उत्तराखंड में डेंजर जोन पर सफर की चुनौती

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डेंजर जोन पर सफर की चुनौती

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला 

गौरवशाली चार धाम यात्रा विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए की जाने वाली तीर्थयात्रा है। यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे खूबसूरत डेस्टिनेशन शामिल हैं।प्रसिद्ध श्री आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित, चार धाम की स्थापना लगभग 1200 साल पहले हुई थी। दुनिया भर से तीर्थयात्री हर साल अप्रैल-मई में खुलने वाले चार मंदिरों में जाते हैं और दिवाली के बाद कड़ाके की सर्दी के कारण अपने इन धामों पर यात्रा बंद हो जाती है। चार धाम यात्रा दुनिया की सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक है। इस यात्रा में शामिल चार मंदिर यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। इसे छोटा चार धाम यात्रा के नाम से भी जाना जाता है बदरीनाथ यात्रा को लेकर अब कम ही समय बचा है, लेकिन यात्रा का एकमात्र रूट बदरीनाथ हाईवे जगह-जगह खतरनाक बना है। एक दर्जन से अधिक डेंजर जोन हाईवे के सफर के दौरान राहगीरों को डरा रहे हैं। इनमें से अधिकतर भूस्खलन जोन हाईवे चौड़ीकरण के दौरान उभरे हैं।हालांकि परथाडीप, मैठाणा, लामबगड़ व पातालगंगा में पुराने भूस्खलन जोन में ट्रीटमेंट के बाद फिलहाल भूस्खलन थमा है। बदरीनाथ हाईवे का आलवेदर रोड योजना के तहत चौड़ीकरण और डामरीकरण का कार्य हो रहा है। अभी गौचर से बदरीनाथ धाम तक 13 ऐसे स्थान हैं, जहां पर पहाड़ी कटिंग का कार्य होना शेष है। ये कार्य सुप्रीम कोर्ट की रोक हटने के बाद इन दिनों शुरू हुए हैं। इसके अलावा 15 से अधिक जगह चौड़ीकरण के दौरान भूस्खलन से डेंजर जोन उभरे हैं। पहाड़ी से आए दिन हाईवे पर भूस्खलन आम बात है। बारिश के दौरान तो दिक्कतें बढ़ती रही हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का कहना है कि इस यात्रा सीजन तक चट्टानों को काटकर हाईवे का कार्य पूरा होना संभव नहीं है तथा नए उभरे भूस्खलन जोन के स्थायी ट्रीटमेंट के लिए भी कार्ययोजना प्रस्तावित है। ऐसे में यात्रा सीजन के दौरान हाईवे पर सुरक्षित आवाजाही किसी चुनौती से कम नहीं हैं। कमेड़ा, चडुवापीपल, पंच पुलिया के पास, कर्णप्रयाग बाबा आश्रम, कालेश्वर के बीच तीन जगह, लंगासू, बैडाणू, देवलीबगड़, नंदप्रयाग, मैठाणा, कुहेड़, चमोली चाड़ा, क्षेत्रपाल, छिनका, बिरही चट्टान, पीपलकोटी भनारपानी, लंगणी, लंगसी, गुलाबकोटी, हेलंग, सेलंग, विष्णुप्रयाग, बलदौड़ा, गोविंदघाट, लामबगड़ नाला, रडांग बैंड आदि बदरीनाथ हाईवे पर सड़क सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता है। इसके लिए एनएच, आरटीओ और प्रशासन की टीम का संयुक्त निरीक्षण किया गया है। बदरीनाथ तक पड़ने वाले पुलों और संवेदनशील स्थलों को 30 अप्रैल तक दुरुस्त करने को कहा है।। नगर पालिका के अधिकारियों को सफाई व्यवस्था करने और शौचालयों का सौंदर्यीकरण करने के साथ समय-समय पर इनका निरीक्षण करने के भी निर्देश दिए।स्वास्थ्य विभाग को यात्रा मार्ग पर बेसिक स्वास्थ्य उपकरणों के साथ चिकित्सकों की तैनाती और पर्याप्त मात्रा में दवाइयों का स्टॉक रखने के निर्देश भी दिए। बदरीनाथ के कपाट खुलने से पहले विद्युत, पेयजल, खद्यान्न, आवास, संचार आदि की व्यवस्थाएं करने के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया गया प्रशासन को समय का सदुपयोग करते हुए अन्य चुनौतियों से पार पाने की योजना बनानी होगी। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो चार धाम में इस बार रिकॉर्ड संख्या में यात्री पहुंच सकते हैं। ऐसे में धामों में भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था को लेकर सजग रहना होगा। यात्रा मार्गो पर अक्सर लगने वाला जाम श्रद्धालुओं की परीक्षा लेता रहा है। इसकी मुख्य वजह सड़कों पर वाहनों का बढ़ता दबाव है, साथ ही भूस्खलन प्रभावित जोन भी इसका बड़ा कारण रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि सड़कों को दुरुस्त करने के साथ ही इन जोन का उपचार किया जाए।आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में 139 ब्लैक स्पॉट (ऐसे क्षेत्र जहां लगातार हादसे हो रहे हैं) चिह्न्ति किए गए हैं। इनमें चार धाम मार्ग भी शामिल हैं। विडंबना है कि अब तक उपचार महज साढ़े तीन दर्जन का ही हो पाया है। इसके अलावा दुर्घटना संभावित स्थलों (डेंजर जोन) की संख्या करीब डेढ़ हजार है और इनमें से महज 107 दुरुस्त किए गए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए यात्रा आरंभ होने से पहले व्यवस्था बेहतर कर ली जाएगी। इसे लेकर सुरक्षा, ट्रीटमेंट और सतर्कता के समय पर इंतजाम किए जाने जरूरी हैं। अन्यथा चारधाम यात्रा के सफर में कोई अनहोनी होगी, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। ऑलवेदर से सड़कें तो चौड़ी हो गई हैं, लेकिन कटिंग से उनके घाव अभी भी हरे हैं। ऐसे में बारिश के बाद ऑलवेदर सड़कों पर सुरक्षित सफर यात्रियों के लिए आसान नहीं होगा। इसमें ऊपर पहाड़ और नीचे खाई वाले हिस्से ज्यादा जोखिमभरे साबित होंगे। चारधाम यात्रियों को डेंजर जोन, ब्लैक स्पॉट और भूस्खलन क्षेत्र से सुरक्षित आवाजाही करने की चुनौती रहेगी। यहां से धाम तक पहुंचना और वहां से यात्रियों की सुरक्षित वापसी शासन-प्रशासन के लिए असल परीक्षा होगी। 2022 यात्रा को लेकर प्रशासन अभी से जुट गया है. इससे पहले 2 वर्ष कोरोना वायरस की वजह से बद्रीनाथ धाम यात्रा नहीं चल पाई थी. संभावना है कि इस वर्ष यात्रा चरम पर रहेगी. वहीं, हजारों की संख्या में यात्री भगवान बद्री विशाल के कपाट खुलने के दौरान बद्रीनाथ धाम में मौजूद रहेंगे, इसलिए जोशीमठ प्रशासन अभी से तैयारियां कर रहा है.इस दौरान बिजली ,पानी, स्वास्थ्य और साफ-सफाई को लेकर भी प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. आने वाले समय में उत्तराखंड सरकार भी यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर तैयारियां शुरू करेगी, ताकि कोई अव्यवस्था ना रहे.