ओमीक्रान के बढ़ते खतरे के बीच विधानसभा चुनाव!

0
342

ओमीक्रान के बढ़ते खतरे के बीच विधानसभा चुनाव!

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

देश के कई राज्यों में एक बार फिर से कोरोना वायरस के केस बढ़ने शुरू हो गए हैं. दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में संक्रमण की दर तेजी से बढ़ रहा है. कोरोना की रोकथाम के लिए कई राज्यों ने पहले ही सख्त प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इस बीच तेलंगाना सरकार ने कहा है कि मास्क न पहनने पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं कोरोना महामारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति भवन का भ्रमण और राष्ट्रपति भवन संग्रहालय शनिवार से बंद कर दिया गया है. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव तय समय पर होंगे या ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को देखते हुए कौन से प्रतिबंध लागू होंगे, इसको लेकर आज तस्वीर साफ हो सकती है। हाईकोर्ट में राज्य में विधान सभा के चुनाव स्थगित किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की ओर से केंद्रीय निर्वाचन आयोग की ओर से जवाब दाखिल किया जाएगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ आज इस याचिका पर सुनवाई करेगी। अधिवक्ता ने पहले से विचाराधीन सच्चिदानंद डबराल व अन्य से संबंधित जनहित याचिका में कोर्ट के आदेशों के विपरीत विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा कोविड नियमों के विपरीत की जा रही रैलियों की तस्वीरें संलग्न कर प्रार्थना पत्र कोर्ट में पेश किया है। जिसमें कहा है कि सियासी रैलियों में कोरोना संक्रमण फैलने की पूरी संभावना है।राजनीतिक दलों की ओर से कोविड के नियमो का उल्लंघन किया जा रहा है। कोरोना के नए वैरिएंट का जिक्र करते हुए कहा है कि यह कोविड के किसी भी अन्य संस्करण की तुलना में 300% से अधिक तेजी से फैल रहा है। लोगों के जीवन की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो गया है कि चुनावी रैलियों जैसी बड़ी सभाओं से बचा जाए। सभी राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वे अपनी रैलियां वर्चुअल रूप से ही करें, उन्होंने यह भी कहा है कि विधान सभा के चुनाव स्थगित किए जाएं व इस सम्बंध में चुनाव आयोग भारत सरकार को निर्देश दिए जाएं। देश में कोरोना वायरस और इसके नए स्वरूप ‘ओमीक्रॉन’ के बढ़ते मामलों के बीच निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है.सभी दल अभी से बड़ी-बड़ी रैलियां आयोजित कर रहे हैं और इन रैलियों में भारी भीड़ भी उमड़ रही है. ऐसे में आगामी चुनावों को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. कोरोना संक्रमण के मामलों में आई तेजी और कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की उत्तराखंड में दस्तक ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसे देखते हुए सरकार अब राज्य में कोविड प्रतिबंध लागू कर सकती है। इसके लिए अन्य राज्यों की भांति यहां भी नाइट कर्फ्यू में सख्ती, भीड़ नियंत्रण जैसे विषयों को लेकर सोमवार को उच्च स्तर पर मंथन के बाद कोई निर्णय लिया जा सकता है।उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पिछले कुछ दिनों से तेजी से बढ़ी है। सोमवार को प्रदेशभर में कोरोना के 259 मामले सामने आए। इसके साथ ही एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 506 हो गई है। देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर पौड़ी जिलों में कोरोना के मामले अधिक पाए गए हैं। बाजार के साथ ही विभिन्न आयोजनों में भीड़ नियंत्रण के संबंध में कुछ प्रतिबंध लगाने पर निर्णय लिया जा सकता है। इसके अलावा स्कूल-कालेजों में 15 से 18 वर्ष की आयु के सभी बच्चों का निश्चित समयावधि के भीतर टीकाकरण करने के बाद स्कूल-कालेज बंद करने का भी फैसला लिया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि