अल्मोड़ा। नेतृत्व क्षममा के आधार पर अल्मोड़ा सीट पर कांग्रेस से इस बार बिट्टू कर्नाटक की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है। जातिय समीकरणों के आधार पर भी बिट्टू कर्नाटक कांग्रेस के प्रबल उम्मीदर हो सकते है।
पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड में करारी हार का सामना कर चुकी कांग्रेस इस बार फंूक फंूक कर कदम रख रही है। इस बार कांग्रेस उत्तराखण्ड में परिवारवाद और अन्य तरह के वादों से उपर उठकर जिताऊ उम्मीदद्वारों को टिकट देगी ऐसा समझा जा रहा है। हर सीट पर कांग्रेस में विचार मंथन का दौर जारी है। पहाडी क्षेत्रों में कई स्थानों पर सदियों से जारी परमपंराए जा भी जारी है। जिससे हमेशा जीत के समीकरण गड़बड़ाने की आशंका बनी रहती है। दुसरे इससे क्षेत्रवाद व जातिवाद को बढ़ावा मिलता है और कई बार इसी प्रकार के समीकरणों के चलते पार्टी जिताऊ उम्मीदद्वार को छोड क्षेत्र की धारा में बह जाति है। किन्तु इस बार कांग्रेस को अगर विधानसभा चुनाव जीतना है तो उसे हर तरह से वाद से उपर उठकर विचार करना होगा। करारी हार का सामना करने और कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस में मास लीडर की कमी खल रही थी। यह राजनीति के सभी पुरोधा जानते है। इस बार कांग्रेस के हर जिले में नेतृत्व की क्षमता रखने वाले उर्जावान पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की तलाश है। इस हिसाब से बिट्टू कर्नाटक कांग्रेस के खांचे में फिट बैठते है। ऐसा क्षेत्र के लोगों का मानना है। 2017 के विधानसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर मनोज तिवारी कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतरे थे। किन्तु उन्हे भाजपा प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा। बिट्टू कर्नाटक पिछले कई साल से समाज सेवा के कार्यो में बढ़ चढ कर हिस्सा लेते आए है। युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ होने के साथ ही वे एक जमीनी नेता के रूप में भी अपनी पहचान बना चुके है। जिनमें पार्टी के लिए नेतृत्व करने के साथ ही पार्टी का प्रतिनिधित्व करने की भी छमता है। इस बार फिर अल्मोड़ा सीट पर फिर से बिट्टू कर्नाटक ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा है। अब पार्टी आलाकमान क्या विचार करती है। यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।