क्या टूटेगा मिथक सीएम बदलने से सत्ता वापिस नही लौटती

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क्या टूटेगा मिथक सीएम बदलने से सत्ता वापिस नही लौटती

चुनाव से पहले भगत सिंह कोश्यारी,भुवन चंद खंडूरी हरीश रावत को गद्दी पर बैठाने का दांव नही आया था काम,सीएम तीरथ रावत तोड़ पाएंगे मिथक

चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। उतराखण्ड राज्य के गठनोंपरांत पुराने इतिहास को एक नजर देखें तो जब-जब सीएम बदले गए सत्ता वापिस नही लौटी। नौ नवम्बर दो हजार अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए पहाड़ी राज्य उतराखण्ड में सीएम बनने की चाहत का ही नतीजा है कि इन बीस सालों में दसवें सीएम के रूप में तीरथ रावत ने शपथ ले ली है। सीएम पौड़ी लोकसभा के सांसद तीरथ रावत क्या तोड़ पाएंगे या बरकरार रहेगा मिथक यह बड़ा सवाल है ? भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के राजनेताओं में सह मात का खेल शरुआती दिनों से ही शुरू हो गया था।जिसके परिणाम यह हुए कि सिर्फ एनडी तिवारी शाशन को छोड़ दे तो बाकी कोई भी सीएम पांच साल कार्यकाल पूरा नही कर पाया। राज्य गठन के साथ ही भाजपा ने नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन कुछ ही समय बाद स्वामी का बिरोध होने लगा,आनन फानन में भगत सिंह कोश्यारी को सीएम बनाया गया। दुबारा सत्ता पाने की चाह में सीएम बदलना भाजपा को भारी पड़ गया 2002 सत्ता हाथ से चली गई। इसके बाद कांग्रेस के कदावर नेता राजनीति के चाणक्य एनडी तिवारी ने राज्य की कमान पूरे पांच साल संभाली।दो हजार सात चुनाव में भाजपा को जीत मिली मेजर जरनल भुवन चंद खंडूरी को सीएम बनाया गया कड़क मिजाजी खंडूरी से भी नाराजगी बढ़ने लगी,कुछ ही समय बाद फिर शुरू हो गया सह मात का खेल,दो हजार नौ में उनकी छुट्टी कर रमेश पोखरियाल निशंक को राज्य की भाजपा ने बागडौर सौपी, आरोपो के चलते दो हजार बारह चुनाव से पहले उनको भी चलता कर एक बार फिर खंडूरी जरूरी के नारे के साथ चुनाव से पहले सीएम बदला गया।भाजपा को जनता ने दो हजार बारह चुनाव में सत्ता से बाहर कर दिया।राज्य में इस बार कांग्रेस की सरकार बनी यहाँ भी सब कुछ ठीक होने का दावा किया गया लेकिन केदार आपदा के बाद कांग्रेस ने भी ढाई साल में विजय बहुगुणा को हटा कर पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को मुख्यमंत्री बना दिया। रावत भी राजनीतिक षड़यंत्र का शिकार हो गए इसी दौर में राष्ट्रपति शाशन भी राज्य ने झेला,कांग्रेस का भी चुनाव से पहले सीएम बदलने के पीछे तर्क दुबारा सत्ता वापिसी का था लेकिन दो हजार सत्रह में उनके मनसूबों पर जनता ने पानी फेर दिया।और भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाई।अब चार साल नौ दिनों में भाजपा ने भी अपने जीरो टालरेंस के सीएम को हटाकर नया सीएम बनाने का फैसला किया है। तीरथ रावत के रूप में दसवां मुख्यमंत्री राज्य को मिल गया।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार फिर मिथक भाजपा की राह आसान करेगा या उनके रथ को दो हजार बाइस में रोकेगा।

चुनाव से पहले भगत सिंह कोश्यारी,भुवन चंद खंडूरी हरीश रावत को गद्दी पर बैठाने का दांव नही आया था काम,सीएम तीरथ रावत तोड़ पाएंगे मिथक

चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। उतराखण्ड राज्य के गठनोंपरांत पुराने इतिहास को एक नजर देखें तो जब-जब सीएम बदले गए सत्ता वापिस नही लौटी। नौ नवम्बर दो हजार अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए पहाड़ी राज्य उतराखण्ड में सीएम बनने की चाहत का ही नतीजा है कि इन बीस सालों में दसवें सीएम के रूप में तीरथ रावत ने शपथ ले ली है। सीएम पौड़ी लोकसभा के सांसद तीरथ रावत क्या तोड़ पाएंगे या बरकरार रहेगा मिथक यह बड़ा सवाल है ? भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के राजनेताओं में सह मात का खेल शरुआती दिनों से ही शुरू हो गया था।जिसके परिणाम यह हुए कि सिर्फ एनडी तिवारी शाशन को छोड़ दे तो बाकी कोई भी सीएम पांच साल कार्यकाल पूरा नही कर पाया। राज्य गठन के साथ ही भाजपा ने नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन कुछ ही समय बाद स्वामी का बिरोध होने लगा,आनन फानन में भगत सिंह कोश्यारी को सीएम बनाया गया। दुबारा सत्ता पाने की चाह में सीएम बदलना भाजपा को भारी पड़ गया 2002 सत्ता हाथ से चली गई। इसके बाद कांग्रेस के कदावर नेता राजनीति के चाणक्य एनडी तिवारी ने राज्य की कमान पूरे पांच साल संभाली।दो हजार सात चुनाव में भाजपा को जीत मिली मेजर जरनल भुवन चंद खंडूरी को सीएम बनाया गया कड़क मिजाजी खंडूरी से भी नाराजगी बढ़ने लगी,कुछ ही समय बाद फिर शुरू हो गया सह मात का खेल,दो हजार नौ में उनकी छुट्टी कर रमेश पोखरियाल निशंक को राज्य की भाजपा ने बागडौर सौपी, आरोपो के चलते दो हजार बारह चुनाव से पहले उनको भी चलता कर एक बार फिर खंडूरी जरूरी के नारे के साथ चुनाव से पहले सीएम बदला गया।भाजपा को जनता ने दो हजार बारह चुनाव में सत्ता से बाहर कर दिया।राज्य में इस बार कांग्रेस की सरकार बनी यहाँ भी सब कुछ ठीक होने का दावा किया गया लेकिन केदार आपदा के बाद कांग्रेस ने भी ढाई साल में विजय बहुगुणा को हटा कर पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को मुख्यमंत्री बना दिया। रावत भी राजनीतिक षड़यंत्र का शिकार हो गए इसी दौर में राष्ट्रपति शाशन भी राज्य ने झेला,कांग्रेस का भी चुनाव से पहले सीएम बदलने के पीछे तर्क दुबारा सत्ता वापिसी का था लेकिन दो हजार सत्रह में उनके मनसूबों पर जनता ने पानी फेर दिया।और भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाई।अब चार साल नौ दिनों में भाजपा ने भी अपने जीरो टालरेंस के सीएम को हटाकर नया सीएम बनाने का फैसला किया है। तीरथ रावत के रूप में दसवां मुख्यमंत्री राज्य को मिल गया।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार फिर मिथक भाजपा की राह आसान करेगा या उनके रथ को दो हजार बाइस में रोकेगा।