कृत्रिम अंग की सहायता से डा० विजय कुमार नौटियाल दे रहें दिव्यांगों को नया जीवन

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कृत्रिम अंग की सहायता से डा० विजय कुमार नौटियाल दे रहें दिव्यांगों को नया जीवन

कैलाश जोशी (अकेला)

हमारे समाज के मध्य बहुत से व्यक्ति दिव्यांग से ग्रसित होने के कारण रोज़मर्रा का जीवन कठिनाईयां से काट रहे हैं। जिसके कारण दिव्यांग व्यक्ति अपना प्राकृतिक जीवन का लुत्फ नही उठा पा रहा है । लेकिन आज वैज्ञानिक तकनीकि खोज से दिव्यांग व्यक्ति अपना सहायतित अंग के सहारे जीवन का आनन्द ले सकता है।

दिव्यागों के एक वर्ग को कृत्रिम अंग के सहारे नया जीवन देने का काम डाक्टर विजय नौटियाल कर रहे हैं ।
उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जनपद में जन्मे डाक्टर विजय नौटियाल ने प्रोस्थेटिक एवं आर्थोर्टिक में दक्षता हासिल की है । इस दक्षता के माध्यम से अपने क्लीनिक शास्त्रीनगर हरिद्वार रोड ‘ देहरादून शहर में दिव्यांग के वाह्य शारीरिक प्राकृतिक अंग निर्माण कर रहे है ।

 


डा० विजय नौटियाल ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि, मेरा उद्देश्य दिव्यांग को नया स्वरूप देना ही नही है बल्कि, दिव्यांग में एक अलग आत्म विश्वास जगाकर पर्यावरण के संवर्धन के लिए भी काम करना है । जिसके लिए दिव्यांग के वाह्य अंग को कृत्रिम अंग के सहारे प्राकृतिक स्वरूप देकर समान्य जीवन दिया जाता है । जिसके बाद दिव्यांग व्यक्ति के दल को पहाडी रूटों पर सैर कराया जाता है । बताते हैं कि वर्ष, 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक दिव्यांग दल को हरी झंडी दिखाकर गौरीकुण्ड से केदारनाथ के लिए रवाना किया धा । उसके बाद वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी दिव्यांग दल को हेमकुंड साहिब के लिए रवाना किया था । इन विकलांग दलों ने कई किलोमीटर उच्च पहाड़ी पर पैदल चलकर कई सामान्य व्यक्तियों को चुनौती दी थी ।
विकलांग व्यक्तियों द्वार ट्रेकिंग के दौरान रास्ते में पर्यावरण संवर्धन के लिए पेड़ों का रोपण किया किया किया । जिसकी रेख देख के लिए स्थानीय लोगों सोंप कर आर्थिक प्रोत्साहन राशि दी गई ।
डाक्टर नौटियाल बताते है कि , ‘ क्लीन में आर्थिक रूप गरीब व्यक्ति भी क्लीनिक पर आते हैं जिनके लिए महीने में एक दिन अपनी बनाई संस्था के माध्यम से निशुल्क सेवा उपलब्ध कराई जाती है ‘ । कई दिव्यांग ‘ द ‘ हंस फाउन्डेशन से सम्पर्क कर क्लीनिक पर आते है जिनको हंस फाउन्डेशन सहायता कर देता है । बताया कई बार दिव्यांग कैम्प में जाने का अवसर आता है जहां पर उन्हें कैम्प में सहायता प्रदान की जाती है ।

 


वर्तमान समय में डाक्टर विजय नौटियाल दिव्यांग छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति के लिए मसीह हो चुके है । जिनकी पहचान उत्तराखण्ड के साथ देश के कोने कोने में हो चुकी है । डा0 विजय के सेवा कार्य के लिए सरकार और कई संस्थाओं से सम्मानित किया जा चुका है । जिनका मकसद दिव्यांग व्यक्ति को आत्मविश्वास पैदा कर समाज के अग्रिम पंक्ति में लाना है । कहते है कि, दिव्यांग को पर्यावरण संवर्धन के लिए प्रेरित कर प्रकृति के नजदीक लाया जाता है । उन्होंने आम जन से अपील करते हुए कहा कि किसी को फूल गुस्तों से सम्मानित करने के बजाय वानस्पतिक जड़ वाले पौधे से सम्मानित करना चाहिए । जिससे हर व्यक्ति पौधे लगाने के प्रेरित होकर प्रकृति और पर्यावरण का संवर्धन कर सकेगा ।