कोटद्वार में पार्किंग स्थल गड्ढ़े में दफ्न और सड़कें पार्किंग में तब्दील
कोटद्वार: सिस्टम के अदूरदर्शी निर्णय का खामियाजा आमजन को किस तरह भुगतना पड़ता है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मोटर नगर में हुआ बड़ा गड्ढ़ा है। आमजन ने मोटर नगर में आधुनिक बस अड्डे का सपना देखा और सिस्टम ने जनता को बस अड्डे की जगह एक गड्ढ़ा थमा दिया। आठ वर्ष बीत गए हैं, लेकिन आज तक सिस्टम ने इस गड्ढ़े को बस अड्डे में तब्दील करने की जहमत नहीं उठाई है। आलम यह है कि पार्किंग स्थल गड्ढ़े में दफ्न हो गया है और सड़कें पार्किंग में तब्दील हो गई हैं।
व्यवसायिक वाहनों की बात करें, तो कोटद्वार क्षेत्र में वर्तमान में उत्तराखंड परिवहन निगम के पास पचपन बसों व गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन के पास करीब तीन सौ बसों का बेड़ा है। इसके अलावा करीब चार सौ जीप-टैक्सियां और आठ सौ से अधिक तिपहिया वाहन सड़कों पर दौड़ते नजर आते हैं। लेकिन, अगर बात इन वाहनों की पार्किंग की करें तो वर्ष 2013 से बाद से आज तक आमजन को पार्किंग स्थल का इंतजार है। दरअसल, 23 मार्च 2013 को तत्कालीन नगर पालिका ने पीपीपी मोड पर मोटर नगर में आधुनिक बस टर्मिनल बनाने का कार्य एक निजी संस्था को सौंपा। संस्था ने मोटर नगर में बस अड्डे का निर्माण कार्य शुरू किया। पालिका ने मोटर नगर की 1.838 हेक्टेयर भूमि में से 1.5034 हेक्टेयर भूमि कंपनी को मुहैया करा दी। शर्तों के अनुरूप मार्च 2015 तक बस अड्डे का निर्माण पूर्ण कर नगर पालिका को सौंपा जाना था, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते ऐसा न हो सका। अनुबंध में खामियों का ही परिणाम रहा कि कार्यदायी संस्था कार्य अधूरा छोड़ चलती बनी। आठ वर्ष हो गए हैं, लेकिन न तो जन प्रतिनिधियों ने इस अधूरे निर्माण की सुध ली और न ही सरकारी तंत्र इस ओर ध्यान दे रहा है।
कार्यदायी संस्था से वार्ता की गई है। पूर्व में जो भी कमियां रही, उन्हें संशोधित कर मध्य का रास्ता निकालने का प्रयास किया जा रहा है। प्रयास है कि जल्द मोटर नगर में कार्य शुरू करवाया जाए।
डॉ. हरक सिंह रावत, विधायक, कोटद्वार