शोपीस बनकर रह गया उत्तराखंड संस्कृति विभाग का करोड़ों का आडिटोरियम

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शोपीस बनकर रह गया उत्तराखंड संस्कृति विभाग का करोड़ों का आडिटोरियम

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड लोक संगीत का प्रमुख स्तंभ थे. गढ़वाली लोकगीत को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता दिलाने का सबसे पहले श्रेय जीत सिंह नेगी को ही जाता है.कला एवं संस्कृति विभाग के स्थित स्व. जीत सिंह नेगी आडिटोरियम में कई वर्षों से सन्नाटा पसरा हुआ है। वर्ष 2011 में करीबन पांच करोड़ की लागत से इस आडिटोरियम की नींव रखी गई थी, लेकिन निर्माण पूरा होने में छह साल लग गए। महीनों तक यह आडिटोरियम उद्घाटन की राह ताकता रहा। फरवरी 2020 में उद्घाटन हुआ, लेकिन तब से यहां एक एकमात्र कार्यक्रम हुआ। लोग अन्य होटल आडिटोरियम बुकिंग करने में उत्साह दिखा रहे, मगर संस्कृति विभाग का आडिटोरियम सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। बुकिंग को लेकर लोगों की कम दिलचस्पी कारण विभाग द्वारा रेट तय करना और प्रचार प्रसार की कमी भी रहा है। अब विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आडिटोरियम के निरीक्षण करने के बाद कार्यदायी संस्था पेयजल को इसे टेकओवर किया जाएगा। लोकसंस्कृति को बचाने और कलाकारों को एक ही जगह पर प्रस्तुति के लिए इस आडिटोरियम का निर्माण कराया गया है। करीबन पांच करोड़ की लागत से आकाशवाणी भवन के पास पांच बीघा भूमि में बनकर तैयार हुए कला एवं संस्कृति विभाग के आडिटोरियम की नींव वर्ष 2011 में रखी गई थी। इसके निर्माण का जिम्मा पेयजल निगम को सौंपा गया था। बजट छोटी-छोटी किस्तों में मिलने के कारण निर्माण कार्य इतनी सुस्त रफ्तार से हुआ कि आडिटोरियम को अस्तित्व में आने में छह वर्ष लग गए। यानी वर्ष 2017 में 270 दर्शक क्षमता वाला यह आडिटोरियम बनकर तैयार हुआ। इतना ही नहीं पहले हस्तांतरण का पेच फंसने और इसकेबाद संस्कृति विभाग द्वारा पहाड़ी लुक देने के चलते आडिटोरियम तीन वर्ष तक उद्घाटन की राह ताकता रहा। फरवरी 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटन कराया गया, लेकिन अभी तक यहां एकमात्र बुकिंग 2020 में 21वें भारत रंग महोत्सव के रूप में मिली है। उत्तराखंड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष ने अपने कार्यकाल के दौरान संस्कृति विभाग के अधिकारियों से लेकर शासन को आडिटोरियम के प्रचार-प्रसार और अधिकांश विभागीय कार्यक्रम करवाने के लिए पत्र भेजे। लेकिन विभाग ने इस दिशा में कोई सुध नहीं ली। आडिटोरियम की जिम्मेदारी उत्तराखंड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद के उपाध्यक्ष की भी रहती है, लेकिन उपाध्यक्ष का पद करीबन एक वर्ष से रिक्त चल रहा है। कुछ दिनों तक यहां कर्मचारी जरूर दिखे, लेकिन बीते छह महीने से अधिकांश दिन यहां ताला लटका दिखाई देता है। संस्कृति विभाग की निदेशक का कहना है कि इन दिनों आडिटोरियम को उत्तराखंडी लुक देने का कार्य चल रहा है। जल्द ही आडिटोरियम का निरीक्षण किया जाएगा। जिसके बाद कार्यदायी संस्था पेयजल निगम को टेकओवर करेंगे। लोकगायिका ने कहा, कलाकार राज्य की संस्कृति को अपनी प्रस्तुति के जरिए देशविदश में पहुंचाने का कार्य करते हैं। जिस उद्देश्य के साथ इस आडिटोरियम का निर्माण किया गया उसका लाभ कलाकारों को अवश्य मिलना चाहिए। संस्कृति विभाग को कलाकारों के हित में ध्यान देना चाहिए। लोक संस्कृति को बचाने के लिए सरकार और संस्कृति विभाग ने आडिटोरियम बनवाया था। कोरोनाकाल में जब कलाकारों आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे तो ऐसे समय में वहां कार्यक्रम प्रस्तुत कर इंटरनेट मीडिया के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाया जा सकता था। इससे कलाकारों का जहां मानदेय मिलता, वहीं इसका रख-रखाव भी होता।