इस बार गैरसैंण से धामी कर सकते हैं ये बड़ी घोषणाएं

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इस बार गैरसैंण से धामी कर सकते हैं ये बड़ी घोषणाएं

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अजय ढौंडियाल की कलम से

uttarakhand elections 2022 चुनावी बरस है, और टी-20 के सियासी मैच में सारा दारोमदार आखिरी ओवर में उतारे गए बल्लेबाज पर ही है। लाजमी है कि चौके छक्के से कम नहीं चलेगा। धामी सरकार अपना आखिर विधानसभा सत्र गैरसैंण में करने जा रही है। 7-8 दिसंबर को दो दिन का सत्र रखा गया है। लाजमी है कि यहां घोषणाएं होनी हैं और पहाड़ के लिए पहाड़ चढ़कर ही होनी हैं। चुनावी बरस में सरकार के काम और घोषणाएं भी चुनाव को देखकर ही होंगी। सत्ता में वापसी को लेकर ही घोषणाएं की जाएंगी। दिल्ली से पीएम मोदी ने एक साल से चले आ रहे किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए उनकी मांगें मान ली और ऐलान कर दिया कि तीनों नए कृषि कानून वापस लिए जाएंगे। ये एक चुनावी घोषणा ही है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और यूपी-पंजाब पूरी तरह किसानों का है। यहां किसान ही उलटफेर करते हैं। उत्तराखंड की 18 मैदानी सीटें भी किसान बहुल मतदाताओं की हैं। ऐसे में ये 18 सीटें अब सध सकती हैं।

चलिए मान लिया कि उत्तराखंड का मैदान तो मोदी जी की घोषणा से साध लिया जाएगा लेकिन पहाड़ का क्या होगा? ऐसे में जरूरी है कि पहाड़ के लिए भी बड़ी घोषणाएं हों। पहाड़ में ज्वलंत मुद्दा भू कानून का है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को नौजवानों ने ही उठाया है गर्मा रखा है। उत्तराखंड में पचास फीसदी मतदाता युवा हैं, लिहाजा इन मतदाताओं को दरकिनार करना किसी भी दल के लिए घातक साबित होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस बात को समझते हैं, इसीलिए सत्ता में आते ही युवाओं के लिए नौकरियों का पिटारा खोला। ये बात अलग है कि चुनाव से पहले ये भर्तियां पूरी होनी संभव नहीं हैं।

अगर युवाओं की भू कानून की बड़ी और प्रमुख मांग को मानने की घोषणा गैरसैंण में कर दी गई तो युवाओं को धामी बीजेपी के पाले में कर सकते हैं। चुनावी घोषणा इस तरह भी की जा सकती है कि अगर दोबारा सत्ता में आते हैं तो भू कानून को सदन के पटल पर रख दिया जाएगा। फिलहाल भू कानून का ड्राफ्ट तैयार करने की कोशिश की जाए और इसके लिए जनता की राय आमंत्रित की जाए।

दूसरी तरफ देवस्थानम बोर्ड का पेच फंसा हुआ है। पंडा पुरोहितों द्वारा मोदी के दौरे से ऐन पहले केदारनाथ में जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोध किया गया उस मुद्दे को भी चुनाव से ऐन पहले निपटाना होगा। ऐसे में पीएम से चर्चा के बाद सीएम धामी इस पर बड़ा फैसला लेकर गैरसैंण से घोषणा कर सकते हैं।

कांग्रेस लगातार गैरसैंण राजधानी के मुद्दे को गर्मा रही है। हरीश रावत यहां तक ऐलान कर चुके हैं कि सत्ता में आते ही कांग्रेस तीन साल के भीतर राजधानी गैरसैंण ले जाएगी। हालांकि ये इतना आसान नहीं है, लेकिन धामी गैरसैंण राजधानी को लेकर भी बड़ी घोषणा कर सकते हैं। ये पहाड़ की जनता का भावनात्मक मुद्दा है।

उक्त तीन मुद्दे ऐसे हैं जो उत्तराखंड के चुनाव को बदलकर रख सकते हैं। वरना पता तो बीजेपी को भी है कि जनता में इस बार उबाल है। हर जगह विधायकों का विरोध हो रहा है। सीएम धामी भले ही अच्छे काम कर रहे हों, बड़ी अच्छी घोषणाएं कर रहे हों, लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि सीएम के नाम पर कभी कोई दल उत्तराखंड में जीता नहीं हैं। खंडूड़ी हैं जरूरी का नारा बीजेपी ने दिया था और जनता ने खंडूड़ी को चुनावी मैदान में धूल चटा दी थी।

टी 20 के मैच के आखिरी ओवर में उतारे गए धाकड़ बल्लेबाज को अब आखिरी गेंदों में चौके-छक्के तो लगाने ही पड़ेंगे, वरना फिर मौका पांच साल बाद मिलेगा।