बीरोंखाल में और तेज हुआ सड़क को लेकर आंदोलन
आम आदमी पार्टी पहुंची आंदोलन में
आप नेता को भी झेलना पड़ा आंदोलनकारियों का गुस्सा
आंदोलनकारियों ने कहा-पहले सड़क पक्की करो
बैजरो (पौड़ी गढ़वाल)। पौड़ी गढ़वाल के बैजरो के नजदीक 14 गांवों को जोड़ने वाली बैजरो बयेड़ा सड़क के डामरीकरण को लेकर लगातार आंदोलन जारी है। महिलाएं, बच्चे और पुरुष सड़क पर रोज आंदोलन कर रहे हैं।
रविवार को इन आंदोलनकारियों के बीच आम आदमी पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष दिग्मोहन नेगी पहुंचे। नेगी ने आंदोलनकारियों की मांगें सुनी और आश्वासन दिया कि वे इन सभी मांगों को लेकर सरकार के दरबार में पहुंचेंगे। साथी नेगी ने कहा कि अगर आप सरकार राज्य में आती है तो सबसे पहले यही सड़क बनाई जाएगी। आंदोलनकारियों ने उनसे सीधे कहा कि अपनी सरकार की बात मत करो, हमने बहुत सरकारें देख ली हैं। पहले हमारे साथ लड़ सकते हो तो लड़ो, वोट की बात तब करो।
आपको बता दें कि बैजरो बयेड़ा सड़क के डामरीकरण का ये आंदोलन डुमलोट गांव की महिलाओं ने शुरू किया। अब इस आंदोलन में बयेड़ा, भिड़कोट, कफलगैर, डाबर, कुरकंडाई, रणगिरा और डुमैला गांव के लोग भी जुड़ गए हैं।
ये 15 किलोमीटर लंबी सड़क करीब 10 साल पहले बनी थी लेकिन अब तक इसका डामरीकरण नहीं हुआ है। पिछले दिनों आंदोलन के बाद इलाके (चौबट्टाखाल) के विधायक और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने आश्वासन दिया था कि सड़क के डामरीकरण का प्रस्ताव भेज दिया गया है। लेकिन बाद में सच सामने आया कि सतपाल महाराज ने सिर्फ 3 किमी सड़क के डामरीकरण का आदेश दिया। इसके बाद इलाके के लोगों में आक्रोष और बढ़ गया।
अब आंदोलनकारियों ने साफ कहा है कि अगर 15दिन के अंदर पूरी सड़क के डामरीकरण का आदेश नहीं दिया जाता तो वे 14 गांवों की महापंचायत सड़क पर ही करेंगे और वोट का बहिष्कार करेंगे। इस महापंचायत में 14 गांवों के उन लोगों को भी बुलाया जाएगा जो गांव से बाहर दिल्ली, देहरादून, मुबई चंडीगढ़ या अन्यत्र रहते हैं। इसके बाद ये सभी लोग देहरादून के लिए पैदल प्रस्थान कर मुख्यमंत्री और सतपाल महाराज के घर का घेराव करेंगे। लोगों ने ये भी ऐलान किया है कि ये सभी लोग अपने जानवरों और बच्चों के साथ देहरादून के लिए पैदल प्रस्थान करेंगे।
– दीनदयाल सिंह, अगर हमारे गांव की सड़क नहीं पक्की हुई तो हम सरकार की चूलें हिला देंगे। सड़क को बने 10 साल हो चुके हैं और अब इलाके के विधायक सतपाल महाराज कह रहे हैं कि हम सड़क का परीक्षण करेंगे। आखिर 4 साल तक इन्होंने किया क्या। हम 5 दिन का और वक्त देते हैं सतपाल महाराज को। सड़क का परीक्षण करें और निर्णय करें।
–बिलोचन प्रसाद मैंदोलिया, अब तक जनप्रतिनिधि सतपाल महाराज ने किया क्या। चुनाव के आखिरी साल यानि चार साल बाद अगर वे 3 किमी डामरीकरण का आदेश देते हैं तो पांच साल में हमारी सड़क का 15 किमी डामरीकरण तो बनता ही है। ऐसे में हमारा सवाल कहां गलत है कि हम इनको आगे न चुनें।
–लीला देवी, हमारी मांग सड़क के डामरीकरण की है। मेरे मां बाप भी बूढ़े हैं। गांव में कई बूढ़े बुजुर्ग हैं। कुछ विकलांग भी हैं और कुछ नजरों से कमजोर भी। ये लोग जब भी इलाज के मोहताज होते हैं तो हम कम से कम 2000 हजार रुपये में टैक्सी बुक करते हैं। अगर सड़क पक्की होती तो वही टैक्सी 150 रुपये में हो जाती।
–सते सिंह, मैं पूर्व फौजी हूं। सूबेदार रहा हूं फौज में। गांव के युवाओं को हमेशा गांव में रहने के लिए और कुछ करने के लिए प्रेरित करता हूं। गांव की सड़क ही 10 साल में पक्की नहीं होेगी तो मैं युवाओं से क्या कहूंगा। ये सरकार कहती है कि सबका विकास और सबका विश्वास। किसका विकास और किसका विश्वास? ये धोखा है।
आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वालों में लीला देवी, छवणी देवी, रजुली देवी, अनिता देवी, बालेश्वरी देवी, सुमन देवी, मीनाक्षी देवी, शांति देवी, रितू देवी, संवाली देवी, इंदु देवी, रामी देवी, समा देवी, सरोजिनी देवी, सरस्वती देवी, पुष्पा देवी, सरिता देवी, रीना देवी, समा देवी, हरीश सिंह, रमेश सिंह, सतीश सिंह, सते सिंह, शशि ढोण्डियाल, राजे सिंह, दीनदयाल सिंह, डक्खी रावत, वीरेन्द्र सिंह चंद, दलवीर सिंह चंद गोवर्धन सिंह, कृपाल सिंह, मनोज ढोण्डियाल, उषा देवी मंदोलिया, सपना, पिंकी, सुदामा मंदोलिया, बिगारी देवी, भगतराम, जगदीश आदि शामिल हैं।