उत्तराखंड के बुग्याल में लगी आग, वन्यजीवों के शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
मौसम के बदलते ही बुग्यालों में आग की घटनाएं सामने आने लगी हैं। पंचाचूली की तलहटी में स्थित बुग्याल में शुक्रवार को धुआं उठने की पहली घटना सामने आई। बुग्यालों में आग लगते ही वन्यजीवों के शिकारियों का सक्रिय होना माना जा रहा है। मुनस्यारी से वन विभाग की टीम मौके को रवाना हो चुकी है। इस बार शीतकाल में मौसम वन्य जीवों के लिए सुकून भरा रहा। उच्च हिमालय से माइग्रेशन कर उच्च मध्य हिमालयी बुग्यालों में पहुंचे वन्य जीव हिमपात के चलते सुरक्षित रहे। क्षेत्र में लगातार हिमपात से वन्य जीवों के शिकारी यहां तक नहीं पहुंच पा रहे थे। बीते दिनों से मौसम में बदलाव आया और शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका बढ़ गई। इसका दृष्टांत शुक्रवार को पंचाचूली की तलहटी के बुग्याल से उठते धुएं के रूप में आया। इन बुग्यालों में इस कस्तूरा मृग सहित अन्य जानवर अपना ठिकाना बनाते हैं। प्रतिवर्ष अवैध शिकारी पहले से ही इसके लिए तैयार रहते हैं। दिसंबर से ही बुग्यालों में आग लगने की घटनाएं घटती हैं। यह क्षेत्र जन शून्य है। यहां तक केवल शिकारी पहुंचते हैं। शिकारी बुग्यालों के चारों तरफ आग लगा कर नीचे को आ जाते हैं। धीरे–धीरे आग बुग्यालों को अपनी चपेट में ले लेती है। जान बचाने के लिए जब जानवर भागते हैं तो आग की चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है। जिसमें कस्तूरा मृग भी शामिल होते हैं। शिकारी बाद में यहां जाकर मृत जानवरों को लाते हैं। पंचाचूली की तलहटी में स्थित बुग्याल सड़क से लगभग बीस किमी की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने में विभाग के कर्मचारियों को दो दिन का समय लग जाता है। मौसम के बदलते ही बुग्यालों में आग लगने लगी है। पंचाचूली की तलहटी में स्थित बुग्याल में आग लगी है। बुग्यालों में आग लगते ही वन्य जीवों के शिकारियों का सक्रिय होना माना जा रहा है। मुनस्यारी से वन विभाग की टीम मौके को रवाना हो चुकी है।इस बार शीतकाल में मौसम वन्य जीवों के लिए सुकून भरा रहा। उच्च हिमालय से माइग्रेशन कर उच्च मध्य हिमालयी बुग्यालों में पहुंचे वन्य जीव हिमपात के चलते सुरक्षित रहे। क्षेत्र में लगातार हिमपात से वन्य जीवों के शिकारी यहां तक नहीं पहुंच पा रहे थे। बीते दिनों से मौसम में बदलाव आया और अवैध शिकारी सक्रिय हो गए हैं। इसका दृष्टांत शुक्रवार को पंचाचूली की तलहटी के बुग्याल से उठ रहा धुंआ बना है। इन बुग्यालों में इस कस्तरा मृग सहित अन्य जानवर अपना ठिकाना बनाते हैं। प्रतिवर्ष अवैध शिकारी पहले से ही इसके लिए तैयार रहते हैं।माह से ही बुग्यालों में आग लगने की घटनाएं घटती हैं। यह क्षेत्र जन शून्य है। यहां तक केवल अवैध शिकारी पहुंचते हैं। शिकारी बुग्यालों के चारों तरफ आग लगा कर नीचे को आ जाते हैं। धीरे–धीरे आग बुग्यालों को अपनी चपेट में ले लेती है। जान बचाने के लिए जब जानवर भागते हैं तो आग की चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है. जिसमें कस्तूरा मृग भी शामिल होते हैं। शिकारी बाद में यहां जाकर मृत जानवरों को लाते हैं। पंचाचूली की तलहटी में स्थित बुग्याल सड़क से लगभग बीस किमी की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने में विभाग के कर्मचारियों को दो दिन का समय लग जाता है।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।