राजनैतिक समिकरण, इस मंडल से भाजपा के कमंडल में गिरेगा वोट

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इस मंडल से भाजपा के कमंडल में गिरेगा वोट

पौड़ी मंडल में तो नही बैठा पाई,गैरसैण में बैठा पाएगी अफसरों को सरकार

बीस सालो में सूनी पड़ी पौड़ी कमिश्नरी
चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। भले ही गैरसैण को अचानक तीसरा मंडल बनाने की घोषणा के बाद सरकार और उनके समर्थको द्वारा इसे ऐतिहासिक करार दिया जा रहा हो। लेकिन पौड़ी कमिश्नरी की हालत जो इन बीस सालों में हुई उसको देखकर सवाल यह खड़ा होना लाजमी है कि,जो सरकारें पौड़ी मंडल मुख्यालय से देहरादून शिफ्ट हुए कार्यालय और उनके अफसरों को आज तक पौड़ी वापिस नही ले जा पाए क्या वह अब नई कमिश्नरी में इनको गैरसैण बैठा पाएगी ? क्या इस मंडल से भाजपा के कमंडल में गिरेगा वोट ? बताते चले कि दो रोज पूर्व सूबे के मुखिया त्रिबेन्द्र सिंह रावत ने गैरसैण में हो रहे बिधान सभा सत्र में अचानक गैरसैण को तीसरी कमिश्नरी बनाने की घोषणा कर सबको चौक दिया। गढ़वाल मंडल के चमोली रुद्रप्रयाग और कुमाऊँ मंडल के बागेश्वर, अल्मोड़ा ये चार जनपदो को नई कमिश्नरी में शामिल किया गया है।सीएम के इरादे भले ही नेक हो लेकिन राज्य निर्माण के इन बीस सालो में जो हाल पौड़ी कमिश्नरी का हुआ वह किसी से छुपा नही है।राज्य निर्माण के बाद अगर किसी शहर की उपेक्षा की सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ी वह है मंडल मुख्यालय पौड़ी।राज्य निर्माण के साथ ही देहरादून अस्थाई राजधानी के बनते ही मंडल स्तरीय दफ्तरों का दून शिफ्ट होना शुरू हो गया जो निरंतर आज तक जारी है। दून का मोह पाले कई मंडलीय अधिकारी कार्यालय,कमिश्नर ऑफिस हो या फिर ग्राम्य बिभाग निर्देशालय,कृषि निदेशालय,डीआईजी कार्यालय,खेल बिभाग किसी ने पूरे कार्यालय को देहरादून शिफ्ट किया तो किसी ने कैम्प कार्यालय बना डाला। यहाँ तक कि कुछ साल पूर्व बनाये गए उतराखण्ड पलायन आयोग के अधिकारी कर्मचारी भी कभी कभार पौड़ी दर्शन कर पूरा समय दून में ही बैठने लगे।सरकार ने नई कमिश्नरी की घोषणा कर अच्छा प्रयास किया है,लेकिन इसको धरातल पर उतारना इतना आसान नही है। पचास हजार करोड़ से अधिक के कर्जे में डूबे उतराखण्ड की इस नई कमिश्नरी का पूरा लाव लश्कर पर करोड़ो रूपये खर्च होने है बिभागो के मुख्यालय भी बनाये जाने है। पहले ही सीएम गैरसैण पर पच्चीस हजार करोड़ आने वाले सालो में खर्च करने की बात कर चुके है। कर्जे के बोझ तले दबे राज्य में इस नई व्यवस्था के लिए इतना सारा पैसा आएगा कहाँ से यह बड़ा सवाल है?एक तरफ इन बीस सालों में हम आज तक पहाड़ के स्कूलों में मास्टर,अस्पतालों में डॉक्टर,तक नहीं पंहुचा पाए जो अफसर पचास साल पुराने मंडल मुख्यालय पौड़ी नही जाना चाहते वे अफसर क्या गैरसैण जाना चाहेंगे। सरकार का उद्देश्य नेक हो लेकिन नई कमिश्नरी कही सफेद हाथी साबित न हो।