सिर्फ बजट से नहीं बदलेगी सूरत

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सिर्फ बजट से नहीं बदलेगी सूरत

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

आचार संहिता से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हल्द्वानी में शहरी विकास की 6712 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास किया था। चुनाव से पहले किए गए ताबड़तोड़ शिलान्यास को महज चुनावी दांव-पेच माना जा रहा था। लिहाजा, सवाल खड़े हो रहे थे कि परियोजनाओं पर कब काम शुरू होगा और यह धरातल पर कब उतरेंगी। अब आम बजट में पेयजल, अमृत योजना, स्वच्छ भारत मिशन और शहरी ढांचागत विकास के तमाम प्रविधान में इन सवालों का समाधान मिलता दिख रहा है। आम बजट में देश के विभिन्न शहरों के विकास के लिए केंद्र सरकार ने चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रविधान किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तराखंड के शहरों के विकास के लिए भी अच्छी खासी रकम मिल सकती है। आम बजट में जल जीवन मिशन, पेयजल आपूर्ति, सीवरेज व्यवस्था के लिए दो लाख 87 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। इन्हीं योजनाओं में उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी (यूयूएसडीए) को मिली स्वीकृति की बात करें तो 1875 करोड़ रुपये से 22 बड़े शहरों का विकास किया जाएगा। लिहाजा, उम्मीद है कि इन योजनाओं में बजट की कमी आड़े नहीं आएगी। मध्यम श्रेणी के 14 शहरों के लिए 2812 करोड़ रुपये की योजनाओं को स्वीकृति मिली है। यूयूएसडीए के अधिकारियों को उम्मीद है कि इनमें भी बजट की कमी नहीं होगी। सार्वजनिक परिवहन के लिए 18 हजार करोड़ का प्रविधान, हमें चाहिए 1875 करोड़केंद्रीय बजट में सार्वजनिक परिवहन को दुरुस्त करने के लिए 18 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया है। उत्तराखंड में भी विभिन्न शहरों की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैैं। राजधानी देहरादून की बात करें तो स्मार्ट सिटी कंपनी की 1875 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी मिल चुकी है। इसके तहत देहरादून और मसूरी में 100 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा और सड़क के 60 किमी भाग को स्मार्ट रोड के रूप में विकसित किया जाएगा। बजट के इस पैकेज से देहरादून व अन्य शहरों को भी राशि मिलने की उम्मीद है। उत्तराखंड में अभी राजमार्गों का विकास शुरू हुआ है। तमाम पर्वतीय क्षेत्रों में अब भी राजमार्ग महज दो व एक लेन के हैं। ऐसे में राजमार्गों के विकास के लिए 5.35 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा ने राज्य की उम्मीद बढ़ा दी है। उत्तराखंड के हिस्से भी इस पैकेज से धनराशि आई तो पर्वतीय क्षेत्रों का दुरूह सफर सुगम होगा और पर्यटन सेक्टर के लिए भी यह राहत की बात होगी। केंद्रीय बजट से उत्तराखंड के शहरों को लाभ मिलने की पूरी उम्मीद है, पर क्या शहरों के विकास के लिए इतना काफी है। जब तक सरकारी मशीनरी पुराने ढर्रे से बाहर नहीं निकलेगी, तब तक कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती। वर्तमान में हमारे शहर आबादी के दबाव से हांफ रहे हैं और संसाधन सिमटते जा रहे हैं। प्रमुख शहरों से लेकर छोटे नगरों तक में सड़क पर जाम लगा रहता है और सड़क से अतिक्रमण तक हटाने का साहस अधिकारी नहीं जुटा पाते। जिस देहरादून शहर में सबसे पहले मास्टर प्लान लागू किया गया, वहां भी शहर की बसावट व मास्टर प्लान में कहीं मेल नजर नहीं आता। लिहाजा, शहरों के विकास के लिए नियमों का समुचित पालन कराना होगा। इसके अलावा शहर के मौजूदा भाग को बेहतर बनाने के साथ शहरों के विस्तार की दिशा या नए शहर बसाने की दिशा में भी एक साथ काम शुरू करना होगा। स्वच्छता