अल्मोड़ा में दो जगह पर विकसित होंगे विदेशी प्रजाति के एप्पल गार्डन

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अल्मोड़ा में दो जगह पर विकसित होंगे विदेशी प्रजाति के एप्पल गार्डन

अल्मोड़ा : कुमाऊं में दो नए सेब बागान जल्द मूर्तरूप लेंगे। मिशन एप्पल के तहत एक-एक एकड़ के इन डेमो बागान में विदेशी प्रजाति की उन्नत नस्लों के एक हजार पौधे लगाए जाएंगे। मिट्टी की गुणवत्ता और आबोहवा माकूल पाए जाने के बाद जनपद के स्याहीदेवी व शहरफाटक में बागान विकसित करने का काम अंतिम चरण में है। खास बात कि विदेशी नस्ल की ये प्रजातियां दूसरे वर्ष से ही फल देना शुरू कर देंगी।

मिशन एप्पल के जरिये हिमालयी राज्य को सेब उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम तेजी से बढऩे लगे हैं। कुमाऊं में बिल्लेख गोपाल उप्रेती फिर शीतलाखेत महेंद्र सिंह की जमीन पर अभिनव प्रयोग सफल होने के बाद अब स्याहीदेवी व शहरफाटक में दो और नए बागान में विदेशी प्रजातियों के सेब अपनी लाली बिखेरेंगे। दोनों चिह्निïत बागवानी क्षेत्रों में इन दिनों उन्नत प्रजाति के पौधे लगाए जा रहे हैं।

स्पर प्रजाति के गेलगाला, स्कारलेट, रेड ब्लॉग्स, जीरोमाइन, रेडचीफ व रेडफ्यूजी

मिलेगा 80 फीसद अनुदान

मिशन एप्पल में चयनित स्याहीदेवी के दिग्विजय सिंह बौरा व शहरफाटक के इंद्र सिंह रौतेला को विभाग से 80 फीसद अनुदान भी मिलेगा। यानि 12 लाख रुपये की लागत से तैयार हो रहे डेमो बागान के लिए 20 प्रतिशत राशि बागवान को खर्च करनी होगी। बागान में तारबाड़, ड्रिप सिंचाई सिस्टम, सौ या जरूरत के अनुसार पोल, एंटी हेलनेट लगाने के साथ ही प्लास्टिक मल्चिंग की जाएगी।

पहले वर्ष 50 क्‍व‍िंंटल उत्पादन

विशेष गुणवत्ता वाले ये विदेशी प्रजाति के पौधे दूसरे-तीसरे साल से औसतन चार से पांच किलो फल देने लगेंगे। यानि एक हजार पौधों से 50 क्‍व‍िंंटल पैदावार होगी। पेड़ों की उम्र बढऩे के साथ उत्पादन भी उसी अनुपात में बढ़ता है।

विभाग रखेगा निगरानी 

जिला उद्यान अधिकारी त्रिलोकीनाथ पांडेय ने बताया कि इस बार मिशन एप्पल में दो बागान चयनित किए गए हैं। विभागीय स्तर पर निगरानी रखी जाएगी। स्पर प्रजाति के ये पौधे दूसरे साल से ही फल देने लेगेंगे। उम्मीद है कि आने वाले दौर में जिले में कुछ और एप्पल गार्डन विकसित कर लिए जाएंगे। यह आजीविका के लिहाज से भी बेहतर योजना है।