कूड़ा उठान में कंपनी का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र आया सामने

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कूड़ा उठान में कंपनी का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र आया सामने

देहरादून। नगर निगम में कूड़ा उठान को लेकर एक कंपनी को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जारी होने का मामला सामने आया है। कंपनी को जनवरी 2015 से मार्च 2019 तक कूड़ा उठान एवं परिवहन का कार्य करने का अनुभव प्रमाण पत्र दिया गया है, जबकि कंपनी के ट्रकों व ट्रैक्टर ने दिसंबर-2017 से कूड़े को हरिद्वार बाइपास से शीशमबाड़ा प्लांट तक ले जाने का कार्य शुरू किया था। इसी अनुभव पत्र के जरिये कंपनी को हाल ही में पंद्रह वार्डों के डोर-टू-डोर कूड़ा उठान की जिम्मेदारी दे दी गई। पूरे मामले में वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके सिंह की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। महापौर सुनील उनियाल गामा ने फर्जीवाड़े की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा कि रिपोर्ट के आधार पर मुकदमे की कार्रवाई की जाएगी।

नगर निगम ने हाल ही में मैसर्स सनलाइट व मैसर्स भार्गव फैसिलिटी सर्विसेज कंपनी को 15-15 नए वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान का टेंडर दिया है। निगम ने कंपनी से पांच वर्ष का कूड़ा उठान कार्य का अनुभव प्रमाण-पत्र मांगा था। दोनों ही कंपनियों की ओर से वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके सिंह की ओर से जारी हुआ अनुभव प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया। जिसमें अंकित है कि कंपनियों ने जनवरी 2015 से अब तक नगर निगम देहरादून के लिए नियमित 250 मीट्रिक टन कूड़ा उठान का कार्य किया है। हैरानी की बात यह है कि प्रमाण-पत्र जांच भी डा. सिंह ने ही की और दोनों कंपनियों को टेंडर दे भी दिया।

यहां तो मामला दबा दिया गया था, मगर हरिद्वार नगर निगम में यह मामला पकड़ आ गया। वहां भी दोनों कंपनियों ने कूड़ा उठान के लिए टेंडर डाला तो अनुभव प्रमाण पत्र पर मैसर्स सनलाइट फंस गईं। मैसर्स भार्गव फैसिलिटी के पास वर्क आर्डर था जबकि मैसर्स सनलाइट यह पेश नहीं कर सकी। हरिद्वार नगर निगम की ओर से एक ही समय में कूड़ा उठान करने के दो कंपनियों के अनुभव प्रमाण पत्र दून नगर निगम से जारी करने की शिकायत को शहरी विकास निदेशालय भेजा। निदेशालय ने दून निगम से स्पष्टीकरण तलब किया है। वहीं, महापौर ने कहा कि मामला गंभीर है और इसकी जांच कराई जा रही।