सीमांत क्षेत्र में धौली गंगा पर बन रही झील
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
प्राकृतिक आपदा के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है। इन दिनों पहाड़ में सिर्फ भूस्खलन की घटनाएं ही नहीं बढ़ रहीं, बल्कि ग्लेशियर में झीलों के बनने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। बीते फरवरी में चमोली के रैणी गांव में आपदा से कैसी तबाही मची थी, ये हम सबने देखा। अब एक चिंता बढ़ाने वाली खबर नीती-मलारी सीमा से आई है। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ से करीब 80 किलोमीटर आगे और नीती गांव से डेढ़ किलोमीटर पहले धौली नदी पर बनने की है। जिससे स्थानीय लोग डरे हुए हैं। झील क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर लौटे हिमालयी पारिस्थितिकी के जानकार ने बताया कि यह झील लगभग 20 से 30 मीटर लंबी व 15 से 20 मीटर चौड़ी है। उच्च हिमालय क्षेत्र में इस तरह की झील का बनना कोई खास अचरज की बात नहीं है, लेकिन यह झील नदी के बहाव के विपरीत बनी है।थोड़ी सी बरसात होते ही ये झील क्षेत्र में बड़ी तबाही ला सकती है। अच्छी बात ये है कि मामले का संज्ञान लेते हुए इस संबंध में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। नन्दादेवी बायोस्फीयर के प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि सड़क निर्माण का मलबा नदी में डाले जाने पर एक बार फिर से संबंधित विभाग को नोटिस भेजा गया है। इसके अलावा सड़क निर्माण एजेंसी पर ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।चीन सीमा से लगे जोशीमठ-मलारी-नीती राष्ट्रीय राजमार्ग पर नीती गांव के निकट पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा टूटकर धौली गंगा में आ गिरा। इससे तकरीबन 20 मीटर हिस्से में धौली गंगा का प्रवाह धीमा हो गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हाइवे के चौड़ीकरण का कार्य कर रही सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की निर्माण एजेंसी ओएसिस सड़क चौड़ीकरण का मलबा धौली गंगा में डाल रही है। इसी से यह समस्या आ खड़ी हुई। उधर, जिलाधिकारी ने मामले में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी को मौके पर जाकर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। वहीं, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर वन विभाग व प्रशासन की टीम मौके पर भेजी गई है। हालांकि, स्थानीय निवासियों से बातचीत के आधार पर पता चला कि वहां झील से खतरे जैसी कोई बात नहीं है।हाइवे के चौड़ीकरण में पर्यावरण मानकों की अनदेखी भविष्य में बड़ी आपदाओं का जन्म देगी। लिहाजा, इसके लिए जिम्मेदार संस्थाओं पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के माध्यम से भेजे गए इस पत्र में उल्लेख है कि यह नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क का संरक्षित क्षेत्र है।किसी भी आपदा को यह मलवा कई गुना बढ़ा सकता है। नीति घाटी पूर्व में इसी तरह की आपदाओं की गवाह रही है । इसी साल फरवरी माह की आपदा को बीते अभी 9 माह ही बीते हैं । जिसमें 200 से अधिक लोगों ने प्राण गंवाए इस स्थान का दौरा करने के बाद कहा कि यह परिघटना किसी भी दिन बड़ा रूप ले सकती है। नदी में डंप किया जा रहा मलवा बड़ी तबाही का कारण बन सकता है ने सरकार से इस पर तुरंत कार्यवाही करने की मांग करते हुए इसके लिए दोषी जिम्मेदार इकाइयों व लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करने की भी मांग की। वन विभाग जो कि इस सबकी देखरेख के लिए जिम्मेदार है की लापरवाही पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए ।भारत चीन सीमा पर भारत के सीमान्त गांव नीति में झील बनने का कारण यह है कि सड़क निर्माण का मलबा निर्धारित डंपिंग जोन में डाले जाने के बजाय सीधे धौली गंगा नदी के हवाले किया जा रहा है. इस झील के आगे नदी के रास्ते में जगह जगह बड़े-बड़े बोल्डरों व मलबे का ढेर लगा है. जो लगातार नदी के पूरे बहाव को रोक रहा है. जोकि थोड़ी सी बरसात में भी बड़े खतरे का कारण बन सकता है.