देहरादून। चमोली जिले में हर साल नंदा देवी लोकजात यात्रा निकाली जाती है। चमोली में नंदा देवी लोकजात यात्रा निकलने की वर्षों पुरानी परंपरा है। इसी कड़ी में इस साल जुलाई महीने में नंदा देवी लोकजात यात्रा निकली जाएगी। जिसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गयी है। हालांकि, यह यात्रा 20 दिनों की होती है। ऐसे में इस यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु बुग्यालों के समीप रात्रि विश्राम करते है। लेकिन बुग्यालों में नाइट स्टे पर लगी रोक के चलते लोकजात यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
वहीं, अब लोकजात यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की समस्या को देखते हुए पर्यटन महकमा सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। ताकि लोकजात यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को बुग्यालों में रात्रि विश्राम करने की अनुमति दी जाए। हालांकि, हर साल निकलने वाली नंदा देवी लोकजात यात्रा सबसे ऊंचे और निर्जन पहाड़ों पर स्थित बेदनी बुग्याल पहुंचती है। इस यात्रा में करीब 280 किमी का सफर 20 दिनों में तय किया जाता है। इस बीस दिन की यात्रा में बीस दिन का रात्रि विश्राम होता है। यही नहीं, इस ऐतिहासिक यात्रा को गढ़वाल-कुमाऊं की सांस्कृतिक मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में नंदा देवी लोकजात यात्रा और नंदा देवी राजजात यात्रा होती है। हालांकि, नंदा देवी राजजात यात्रा हर 12 साल में होती है। लेकिन नंदा देवी लोकजात यात्रा, चमोली जिले में हर साल निकलती है। नंदा देवी लोकजात यात्रा, बुग्यालों से होकर जाती है. जिसे देखते हुए बुग्यालों में रात्री विश्राम की अनुमति को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। ताकि नंदा देवी लोकजात यात्रा व्यवस्थित तरीके से सम्पन्न हो सकें।