रुद्रप्रयाग। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने यात्रा खोलने का विरोध किया है। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार को यात्रा शुरू करने से पहले व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए। मानसून सीजन शुरू हो गया है। गौरीकुण्ड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जगह-जगह बोल्डर गिर रहे हैं। रास्ता कई स्थानों पर ध्वस्त हो गया है। ऐसे में यात्रा में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। वहीं, केदारनाथ में देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों का धरना 17वें दिन भी जारी रहा।
बता दें कि प्रदेश सरकार ने एक जुलाई से स्थानीय लोगों के लिए केदारनाथ यात्रा खोलने का निर्णय लिया है, जिसका केदारनाथ तीर्थ पुरोहित विरोध कर रहे हैं। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि यात्रा शुरू करने से पूर्व सरकार को केदारनाथ धाम में सभी प्रकार की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चहिए। उन्होंने कहा कि धाम में रहने, खाने, पेयजल सहित अन्य व्यवस्था बदहाल है। सभी तीर्थ पुरोहित भी अपने घरों में हैं। गौरीकुण्ड-केदारनाथ पैदल मार्ग बारिश से जानलेवा बना है। मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो रखा है। पहाड़ी से बोल्डर गिर रहे हैं। ऐसे में यात्रियों की जान को खतरा हो सकता है। केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि अब देश में कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है, लेकिन सरकार इस लहर से लोगों को बचाने के बजाय यात्रा खोलने जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को यात्रा खोलनी है तो पहले धाम में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाय। केदारनाथ धाम में यात्रियों को सभी प्रकार की व्यवस्था मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था स्थानीय लोग करते हैं, लेकिन वे घरों में हैं। स्थानीय लोगों को केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में केदारनाथ धाम पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानियों से जूझना पड़ेगा।