पिथौरागढ़ में चीन सीमा को जोड़ने वाले पुल बहा, दर्जनों गांवों का संपर्क कटा
पिथौरागढ़. चीन सीमा को जोड़ने वाले उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले के कुलागाड़ पुल (Kulagad Bridge) बहने से हजारों की आबादी कैद हो गई है. हालात यह हो गये हैं कि ब्यास, दारमा और चौदांस घाटी के छह दर्जन से अधिक गांव बाकी दुनिया से पूरी तरह कट गए हैं. ऐसे में जिन लोगों को मजबूरी में आवाजाही करनी पड़ रही है उनके लिए कुलागाड़ को पार करना मौत को मात देने से कम नहीं है. नीचे उफनती नदी और नदी के ऊपर रस्सियों के सहारे आवाजाही हो रही है. जरा सी चूक होने पर इंसान सीधा मौत के मुंह में समा जाएगा. कुलागाड़ में पुल बहने के बाद हर दन लोग ऐसे ही आर-पार आने-जाने को मजबूर हैं. कुछ को रस्सियों के सहारे उनकी मंजिल तक पहुंचाया जा रहा है तो वहीं, कुछ तेज बहाव की नदी में बिजली के पोल के सहारे आर-पार आ-जा रहे हैं.
कुलागाड़ में बीआरओ ने 45 करोड़ की लागत से आरसीसी पुल बनाया था. लेकिन बीते आठ जुलाई की रात आई आसमानी आफत ने पुल को ध्वस्त कर दिया. ब्यास घाटी के निवासी अश्विन नपलच्याल कहते हैं कि लोगों को अपनी जिंदगी खतरे में डालनी पड़ रही है. यह पुल बॉर्डर की तीनों घाटियों की लाइफलाइन था. उन्होंने प्रशासन ने जल्द ही इस पुल के निर्माण की गुजारिश की है.
दरअसल कुलागाड़ के पुल के जरिए चीन और नेपाल सीमा से सटी दारमा, ब्यास और चौदांस घाटियां शेष दुनिया से जुड़ती थी. यही नहीं, बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी, एसएसबी और सेना के जवानों की आवाजाही भी इस पुल से होती थी. जवानों के लिए जरूरी साजो-सामान भी कूलागाड़ के अहम पुल के जरिए बीओपी तक पहुंचता था. लेकिन पुल बह जाने से सबकुछ जहां था वहीं थम गया है. प्रशासन अब कुलागाड़ में वैली ब्रिज बनाने की योजना बना रहा है. एडीएम फिंचाराम चौहान ने बताया कि पांच से छह दिन के भीतर बैली ब्रिज का निर्माण कर दिया जाएगा.. तब तक वैकल्पिक रास्तों की तलाश की जा रही है.
बता दें कि आसमानी आफत ने इस बार सरहदी इलाकों में ज्यादा तबाही मचाई है. इन इलाकों में अन्य पुल और सड़क भी जमींदोज हुए हैं. लेकिन बॉर्डर में रहने वालों को कुलागाड़ में मची तबाही ने सबसे अधिक संकट में डाला है. ऐसे में जब तक बैली ब्रिज नहीं लगता, लोग अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर आर-पार जाने को मजबूर रहेंगे.