उप-राष्ट्रपति के करकमलो प्रख्यात नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली ‘संगीत नाटक अकादमी सम्मान’ से नवाजे जायैंगे

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उप-राष्ट्रपति के करकमलो प्रख्यात नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली ‘संगीत नाटक अकादमी सम्मान’ से नवाजे जायैंगे
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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। देश के सबसे प्रतिष्ठित ‘संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप सम्मान’ का विशेष अलंकरण समारोह, 9 अप्रेल 2022 विज्ञान भवन, नई दिल्ली मे आयोजित किया जा रहा है। उप-राष्ट्रपति वैंकय्या नायडु के कर कमलो, ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम व एक लाख रुपया, उत्तराखंड के ख्याति प्राप्त नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली को, इस अवसर पर प्रदान किया जायेगा। संगीत व नाट्य की विविध विधाओ से जुडे रहे, देश के अन्य 43 चयनित प्रबुद्ध जनो को भी उप-राष्ट्रपति के कर कमलो, उक्त सम्मान से, सम्मानित होने का गौरव प्राप्त होगा।

संगीत नाटक अकादमी की सामान्य परिषद, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की स्वायत्त संस्था के चयन के आधार पर संगीत नाटक अकादमी का यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान, प्रतिवर्ष दिया जाता है। जिसके तहत संगीत, नृत्य, थिएटर (नाट्यकला) पारम्परिक लोक/ जनजातीय संगीत/ नृत्य थिएटर तथा कठपुतली कला के क्षेत्र मे विशिष्ट कार्य हेतु यह सम्मान प्रदान किया जाता है। छात्रव्रति के क्षेत्र मे समग्र योगदान को देखा जाता है। विगत दो वर्षों मे, कोरोना महामारी की जद्दोजहद व उलझन के कारण, उक्त सम्मान समारोह, आयोजित नहीं किया जा सका था।

देश के प्रख्यात नाट्य समीक्षक, पिचासी वर्षीय, दिवान सिंह बजेली, दिल्ली मे प्रवासरत हैं। मूल रूप से उत्तराखंड जिला अल्मोडा, पोस्ट मनान, कालिट गांव के निवासी हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए पोलिटिकल साइंस व पत्रकारिता मे डिप्लोमा प्राप्त, दीवान सिंह बजेली, चार दशकों से राष्ट्रीय फलक पर, रंगमंच की विभिन्न नाट्य विधाओ पर, देश के सु-प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदुस्तान टाइम्स, द इकोनॉमिक्स टाइम्स, द स्टेट्समैन, फाइनैंशियल एक्सप्रेस, इन्डियन एक्सप्रेस, नेशनल हैराल्ड, द पायनियर व वर्तमान मे द हिन्दू के लिए नियमित तौर पर समीक्षा करते रहे हैं। उत्तराखंड के लोकसंगीत व नृत्यो पर इण्डिया वीकली लन्दन व द चिल्ड्रन वर्ड मे भी आपकी समीक्षाए प्रकाशित होती रही हैं।

दीवान सिंह बजेली उत्तराखंड की सु-विख्यात संस्था ‘पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली’ से विगत पांच दशकों से जुडे रहे हैं, वर्तमान मे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्यातिप्राप्त उक्त सांस्कृतिक संस्था के संरक्षक तथा साहित्य कला परिषद सहित विभिन्न गठित सरकारी समितियों मे, नामित सदस्य हैं। संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्ति से पूर्व, 2019 मे उत्तराखंड सरकार द्वारा तथा समय-समय पर, देश की विभिन्न सम्मानित सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओ द्वारा, अनेको सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक ‘मोहन उप्रेती द मैन एंड हिज आर्ट’ के बजेली जी रचयिता रहे हैं। 207 पेज की उक्त पुस्तक, देश-विदेशो मे काफी चर्चित रही है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा, अंग्रेजी मे प्रकाशित इस पुस्तक की उपयोगिता, महत्ता व मांग को, देखते हुए 2021 मे पुनरप्रकाशन किया गया है।

उक्त पुस्तक, भारतीय रंगमंच के सु-विख्यात संगीत निर्देशक व उत्तराखंड लोकगीत-संगीत के पुरोधा व लोकगायक रहे, स्व.मोहन उप्रेती के द्वारा, आधुनिक रंगमंच पटल पर, संगीत के क्षेत्र मे दिए गए योगदान पर लिखी गई थी। स्व.मोहन उप्रेती द्वारा, जीवन पर्यन्त उत्तराखंड के लोकसंगीत को उत्तराखंड की सु-विख्यात सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ के माध्यम, स्व.बृजेन्द्रलाल शाह द्वारा
गीतनाट्य के रूप में रचित उत्तराखंड की लोकगाथाओ राजुला-मालूशाही, अजुबा बफोल, जीतू बगडवाल, रसिक रमोल, भाना गंगनाथ इत्यादि सहित करीब एक दर्जन से अधिक लोकगाथाओ का संगीत निर्देशन, वैश्विक फलक पर मंचित कर, ख्याति अर्जित की गई थी।

दिवान सिंह बजेली द्वारा उक्त पुस्तक की रचना कर, भारतीय रंगमंच पटल व उत्तराखंड लोकसंगीत के सु-विख्यात संगीत निर्देशक तथा लोकगायक स्व.मोहन उप्रेती के द्वारा किए गए कार्यो का मान बढ़ाने के साथ-साथ, उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, लोकसंगीत, लोकगाथाओ व लोकबोली के महत्व को उजागर करने का महत्वपूर्ण कार्य किया गया है। आधुनिक रंगमंच संगीत निर्देशको व रंगकर्मियों के लिए प्रेरणाश्रोत दिवानसिंह बजेली की उक्त प्रकाशित पुस्तक, देश-विदेश के रंगमंच जगत से जुडे लोगों के लिए प्रेरणादायी बनी रही है। उक्त प्रकाशित पुस्तक को, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सौजन्य से व्यावसायिक तौर पर, देश-विदेश मे उपलब्ध कराया गया था। पुस्तक को बडे स्तर पर प्रचारित व प्रसारित होने का अवसर मिला था।

‘कुमांऊनी पीपुल एंड फोल्कलोर’ भी दिवान सिंह बजेली की चर्चित अंग्रेजी पुस्तक रही है। ‘द थियेटर ऑफ भानु भारती एंड पर्सपैक्टिभ’ तथा ‘यात्रिक: ए जर्नी इंटू थियेट्रीकल आर्ट’ नामक अन्य प्रकाशित पुस्तके हैं। ‘उत्तराखंड कल्चर इन दिल्ली’ तथा ‘मीरियड ह्युज आफ द हिमालयन आर्ट’ नामक पुस्तके प्रकाशनाधीन हैं।

संगीत नाटक अकादमी के सौजन्य से 10 अप्रेल को, मंडीहाउस, नई दिल्ली स्थित, संगीत नाटक अकादमी के मेघदूत सभागार नम्बर तीन मे, अकादमी सम्मान प्राप्त, दीवान सिंह बजेली का रंगकर्म विषय पर व्याख्यान व ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था, ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ के कलाकारों द्वारा उत्तराखंड के गीत-संगीत का मंचन किया जायेगा
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