खतलिंग ग्लेशियर की यात्रा,विजय कुमार नौटियाल की जुबानी

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नमस्कार दोस्तों मुझे अपनी देवभूमि, मातृ भूमि उत्तराखंड मे घूमने का बहुत शौक है । इसी कड़ी के साथ 2021 सितंबर में मैंने भगवान शिव की तपस्थली खतलिंग ग्लेशियर की यात्रा करी खतलिंग ग्लेशियर उत्तराखंड राज्य के जिला टिहरी गढ़वाल में स्थित है, जो अपने उच्च, शांत और सुंदर पहाड़ियों के लिए जाना जाता है। भिलंगना नदी के स्रोत के कारण गढ़वाल हिमालय का खतलिंग ग्लेशियर एक बहुत महत्वपूर्ण ग्लेशियर है। ग्लेशियर के आसपास हिमालय की मोटी बर्फ की चोटियों विधमान है जिन्हें जोगिन समूह (ऊंचाई: 6466 मीटर), स्पिस्टल प्रिसर्ट (6905 मीटर), बार्टा कौर (6579 मी) कीर्ति स्तम्भ (6902 मी) और मेरु के नाम से जाना जाता है।

खतलिंग ग्लेशियर का ट्रेक घत्तु से शुरू होता है, इस मार्ग की कुल दूरी करीब 45 किलोमीटर है। इस ट्रेक पर अन्य महत्वपूर्ण स्थान रीह, गंगी, कल्याणी और भोमकुगुफा हैं। रीह और गंगी में पर्यटक विश्रामगृह उपलब्ध हैं| गंगी दूरस्थ अंतिम गांव है जिसके बाद किसी भी तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं तथा ट्रेक में अपनी व्यवस्था स्वयं ही करनी होती है। ख़तलिंग ग्लेशियर का शिखर सबसे शानदार और आकर्षक है | इसी मार्ग में आगे वासुकीताल है जहाँ से केदारनाथ तक जाया जाता है।
यह ट्रेक खरसों के जंगलों के मध्य से गुजरता है जिससे यह अधिक रोमांचकारी और ज्ञानवर्धक सिद्ध होता है क्योंकि इस ट्रेक में अन्जान व्यक्तियों को भी उत्तराखंड की संस्कृति एवं विरासत के बारे में जानकारी प्राप्त होती है| ट्रेक में हरी घास के मैदान देख पर्यटक निशब्द रह जाते हैं|


भिलंगना घाटी में पहुँचने पर आसानी से शिविर के लिए उपयुक्त कई स्थान पाये जा सकते हैं | ट्रेकर्स को कैम्पिंग हेतु ऋषिकेश, टिहरी या देहरादून से पहले ही तम्बुओं तथा अन्य आवश्यक सामाग्री की व्यवस्था कर लेनी चाहिए व साथ साथ में मैंने अपने सामाजिक सेवा कार्यों को आगे बढ़ाते हुए कुछ दिव्यांग जनों के पुनर्वास के लिए उनके मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ उनके पुनर्वास हेतु कृत्रिम अंगों के लिए असेसमेंट किया व उन्हें भरोसा दिलाया कि वह भी सामान्य जन की तरह चल फिर सकते हैं व अपने सभी दैनिक कार्यों को सामान्य ढंग से कर सकते हैं। दोस्तों मेरा मानना है कि अपनी खुशी के साथ यदि किसी को उस खुशी में शामिल कर दूसरों के चेहरे पर खुशी ला सको तो इससे बड़ा कोई भी कार्य नहीं है, इसलिए मेरा प्रयास निरंतर यही रहता है कि अपने पर्यटन के साथ-साथ समाज में कमजोर ,बुजुर्ग व दिव्यांगजन हेतु थोड़ा बहुत यदि मेरे से कुछ हो सकता है तो मैं इस कार्य को अवश्य करूंगा जिसके लिए मुझे आप सबका आशीर्वाद व भगवान की कृपा मिलती रहे।