उत्तराखंड में अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती महिलाएं

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उत्तराखंड में अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती महिलाएं

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड देश के उन कुछ राज्यों में शुमार है, जहां महिलाएं राज्य की अर्थव्यवस्था में मजबूत योगदान देते हुए उसकी नींव को लगातार सींच रही हैं, लेकिन जब बात राजनीतिक भागीदारी की आती है तो इस मोर्चे पर भी महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे खड़ी नजर आती हैं। उत्तराखंड देश के उन कुछ गिने-चुने राज्यों में शुमार हैं, जहां हर विधानसभा चुनाव के साथ महिलाओं के लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी लगातार मजबूत होती जा रही है।2022 का चुनाव राज्य का पांचवां विधानसभा चुनाव है और इस बार भी मतदान में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा रही। राज्य में कुल 65.37 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं ने 67.20 प्रतिशत मतदान किया, जबकि पुरुषों ने 62.60 प्रतिशत मतदान किया।राज्य में प्रतिनिधित्व के विपरीत मतदान में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी पुरुषों के कहीं बेहतर नजर आती हैं। संस्था के अध्यक्ष बताते हैं, ‘महिलाएं राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं और यह रिपोर्ट बताती है कि वे राज्य में लोकतंत्र की भी बुनियाद हैं।’ हालांकि यह अलग बात है कि राज्य में चुनाव दर चुनाव पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की मतदान हिस्सेदारी अधिक रहने के बावजूद राज्य में महिला प्रतिनिधित्व की संख्या काफी कम है।इस बार के चुनाव में बीजेपी ने सर्वाधिक 8 महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं राज्य के चुनाव को त्रिकोणीय बना रही आम आदमी पार्टी ने 7 महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने 5 महिलाओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक जनगणना 2011 के समय अखिल भारतीय स्तर पर कुल कार्य सहभागिता दर 39.7% थी, जिसमें पुरुषों की कार्य सहभागिता 53.2 फीसदी जबकि महिलाओं की भागीदारी 25.5 फीसदी थी और इसके मुकाबले उत्तराखंड में महिलाओं की कार्य सहभागिता 26.6 फीसदी रही, जो अखिल भारतीय औसत और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य (16.7%) से कहीं अधिक थी।राज्य में श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी ग्रामीण क्षेत्र में 31.5 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 25.3% से अधिक है। ये आंकड़ें इस दावे की पुष्टि करते हैं कि महिलाएं राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और चुनाव मतदान के आंकड़ें यह बताते हैं कि उत्तराखंड में महिलाएं न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था बल्कि राज्य के लोकतंत्र की भी रीढ़ बनी हुई हैं। लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती यही होती है कि यहां जनता के हाथ में सत्ता के दावेदारों की तकदीर होती है। चुनाव के मार्फत आमजन इस बात का फैसला करने का अधिकार रखते हैं कि किसे राज्य की बागडोर सौंपनी है। कौन उनके वादों, राज्य की खुशहाली और तरक्की को पूरा करने का माद्दा रखता है। लेकिन इन सबके लिए लोकतंत्र के महाकुंभ चुनाव में लोगों की सहभागिता सबसे जरूरी है। पर महिलाएं इस मामले में सबसे अधिक जिम्मेदार और जागरुक साबित हो रही है। 2022 में पांच राज्यों में हुए चुनाव हो या बीते सालों में चुनाव, लोकतंत्र के इस उत्सव को महिलाओं ने ही कामयाब बनाने में सबसे अधिक योगदान दिया है। प्रदेश के 13 जिलों में से 12 जिलों में महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं से अधिक मतदान किया। यहां पुरुष महिला मतदाताओं के बीच मतदान का अंतर दो से लेकर 14 प्रतिशत तक रहा। केवल हरिद्वार ही एकमात्र ऐसा जिला रहा, जहां पुरुष मतदाताओं ने महिला मतदाताओं से अधिक वोट डाला। यहां पुरुष महिला मतदाताओं के बीच केवल 1.38 प्रतिशत का अंतर रहा। प्रदेश की 53 सीटों पर महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक मतदान किया।