चारधाम यात्रा में हाईवे पर चुनौती बनेंगे भूस्खलन जोन
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
चारधाम यात्रा की तैयारियां अभी सिफर नजर आ रही हैं। सबसे बड़ी चुनौती चारधाम को जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर नए-पुराने 40 अधिक डेंजर जोन को लेकर है। जो अभी से सक्रिय हो चुके हैं।इसे लेकर व्यवसायी भी खासे चिंतित हैं कि अगर यात्रा मार्ग पर यात्रियों के वाहन जाम में फंस जाएंगे तो पूरी यात्रा का कार्यक्रम ही गड़बड़ा जाएगा। भले ही सरकार दवा कर रही है कि चारधाम यात्रा की तैयारियों 25 अप्रैल तक पूरी हो जाएंगी। लेकिन, सड़कों की हाल से तैयारियों पूरी तरह से सिफर लग रही है।चारधाम यात्रा शुरू होने में अब चंद दिन शेष हैं। सो, तीर्थ पुरोहित और यात्रा से जुड़े व्यवसायियों ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं, ताकि विभिन्न पड़ावों पर यात्रियों को खाने-ठहरने की बेहतर सुविधा मिल सके। प्रशासन भी यात्रा तैयारियों को लेकर दंभ भर रहा है। लेकिन, इन तैयारियों पर चारधाम को जोड़ने वाले गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे के 67 भूस्खलन जोन और 25 दुर्घटना आशंकित क्षेत्र की तस्वीर सवाल उठा रही है। इन स्थलों पर समय रहते सुरक्षा, संसाधन और सुविधाएं जुटाने की जरूरत है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चंबा और चिन्यालीसौड़ के बीच रमोलगांव धार के पास बेहद खतरनाक और सबसे बड़ा भूस्खलन जोन है। फिर भी इस डेंजर जोन को लेकर टिहरी जिला प्रशासन संजीदा है न उत्तरकाशी प्रशासन ही। यदि यात्रा सीजन मे यह डेंजर जोन सक्रिय हुआ तो गंगोत्री-यमुनोत्री आने वाले यात्रियों को खासी परेशानी झेलनी पड़ेगी। साथ ही उत्तरकाशी जिले में यात्रा से जुड़े व्यवसायियों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चिन्यालीसौड़ से लेकर गंगोत्री के बीच अतिसंवेदनशील भूस्खलन जोन की संख्या नौ है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू बैंड से लेकर जानकीचट्टी तक छह अतिसंवेदनशील भूस्खलन जोन हैं। जबकि, संवेदनशील भूस्खलन जोन की संख्या गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 34 और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 18 है। दुर्घटना आशंकित डेंजर जोन में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11 और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 14 स्थान चिह्नित हैं। अगर प्रशासन ने युद्धस्तर पर डेंजर जोन का ट्रीटमेंट, संकरी सड़क का चौड़ीकरण और कच्ची सड़क पर डामरीकरण नहीं किया तो यात्रियों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सुक्की टाप, डबराणी, डीएम स्लाइड, नागदेवता मंदिर, थिरांग, शिवानंद आश्रम, गणेशपुर, सुनगर, बडे़थी चुंगी व नालूपानी। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग : धरासू बैंड, ब्रह्मखाल, सिलक्यारा बैंड, दोबाटा, पुजार गांव, सिलाई बैंड, डाबरकोट, ओजरी, स्यानाचट्टी, झझरगाड, हनुमानचट्टी, जंगल चट्टी व असनौलगाड गंगोत्री राष्ट्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग : पुराना धरासू थाना, धरासू बैंड, बंदरकोट, नेताला, ओंगी, भाटूकासौड़, मल्ला, स्वारीगाड व हेल्गूगाड यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग दोबाटा, सिलाई बैंड, पालीगाड, डाबरकोट, ओरछा बैंड व कुथनौर। उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री-यमुनोत्री हाइवे पर आलवेदर का काम गतिमान है। दोनों हाइवे पर कई ऐसे स्थान हैं, जहां अभी तक हाटमिक्स का काम नहीं हुआ। इसमें चिन्यालीसौड़ और धरासू बैंड के बीच यही स्थिति है। धरासू बैंड से सिलक्यारा और किसाला से पाली गाड तक कई स्थानों पर सड़क का निर्माण अभी चल ही रहा है। ऐसे में चारधाम यात्रा के दौरान अगर इन क्षेत्रों में पानी के छिड़काव की व्यवस्था नहीं हुई तो यात्रियों को धूल के गुब्बार भी झेलने पड़ेंगे बल्कि रुद्रप्रयाग में केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग और चमोली में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की भी यही स्थिति है।श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच बदरीनाथ हाईवे पर सिरोबगड़ डेंजर जोन सबसे बड़ा है। यह डेंजर पिछले 14 वर्षों से सक्रिय है। इस डेंजर जोन से मुक्ति पाने के लिए आलवेदर के तहत जिन पुलों का निर्माण होना था, वह निर्माण अभी अभी हुआ नहीं है।इसके अलावा बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कमेड़ा, चडुवा पीपल, कालेश्वर, लंगासू, बैडाणू, देवलीबगड़, नंदप्रयाग, मैठाणा, कुहेड़, बिरही चट्टान, भनारपानी, हेलंग, सेलंग, लामबगड़ सहित आदि डेंजर जोन हैं।इनमें अधिकांश डेंजर जोन आलवेदर रोड निर्माण के दौरान बने हैं। रुद्रप्रयाग केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बासवाड़ा, बडासू, डोलिया देवी के पास डेंजर जोन हैं। इसके अलावा गैरीकुंड को जोडऩे वाला पांच किलोमीटर की सड़क भी बेहद ही संकरी है।इस मार्ग पर केवल छोटे वाहनों की आवाजाही हो रही है। सरकार और संबंधित जिलों के प्रशासन ने युद्ध स्तर पर डेंजर जोन का ट्रीटमेंट, संकरी सड़क को चौड़ा करने और कच्ची सड़क पर डामरीकरण नहीं किया तो यात्रियों को परेशानी होनी तय है। फिर सामान्य से कुछ ज्यादा बारिश पहाड़ों में होती है तो ऑल वेदर रोड का शायद ही कोई हिस्सा भूस्खलन से बच पाये। वे कहते हैं कि यह स्थिति सिर्फ इस साल नहीं, बल्कि आने वाले कई सालों तक बनी रहेगी, क्योंकि पहाड़ी ढाल जब तक अपनी सामान्य स्थिति में नहीं आ जाते, तब तक इनमें लगातार भूस्खलन होता रहता है।। चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले यदि डेंजर जोनों का ट्रीमेंट नहीं किया गया, तो यात्रा के दौरान देश-विदेश से चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की मुसीबत बढ़ सकती है। पर्यावरणविद् विजय जड़धारी का कहना है कि हाईवे पर डेंजर जोनों का मरम्मत करने से पहले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम को संयुक्त रूप से सर्वे करना चाहिए। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर हाईवे पर सुरक्षा की दृष्टि से मरम्मत कार्य करना चाहिए।