उत्तराखंड को 21 साल बाद मिला सात नहरों पर अधिकार

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उत्तराखंड को 21 साल बाद मिला सात नहरों पर अधिकार

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

21 वर्षों में उत्तराखंड ने बहुत प्रगति की, लेकिन अब भी बहुत चुनौतियां हैं। इसका सामना सभी को मिलकर करना होगा।उत्तराखंड की संपत्ति पर आज भी उत्तर प्रदेश का हक बरकरार था। चुनाव में हर घोषणापत्र में पार्टियों का ये दावा रहता है कि उनके कार्यकाल में संपत्ति विवाद निपटा लिया जाएगा, लेकिन उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को अलग हुए 21 साल गुजर गए मगर नये राज्य को अपने हक की पूरी परिसम्पत्तियां पैतृक राज्य उत्तर प्रदेश से ही नहीं मिल पाईं. इन सम्पत्तियों के लिये दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच खानापूर्ति के लिये कई मीटिंगे होती रही. मगर, आज तक नतीजा सिफर ही निकला. इसका सबसे बड़ा कारण राज्य पुनर्गठन अधिनियम है. जब तक उत्तर प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम में धारा 79, 80, 81 एवं 82 रहेंगी, तब तक परिसंपत्तियों का निपटारा नहीं होगा.उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड सिंचाई खंड ने दो दशक बाद राज्य की भौगोलिक सीमा से निकलने वाली सात नहरों पर उत्तराखंड सिंचाई विभाग को अधिकार सौंप दिया है। राज्य की सीमा तक इन नहरों के जल, जमीन पर स्थानीय विभाग का पूर्णरूप से हस्तक्षेप रहेगा। परिसंपत्तियों के बंटवारे के बाद स्थानीय विभाग अब किसानों से सिंचाई के रूप में राजस्व भी प्राप्त कर सकेगा। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं हो सका था। नानकसागर व बैगुल जलाशयों पर उप्र रुहेलखंड सिंचाई खंड का अधिकारिक तौर पर कब्जा था। है उत्तर प्रदेश से अलग एक पहाड़ी राज्य के गठन को लेकर तत्कालिक सरकार ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 को लागू किया था. ताकि राज्य गठन के बाद परिसंपत्तियों का बंटवारा किया जा सके, लेकिन पुनर्गठन अधिनियम में कुछ ऐसे प्रावधान भी किए गए जिसके चलते उत्तराखंड का अपने जल संसाधन पर मालिकाना हक नहीं रहा. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश, नहरों और जलाशयों पर उत्तराखंड को मालिकाना हक नहीं दे रहा है. यही नहीं, रामगंगा जलविद्युत परियोजना में पावर हाउस उत्तराखंड का है. उसे चलाने वाला पानी (बांध) उत्तर प्रदेश का है. जबकि दोनों जलाशय प्रदेश की भौगोलिक सीमा में हैं। परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर दो दशक से कागजी कार्यवाही चल रही थी।कई बार दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और सिंचाई विभाग के अफसरों के मध्य वार्ता भी हुई। लेकिन बात नहीं बनी। यूपी व प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद मसले के हल की उम्मीद बढ़ी। रुहेलखंड सिंचाई खंड ने बैगुल डैम से निकलने वाली सात नहरों पर उत्तराखंड की सीमा तक कब्जा दे दिया है। पहले इन सात नहरों के दायरे में आने वाले किसानों से रुहेलखंड सिंचाई खंड के अफसर ही राजस्व प्राप्त करते थे।सात नहरों के जल से 900 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। इससे विभाग को साल भर में करीब 72 हजार रुपये का राजस्व मिलेगा। अरविंद सिंह नेगी, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग ने बताया कि उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड सिंचाई खंड ने परिसंपत्तियों के बंटवारे में राज्य को बैगुल डैम से जुड़ी सात नहरों पर अधिकार दे दिया है। नहरों पर अधिकार मिलने के बाद 900 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में सिंचाई के बदले अब छमाही राजस्व मिलेगा।