ओमिक्रान को लेकर भारत-नेपाल बार्डर

0
497

ओमिक्रान को लेकर भारतनेपाल बार्डर

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रान का खतरा भारत में तेजी से बढ़ रहा है। इसको लेकर भारतनेपाल बार्डर पर अब नए आदेश जारी किए गए हैं। रविवार को शारदा बैराज के रास्ते बाइक से भारत रहे तीन नेपाली नागरिकों की रिपोर्ट पाजिटिव मिली है। जिससे बाद उन्हें भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। वहीं अब भारतनेपाल मैत्री बसों में नेपाल की ओर से आने वाले यात्रियों के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य कर दिया गया है। भारत की ओर से अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए आरटीपीसीआर रिपोर्ट ला रहे नेपाली यात्रियों का रैंडम टेस्ट किया जा रहा है। नेपाल के महेंद्र नगर और दिल्ली-देहरादून के बीच मैत्री बस सेवा का संचालन जारी है। इन बसों में रोजाना औसतन 450 से 500 के करीब यात्री आवागमन कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान मैत्री बसों में सफर कर रहे कई यात्री कोरोना पाजिटिव पाए जा चुके हैं। शारदा बैराज के रास्ते पैदल अथवा दोपहिया वाहनों में बनबसा आने वाले कई नेपाली नागरिक भी पाजिटिव मिले हैं। जिसके बाद भारतीय प्रशासन ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं। अब मैत्री बसों में नेपाल से आ रहे यात्रियों के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट साथ में लाना जरूरी कर दिया गया है। डा. ने बताया कि शनिवार की शाम नेपाल से आने वाली मैत्री बसों में कोई भी यात्री पाजिटिव नहीं मिला। रविवार को हुई जांच में भारत की ओर आ रहे तीन नेपाली नागरिक पाजिटिव पाए गए हैं। इस सभी को वापस नेपाल भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि शाम छह बजे बाद नेपाल से चलने वाली मैत्री बसों में आ रहे सभी यात्रियों की जांच की जा रही है। इधर टनकपुर प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। एसडीएम ने बताया कि मैत्री बसों में नेपाल से रहे यात्रियों को आरटीसीआर रिपोर्ट साथ में लाने के लिए कहा गया है। इस संबंध में बैराज पर तैनात भारतीय स्वास्थ्य विभाग की टीम हर यात्री की रैंडम जांच भी कर रही है। बिना जांच के बैराज के रास्ते आने वाले नेपाली नागरिकों को बनबसा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है नेपाल से भारत आ रहे नागरिकों में कोरोना पाए जाने के बाद भारतीय प्रशासन ने बैराज पर तैनात पुलिस और एसएसबी को पॉजिटिव आने वाले नागरिकों को भारत में प्रवेश नहीं करने देने के निर्देश दिए हैं। जिले में कोरोना के तीसरे वैरियंट ओमिक्रॉन का कोई भी मामला नहीं आया है, लेकिन प्रशासन फूंक फूंक क कदम रख रहा है। भारत और नेपाल की मैत्री बसों में रोजाना 450 से 500 के करीब यात्री आवागमन करते हैं। इस लिहाजा से सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण हो गई है। सीएमओ ने बताया कि बैराज में मौजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम की संख्या बढ़ा दी गई है। हर यात्री की जांच काफी गहनता से की जा रही है। एसडीएम ने बताया कि कोरोना पॉजीटिव पाए जा रहे यात्रियों एवं पैदल अथवा दुपहिया वाहनों से भारत की ओर रहे नेपाली नागरिकों को भारत में तभी प्रवेश की अनुमति दी जाएगी जब उनकी कोविड जांच रिपोर्ट निगेटिव आएगी। देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रान के खतरे के बीच उत्तराखंड में भी भारतीय प्रशासन ने नेपाल बॉर्डर पर सख्ती कर दी है. अब नेपाल से उन्हीं लोगों को भारत आने दिया जा रहा है. जो सरकार के कोरोना को लेकर बनाए मानकों को पूरा करते हैं. यही नहीं, संक्रमण रोकने के लिए सैंप्लिंग भी बढ़ाई जा रही है. पिथौरागढ़ में नेपाल से तकरीबन 150 किलोमीटर का बॉर्डर लगा है. इस खुले बॉर्डर के 6 स्थानों पर झूलापुलों के जरिए दोनों मुल्कों को जोड़ा गया है. आमतौर पर इन पुलों से नियत समय तक बेरोक-टोक आवाजाही होती है.लेकिन बीते कुछ दिनों से कोरोना के बढ़ते मामलों और नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की आशंका के मद्देनजर नेपाली नागरिकों के भारत में प्रवेश पर सख्ती बरती जा रही है. पिथौरागढ़ के डीएम ने बताया कि धारचूला से लेकर झूलाघाट तक सभी झूलों से सिर्फ उन्हीं नेपाली नागरिकों को भारत में प्रवेश करने दिया जा रहा है, जिनकी 15 दिनों के भीतर की कोविड टेस्ट रिपोर्ट नगेटिव हो या फिर जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ली हों. नेपाल के बैतड़ी और दार्चुला के जिला प्रमुखों को भी सूचित किया गया है. बॉर्डर पर एसएसबी और हेल्थ डिपार्टमेंट की टीमें लगाई गई हैं. दरअसल उत्तराखंड के नेपाल से लगे बॉर्डर इलाकों में दोनों मुल्क एक-दूसरे पर पूरी तरह निर्भर हैं. व्यापार के साथ ही दोनों मुल्कों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते भी हैं.ऐसे में सदियों से दोनों मुल्कों के बीच रोटी और बेटी के रिश्ते कामय हैं. लेकिन कोरोना की बढ़ते मामलों ने प्रशासन को फिर से चिंता में डाल दिया है. प्रशासन अब संवेदनशील इलाकों में हेल्थ डिपार्टमेंट की टीमें भी तैनात कर रहा है. साथ ही सैंपलिंग के दायरे भी बढ़ा रहा है नेपाली नागरिकों को अब भारत में पहचान पत्र दिखाकर ही प्रवेश दिया जाएगा. सीमा पर सुरक्षा एंजेंसियों ने सख्ती शुरू कर दी है. पिथौरागढ़ की नेपाल से 150 किमी से अधिक लंबी खुली सीमा लगी है. भारत- नेपाल सीमा पर काली नदी में सीतापुल, ऐलागाड़, धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीबी, झूलाघाट में झूलापुल हैं. इन पुलों से भारत में रोजगार के लिए भारी संख्या में नेपाल के लोग आवावाजाही करते हैं.हाल में भारत के कालापानी से सटे कुटी, गुंजी, नाभी पर नेपाल अपना दावा कर चुका है. उसने इन उच्च हिमालयी माइग्रेशन वाले गांवों में जनगणना के लिए टीम भेजने की कोशिश भी की लेकिन सफलता नहीं मिली. अब उसने अपने माइग्रेशन गांव तिंगर और छांगरू की आड़ में भारतीय रास्ते से जाने के लिए अनुमति मांगी है. 29 दिन से अधिक समय बाद भी अनुमति नहीं मिलने पर नेपाल ने विदेश मंत्रालय के जरिए यह कार्य करने का प्रयास किया है. वहीं नेपाल के भारतीय भूभाग को लेकर बदले नजरिए और दावे के बाद सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर अलर्ट मोड पर आ गई हैं.