उत्तराखंड बोर्ड के मेधावियों को लैपटॉप के लिए 40 हजार देगी सरकार! 

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उत्तराखंड बोर्ड के मेधावियों को लैपटॉप के लिए 40 हजार देगी सरकार! 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला 

सात साल बाद उत्तराखंड बोर्ड के हाईस्कूल व इंटर के टापर को लैपटाप मिल सकेंगे। पिछली कांग्रेस सरकार समेत भाजपा सरकार के पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री जिस फैसले को अमलीजामा नहीं पहना सके, आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनावी साल में उसे जमीन पर उतारने को कदम बढ़ा दिए हैं। इस वर्ष के बोर्ड परीक्षा टापर को लैपटाप खरीदने के लिए 45 हजार की राशि दी जाएगी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से धनराशि उनके बैंक खातों में दी जाएगी। यह तय किया गया है कि टैबलेट पाने वाले छात्र-छात्राओं को लैपटाप नहीं दिया जाएगा। इस फैसले से वर्तमान में 11वीं कक्षा में अध्ययनरत 10वीं कक्षा के टापर छात्र-छात्राओं की अधिक संख्या को लैपटाप का लाभ मिल सकता है। पिछली सरकार के कार्यकाल में उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं व 12वीं की मेरिट सूची में शामिल छात्र-छात्राओं को लैपटाप देने का निर्णय हुआ था। वर्ष 2015 में इस संबंध में शिक्षा विभाग ने आदेश भी जारी किया, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा सका। पिछली सरकार अपने शेष कार्यकाल में इस आदेश को क्रियान्वित नहीं कर पाई थी। इसके बाद 2017 में सत्ता में आई भाजपा सरकार ने वर्ष 2019-20 में बोर्ड के मेधावियों को लैपटाप देने का निर्णय किया था। हालांकि दो शैक्षिक सत्र गुजरने के बावजूद इस निर्णय पर अमल नहीं हो सका। उत्तराखंड बोर्ड के टापर को लैपटाप देने का निर्णय लिया गया है। पहले लैपटाप के लिए 40 हजार रुपये की राशि शिक्षा विभाग की ओर से प्रस्तावित की गई थी। लैपटाप की कीमत में वृद्धि को देखते हुए अब इसके लिए 45 हजार रुपये की राशि देने का निर्णय किया गया है। यह धनराशि डीबीटी के माध्यम से टापर छात्र-छात्राओं को दी जाएगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने 10वीं व 12वीं कक्षा में अध्ययनरत 1.59 लाख छात्र-छात्राओं को टैबलेट देने का निर्णय किया है। टैबलेट के लिए 12 हजार की राशि छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में दी जाएगी। यह तय किया गया है कि छात्र-छात्राओं को लैपटाप और टैबलेट का दोहरा लाभ नहीं दिया जाएगा। ऐसे में 11वीं कक्षा में अध्ययनरत 10वीं की मेरिट सूची में शामिल छात्र-छात्राओं की अधिक संख्या को इसका लाभ देने पर विचार होगा। टैबलेट और लैपटाप देने का मामला को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से उत्तराखंड बोर्ड के वर्ष 2019-20 के मेधावी छात्र-छात्राओं को लैपटॉप दिए जाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए तय किया गया था कि विभाग की ओर से लैपटॉप उपलब्ध कराए जाएंगे, लेकिन अब तक मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए लैपटॉप नहीं खरीदे जा सके हैं। विभाग ने इसके लिए अब तक टैंडर भी नहीं निकाले हैं। अब जब विधानसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं तो मेधावी छात्रों को लैपटॉप खरीदकर देने के बजाए डीबीटी के माध्यम से इसकी रकम देने का निर्णय लिया गया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं और 12वीं की मेरिट सूची में टॉप 25 में आए छात्र-छात्राओं के खातों में यह रकम दी जाएगी। विभाग ने इसके लिए विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर से ऐसे छात्र-छात्राओं की सूची मंगा ली है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं और 12वीं के टॉप 25 छात्र-छात्राओं में करीब 125 छात्र-छात्राएं इस दायरे में आ रहे हैं। जिन्हें लैपटॉप के लिए धनराशि दी जाएगी।उत्तराखंड बोर्ड के मेधावी छात्र-छात्राओं को जल्द ही लैपटॉप के लिए डीबीटी के माध्यम से पैसा दिया जाएगा। इसके लिए 50 लाख रुपये की व्यवस्था की गई है। शासन से आदेश मिलते ही छात्रों को इसके लिए धनराशि दे दी जाएगी। अब सवाल यह है कि छात्र छात्राओं को चुनाव के समय राशि तो भले मिल जाएगी पर क्या 2019 से सरकार ने किसी भी बड़ी कंपनी से लैपटॉप बनाने पर करार नहीं किया था आखिर सरकार को 2019 के बजाय 2022 में क्यों छात्रों की याद आ रही है।अगर सरकार 2020 में ही किसी बड़ी कंपनी के साथ लैपटॉप बनाने या खरीदने पर करार कर लेती तो 2019 में भी 2020 में भी और 2021 के 25 छात्र छात्राओं को समय पर लैपटॉप ही मिल जाता।अब भले सरकार ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को मध्य नजर रखते हुए 5000000 रुपए का आपातकालीन बजट स्टूडेंट के लिए अलग कर लिया है।मगर जिस छात्र ने 2019 में 12वीं कर लिया हो अगर वह अभी पढ़ाई कर रहा है तो ठीक है अगर उसने किसी ऐसे क्षेत्र में नौकरी करना शुरू कर लिया जहां पर लैपटॉप का कुछ भी काम नहीं है तो क्या वह इन पैसों का कुछ और कर सकता है या नहीं।अगर आप ऐसे छात्र को ₹40000 दे रहे हैं जिसके लिए लैपटॉप खरीदना जरूरी नहीं है तो क्या सरकार उसे लैपटॉप खरीदने पर मजबूर करेगी या छात्र की मर्जी हो वह लैपटॉप खरीदे या कुछ और यहां भी सरकार को बताना पड़ेगा।दूसरी तरफ उत्तराखंड में जल्दी चुनाव आयोग की आचार संहिता लगने वाली है जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ना तो कोई घोषणा कर सकती है ना ही प्रदेश में कोई योजना शुरू कर सकती है।