पॉलीथिन पर रोक के दावों में दम नहीं

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पॉलीथिन पर रोक के दावों में दम नहीं

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

प्लास्टिक के कैरीबैग समेत विभिन्न उत्पाद पर रोक के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही आदेश जारी कर चुका था। आदेश के अनुपालन में अब तक क्या किया गया है। एमसी मेहता बनाम भारत सरकार में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 दिसंबर 2015 को सभी तरह के प्लास्टिक कैरी बैग, प्लेट, गिलास, चम्मच आदि को एक फरवरी से प्रतिबंधित कर दिया था। राज्य सरकार को आदेश जारी किए गए थे कि वह कपड़ा मंत्रालय से संपर्क कर इसकी जगह जूट बैग, पेपर ग्लास आदि की व्यवस्था कर लें। साथ ही कपड़ा मंत्रालय को भी 15 दिन के भीतर प्लास्टिक के विकल्प राज्य सरकार को सुझाने के लिए कहा था। इस आदेश के बाद ललित पिंगलानी बनाम राज्य सरकार में हाई कोर्ट ने जनवरी 2017 से प्लास्टिक के बैग आदि को प्रतिबंधित करने को कहा था। हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में मुख्य सचिव ने आदेश जारी कर प्लास्टिक बैग, गिलास आदि के प्रयोग पर 5000 रुपये जुर्माना लगाने के आदेश दिए थे। नगरीय क्षेत्रों में इसके अनुपालन की जिम्मेदारी नगर निकायों, ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत व वन क्षेत्रों में प्रभागीय वनाधिकारियों को दी गई थीयह बात और है कि कवायद अब तक सिर्फ कागजों का पेट भरने तक सीमित रही है। देहरादून में पिछले पूरे साल प्रतिबंधित पॉलिथीन इस्तेमाल करने के जुर्म में महज 319 चालान काटे गए। इससे 65300 रुपये का जुर्माना वसूला गया है। जबकि 2022 में अब तक 181 चालान काटे गए हैं।पॉलीथिन के मामले में महज 80 चालान किए। पॉलीथीन उन्मूलन को लेकर अंतिम चालान दो सितंबर, 2021 को काटा गया। नगर पालिका टिहरी के ईओ ने बताया कि कोविड के चलते पालीथीन उन्मूलन अभियान शिथिल हुआ है। इसी प्रकार नगर पालिका गोपेश्वर में साल 2021 के दौरान महज 13 का चालान किया गया श्रीनगर में एक जनवरी 2017 को दो चालान किये गए थे। जिससे दो हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया। उसके बाद पॉलीथिन के खिलाफ युद्धस्तर पर अभियान नहीं चल पाया है। नगर पालिका पौड़ी में पिछली बार पॉलीथिन को लेकर 25 नवंबर 2021 को चालान किया गया।  वहीं साल 2021 में नगर पालिका पौड़ी ने 120 चालान किए।नैनीताल नगर पालिका में साल 2018 के बाद पॉलिथीन का एक भी चालान नहीं हुआ है। जबकि, भवाली नगर पालिका ने पालीथिन पर अंतिम चालान 20 सितंबर 2021 को एक हजार रुपये का काटा था। आखिरकार कैसे प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ ही पेड़-पौधो, जीव-जन्तुओं और समुद्री जल-जीवो तथा मानव जाति पर भी गंभीर संकट मंडरा रहा है। हमे पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्लास्टिक उत्पादो के उपयोग को कम करना चाहिये, जिससे एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण हो सके। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना सबकी जिम्मेदारी है। आदेश के चलते पॉलिथीन बैन तो जरूर हुई लेकिन अधिकारियों के हीलाहवाली के चलते एक बार फिर पॉलिथीन ने में अपना एकछत्र राज्य स्थापित कर लिया है।लेखक