इस कार्यवाही का विरोध किया और कहा कि इस घटना ने त्रिवेंद्र सरकार की कायराना प्रवृत्ति का परिचय दिया है ….
उत्तराखंड में हरीश रावत आए दिन अपने बयानों की वजह से कहीं ना कहीं सुर्खियों में बने रहते हैं … कभी कांग्रेस के अंदरूनी कलह पर अपने बयानों से खुद अपनी किरकिरी करा लेते हैं तो कभी भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार की पीठ थपथपा कर विवाद पैदा कर देते हैं … जैसे ही हरीश रावत का ट्वीट नंदप्रयाग घाट आंदोलनकारियों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में सामने आता है एक बार फिर वह सियासी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं ….
उत्तराखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली वरिष्ठ आंदोलनकारी और तीसरा विकल्प के तौर पर उत्तराखंड में राजनीतिक विकल्प देने की तैयारी कर रही मशहूर उद्योगपति भावना पांडे ने हरीश रावत के ट्वीट और बयान पर जमकर निशाना साधा है और कहा है कि हरदा अपने पुराने दिनों को याद करें कि राज्य निर्माण में उन्होंने किस तरह से खलनायक की भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं वरिष्ठ आंदोलनकारी भावना पांडे ने यह भी कहा कि आज से 21 साल पहले जब राज्य निर्माण के लिए पहाड़ के लोग आंदोलन कर रहे थे और भावना पांडे उस दल की अगुवाई कर रही थी उस वक्त हरीश रावत पहाड़ के लोगों को बांटने और बिखेरने का काम कर रहे थे… आज जब राज्य बने 20 साल हो गया और खुद हरदा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर मलाई काट चुके हैं तो एक बार फिर सत्ता में वापसी की छटपटाहट में वो ड्रामेबाजी कर रहे हैं और नौटंकी के डायलॉग बोल रहे हैं। आज ये सियासी आरोप भावना पांडे ने एक बयान जारी कर लगाए हैं। भावना पांडे ने हरीश रावत पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि जब आप खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज थे तो आपने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का फैसला क्यों नहीं किया ?
एक निजी अनुभव का जिक्र करते हुए भावना पांडे बताती हैं कि पहाड़ में मूलभूत सुविधा की बात करे तो सड़कों के किनारे टूटे पड़े हैंडपंप में पानी की बूँद नहीं है और पहाड़वासी पहाड़ जैसी चुनौतियों से आज भी जूझ रहे हैं। सीमावर्ती गाँव के लोगों की हालत तो इस नेताओं ने और भी बदहाल कर दी है। न सड़कें हैं , न नदियों पर पुल हैं , सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा भी आज किसी से छिपी नहीं है … इन हालातों की जितनी ज़िम्मेदार भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार है उतने ही दोषी कांग्रेस और हरीश रावत जैसे नेता हैं। उन्होंने बताया कि एक बार यात्रा के दौरान जब मुझे पानी की आवश्यकता रास्ते में पड़ी तो टूटी हालत में बदहाल सरकारी हैंड पंप से पानी की एक बूंद भी नहीं निकली और ये आलम उस दौर का था जब सूबे में हरीश रावत की सरकार थी। आज वही हरदा पहाड़ के लोगों की तरक्की और उनके विकास की बात करते हैं तो उनके मुंह से यह बातें बेमानी लगती है।
राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले कई फैसले हरीश रावत सरकार में किए गए और अगर आज उत्तराखंड आर्थिक मोर्चे पर कमजोर हो रहा है तो उसमें जितनी दोषी भाजपा है उससे कहीं ज्यादा गुनहगार कांग्रेस की सरकारें और हरीश रावत जैसे नेताओं की भूमिका है।
भावना पांडे ने उत्तराखंड में मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को दोषी करार दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि केवल निजी स्वार्थ और कुछ लोगों को फायदा पहुँचाना ही यहाँ के नेताओं की आदत बन चुकी है , जिस पर अब तीसरा विकल्प कडा प्रहार करेगा और इन करने जा रहा है। आंदोलनकारी भावना पांडे ने आरोप लगाते हुए कहा कि हरीश रावत के जमाने में कई सौ खनन पट्टे बांटे गए उनमें से आज कोई पट्टा नहीं चल रहा है और उनपर सिर्फ पेनल्टी ही पड़ी है। अवैध खनन हो रहा है जिसकी वजह से सरकार को हर साल करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर भी भावना पांडे ने कहा कि भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार रही हो या कांग्रेसी हरीश रावत सरकार त्रिवेंद्र सरकार , पहाड़ की महिलाओं को कभी भी पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई। न ही नए अस्पताल बनाए गए न पहाड़ में गर्भवती महिलाओं को समय पर इलाज मिला। कभी हरे भरे खेतों से गुलज़ार रहने वाले खेत, मकान वीरान पड़े हैं , बेरोज़गार नौजवान पलायन कर रहा है , गांव उजाड़ हो गए हैं और लोग मजबूरी में अपने गांव छोड़कर शहरों की तरफ छोटी-छोटी नौकरियां करने के लिए जाने को मजबूर हैं।
इसकी जिम्मेदार भाजपा कांग्रेस और यहां के उम्रदराज वो नेता हैं जो आज भी कुर्सियों से चिपके बैठे हैं और नौजवान सिर्फ ठगा ही जा रहा है। लेकिन अब तीसरा विकल्प ने संकल्प किया है कि देवभूमि को बचाने के लिए सत्ता की बागडोर नौजवानों , महिलाओं के हांथो में सौंपनी है …. जिसके लिए भावना पांडे हर मोर्चे पर अपने संगठन तीसरा विकल्प को मजबूत कर रही है और प्रदेश भर के संगठनों , छात्र नेताओं और रिटायर्ड अधिकारियों का बढ़ता समर्थन भावना पांडे को मिल रहा है।