के मोर्चे पर भी बेहतर प्लानिंग के बिना योजना परवान नहीं चढ़ पाएंगी। सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक का कहना है कि बजट में शहरी विकास के लिहाज से काफी कुछ नजर आ रहा है। अब यह राज्यों पर है कि उसका कितना लाभ ले पाते हैं। प्रदेश में शहरी विकास के लिए शहरी विकास निदेशालय के अलावा उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी, पेयजल निगम, स्मार्ट सिटी कंपनी सीधे तौर पर काम कर रहे हैं। लिहाजा, अधिकारियों को शासन के साथ मिलकर बेहतर योजना बनानी होगी। जिससे उत्तराखंड की स्वीकृत योजनाओं को जल्द बजट मिल सके और नई योजनाओं के लिए बजट का इंतजाम कराया जा सके। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की बात करें तो उत्तराखंड में कम से कम 40 हजार सस्ते आवासों का निर्माण किया जाना है। उत्तराखंड में सस्ते आवासों के निर्माण की प्रगति नगण्य है। अब तक महज 464 आवास ही तैयार किए जा सके हैं। बजट में घोषणा की गई है कि पीएम आवास के लिए 48 हजार करोड़ रुपये तय किए गए हैं। ऐसे में उत्तराखंड में भी सस्ते आवास की योजना के परवान चढऩे की उम्मीद है। यदि हमारे विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद के अधिकारी बेहतर प्रयास करें तो एक साल के भीतर काफी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ‘डबल इंजन’ पर सवार हो पांचवीं विधानसभा के चुनावी रण को जीतने के लिए मैदान में डटी भाजपा को आम बजट से बूस्टर डोज भी मिल गई है। बजट में हुए प्रविधानों और इनसे उत्तराखंड को मिलने वाले लाभ को पार्टी चुनाव में भुनाने से पीछे नहीं रहेगी। इसका खाका खींच लिया गया है। भाजपा बूथ स्तर तक फैले अपने नेटवर्क के माध्यम से मतदाताओं को बताएगी कि बजट राज्य के लिए कितना फायदेमंद है। चुनावी बैठकों, सभाओं, वर्चुअल सभाओं के अलावा इंटरनेट मीडिया से हो रहे प्रचार में भी यह प्रमुख विषय रहेगा। इसके साथ ही पार्टी डबल इंजन के महत्व को भी बजट पर चर्चा के दौरान रेखांकित करेगी। भारत में अभी तक बड़ी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई थी। यह तय नहीं हो पा रहा था कि यहां इसका भविष्य क्या होगा। इसके बावजूद युवा निवेशक बड़ी तादाद में इसकी तरफ आकर्षित होते रहे हैं। 2022-23 के बजट में स्थिति थोड़ी साफ हो गई है। टैक्स लगाने की घोषणा के बाद क्रिप्टो और एनएफटी में निवेश करना महंगा जरूर होगा। आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि इससे राज्य में पूंजीगत व्यय और परिसंपत्तियों के निर्माण में मदद मिलेगी। आय के सीमित साधनों वाले उत्तराखंड को अवस्थापना विकास से जुड़ी परियोजनाओं के लिए ऋण लेने और इस पर लगने वाले ब्याज के बोझ से छुटकारा मिलेगा।जानकार राज्यों के ऋण लेने की सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद भी जता रहे हैं। रोपवे कनेक्टिविटी और अवस्थापना विकासउत्तराखंड राज्य में लंबे समय से रोपवे कनेक्टिविटी की मांग हो रही है। भौगोलिक कठिनाइयों और पर्यावरणीय चुनौतियों की वजह से राज्य के हर गांव तक सड़क पहुंचाना मुमकिन नहीं। पर्यटन राज्य होने की वजह से कई सैरगाहें और धार्मिक स्थल सैलानियों की सहज पहुंच से इसलिए दूर हैं कि इन तक पहुंचने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है। सीआईआई के उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष कहते हैं, राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम पहाड़ी राज्यों में कनेक्टिविटी में सुधार करेगा।  राज्य में केंद्र सरकार ने चार रोपवे को मंजूरी दी है, जिसमें केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट भी शामिल है। केंद्र सरकार की प्राथमिकता से राज्य में संचालित रोपवे परियोजना को मजबूती मिलने की उम्मीद है।