कोविड प्रतिबंध के लिए अन्य राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों का अध्ययन शुरू कर दिया गया है। यही नहीं, कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के आठ मामले भी अब तक राज्य में रिपोर्ट हुए, महामारी के दौरान कई मुल्कों में चुनाव हुए हैं. अपने यहां भी बिहार से लेकर बंगाल और केरल से लेकर तमिलनाडु तक कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं. कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों के मुताबिक यदि चुनाव कराए जाएं तो कोई दिक्कत नहीं है. रैलियों का आयोजन खतरनाक है, ये बंद होनी चाहिए. सही बात है. दिन में रैली और रात में कर्फ्यू का कोई मतलब नहीं होता है. इससे तो कोई समाधान निकलने वाला नहीं है. इससे संक्रमण थोड़े ही रुकने वाला है.निर्वाचन आयोग तो बाद में पिक्चर में आएगा, जब चुनावों की घोषणा हो जाएगी और आचार संहिता लागू हो जाएगी. इससे पहले तो सरकार को कदम उठाने चाहिए. अभी तो सरकार के ही नियम कानून लागू हैं.रात में कर्फ्यू तो सरकार ने ही लगाया है. सरकार को चाहिए वह इन रैलियों के आयोजन पर रोक लगाए. चुनावों की घोषणा के बाद निर्वाचन आयोग को पहला काम इन रैलियों पर प्रतिबंध लगाने का करना चाहिए. निर्वाचन आयोग के प्रोटोकॉल बहुत ही अच्छे हैं. इसका क्रियान्वयन अच्छे ढंग से होना चाहिए. अगर यह नहीं होता है तो कोताही है, लापरवाही है. हर सूरत में निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए. आयोग को हर स्थिति में यह सुनिश्चित करना होगा. निर्वाचन आयोग को इस पर गौर करना चाहिए तथा सरकार को इसमें सहयोग देना चाहिए. एक ही बार में सुरक्षा संबंधी सभी इंतजाम किए जा सकते हैं. यदि सरकार इसकी व्यवस्था कर दे तो कम से कम चरण या फिर एक या दो चरण में मतदान संपन्न हो सकता है. निर्वाचन आयोग के प्रोटोकॉल बहुत ही अच्छे हैं. इसका क्रियान्वयन अच्छे ढंग से होना चाहिए. अगर यह नहीं होता है तो कोताही है, लापरवाही है. हर सूरत में निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए. आयोग को हर स्थिति में यह सुनिश्चित करना होगा. यदि सरकार इसकी व्यवस्था कर दे तो कम से कम चरण या फिर एक या दो चरण में मतदान संपन्न हो सकता है. देश में एक तरफ जहां कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के केस बढ़ते जा रहे हैं, वहीं कोरोना के कुल मामलों ने भी रफ्तार पकड़ ली है. ऐसा लग रहा है कि देश कोरोना वायरस की तीसरी लहर की चपेट में आ चुका है. रोज आने वाले कोरोना मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इसे देखते हुए कई राज्यों में कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. अभी तक सरकारें केवल नाइट कर्फ्यू और ऑड-ईवेन की तर्ज पर दुकानें बंद करने के प्रावधान कर रही थीं. लेकिन अब कई जगहों पर पूरे प्रतिबंध लगा दिए हैं. पश्चिम बंगाल और हरियाणा की सरकारों ने इस तरह के प्रतिबंधों का ऐलान किया है. कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते कई राज्यों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं. सबसे पहले चंडीगढ़ में स्‍कूल बंद किए गए थे. इसके बाद राजधानी दिल्‍ली और उत्‍तर प्रदेश में भी शैक्षणिक संस्‍थान बंद किए गए. राज्‍यों ने विंटर वेकेशन को रीशेड्यूल कर तय डेट से पहले लागू कर दिया है. इन राज्यों के अलावा अब ओड़िशा और तमिलनाडु ने भी स्कूलों को बंद रखने का फैसला लिया है. इन राज्यों में तीन जनवरी से स्कूल खुलने वाले थे. हालांकि, तमिलनाडु में कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खुले रहेंगे. यहां ऑफ़लाइन कक्षाएं जारी रहेंगी. राज्य सरकार को उम्मीद है कि जल्दी ही इन क्लासों के छात्रों का टीकाकरण शुरू होगा, इसलिए ये फैसला लिया गया है. सरकार के मुताबिक, अस्पतालों को स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की समीक्षा करनी होगी और भर्ती मरीजों का सही इलाज सुनिश्चित करना होगा.