देश के कोने-कोने में पहुंच रहा गंगोत्री का गंगाजल
उत्तरकाशी। डाक विभाग देश के कोने-कोने में गंगोत्री से भरे गंगाजल की बोतलें पहुंचा रहा है। 250 एमएल की यह बोतल देश के हर डाकघर में आसानी से 30 रुपये में उपलब्ध हो जाती है। बीते वर्ष करोना संक्रमण और लंबे लॉकडाउन के बाद भी गंगाजल की मांग कम नहीं हुई है। उत्तरकाशी स्थित डाकघर में लगे बॉटलिंग प्लांट से गंगाजल की 3.86 लाख से अधिक बोतल मुख्य डाकघर देहरादून भेजी गईं। वहां से इनकी देश के 22 डाक सर्किल में आपूर्ति की गई। डाक सर्किलों से गंगाजल की बोतल जिलास्तर के डाकघरों को पहुंचाई जाती हैं। इसके अलावा लोग डाक विभाग की वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन भी गंगाजल की बोतल मंगवा सकते हैं।
गंगाजली बॉटलिंग करने की जिम्मेदारी डाक विभाग ने उत्तरकाशी स्थित डाकघर को सौंपी है। यहां अक्टूबर 2018 में बॉटलिंग प्लांट लगाया गया था। तब से यहां गंगोत्री से लाए गंगाजल की बॉटलिंग और पैकिंग की जा रही है। इस प्लांट में अभी तक गंगाजल की सिर्फ 250 एमएल की बॉटलिंग होती है। वर्ष 2018 से फरवरी 2021 तक गंगाजल की 9.67 लाख बोतलों को मुख्य डाकघर देहरादून भेजा गया। इस वित्तीय वर्ष के लिए डाक विभाग की ओर से एक लाख खाली बोतल उत्तरकाशी पहुंचा दी गई हैं। डाकघर के पोस्ट मास्टर राकेश रजवार बताते हैं कि गंगोत्री से लाए गंगाजल से गाद हटाने के लिए उसे यहां बॉटलिंग प्लांट में फिल्टर किया जाता है। फिर उसे 250 एमएल की बोतलों में पैक कर मुख्य डाकघर देहरादून भेजा जाता है। वहां से इसे डाकघरों की मांग के अनुसार देश के विभिन्न डाक सर्किलों में भेजा जाता है। 250 एमएल गंगाजल की कीमत 30 रुपये प्रति बोतल रखी गई है।
पीढ़ियों से है गंगाजल पहुंचाने की परंपरा
गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों की ओर से देशभर में अपने यजमानों को पीढ़ियों से गंगाजल पहुंचाया जाता रहा है। इस परंपरा के तहत वे आज भी शीतकाल के दौरान गंगाजल लेकर देश के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण करते हैं।
गंगाजल की बॉटलिंग प्रक्रिया
अक्टूबर 2018 में डाक विभाग की ओर से उत्तरकाशी डाकघर में बॉटलिंग प्लांट लगाया गया था। गंगोत्री से 40-40 लीटर के केन में भरकर गंगाजल को इस बॉटलिग प्लांट में पहुंचाया जाता है। प्लांट में गंगाजल से रेत और गाद को छानने के लिए 16 टंकियां लगाई गई हैं। इनके जरिये 12 घंटे में 1600 लीटर गंगाजल का शोधन हो जाता है। इसके बाद रैपर लगी 250 एमएल की बोतलों में गंगाजल की पैकिंग कर उन्हें मुख्य डाकघर देहरादून भेजा जाता है।