व्यवस्थाएं सशक्त करने के मद्देनजर उच्च स्तर पर समन्वय समिति की जरूरत

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व्यवस्थाएं सशक्त करने के मद्देनजर उच्च स्तर पर समन्वय समिति

की जरूरत

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

प्रदेश में तीन मई से गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है।
कोरोना के कारण दो वर्ष बाद बिना किसी प्रतिबंध के शुरू हुई यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में अति
उत्साह है।श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ चारधाम को उमड़ रही है। यात्रा शुरू हुए सप्ताहभर का ही समय
हुआ है और दो लाख से ज्यादा लोग चारों धामों में दर्शन कर चुके हैं। अब तक 10 लाख से अधिक
पंजीकरण भी हो चुके हैं। राज्य सरकार ने सभी श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा ई-पास पंजीकरण
की व्यवस्था की हैउत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सवाल उठने
लगे हैं। यात्रा के शुरुआती दिनों में ही 22 तीर्थयात्रियों की मौत के बाद सिस्टम कठघरे में है।जाहिर
है कि तमाम दावों के बावजूद स्वास्थ्य महकमा यहां उचित सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाया है। चारों
धाम में उमड़ रहे तीर्थयात्रियों के सैलाब से व्यवस्था ध्वस्त होती नजर आ रही है।प्रधानमंत्री
कार्यालय ने रिपोर्ट तलब की तब कहीं स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। स्वास्थ्य विभाग ने
तीर्थयात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। विशेषकर वरिष्ठ नागरिक, कोमर्बिडिटी (एक से अधिक
बीमारियों से ग्रसित) अथवा लोंग-कोविड से प्रभावित यात्रियों को यात्रा शुरू करने से पूर्व नियमित
स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाने पर बल दिया गया है। ताकि यात्रा में किसी प्रकार की प्रतिकूल
स्वास्थ्य स्थितियों का सामना न करना पड़े।कहा गया है कि चारधाम यात्रा में समस्त तीर्थ स्थल
उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मी से भी अधिक है। इस
परिदृश्य के बीच यात्रियों के लिए व्यवस्था जुटाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। यद्यपि, राज्य
सरकार ने धामों की वहन क्षमता के हिसाब से व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन भीड़ बढ़ने से चिंता भी
बढ़ने लगी है। उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण चार धाम यात्रा मार्गों पर हृदय रोग से सर्वाधिक
मौत होती हैं। इस साल भी यह सिलसिला थमा नहीं है और अब तक चारों धाम में कुल 21 लोगों
की मौत हुई है। इनमें से एक यात्री खाई में गिरने से मरा है। यमुनोत्री में 11 और गंगोत्री में तीन
श्रद्धालुओं की मौत हृदय गति रुकने से हुई है। वहीं बदरीनाथ में एक और केदारनाथ में अब तक छह लोगों की
मौत हो गई है। जिसमें एक यात्री खाई में गिरने से मरा है। ऐसे में जरूरी है कि चारधाम यात्रा पर (खासकर
केदारनाथ और यमुनोत्री) आने वाले श्रद्धालु अपनी सेहत, खासतौर पर दिल का ख्याल रखें, ताकि
यात्रा बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सके। चार धाम यात्रा रूट के अधिक ऊंचाई पर होने के
कारण विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीजों की तबीयत बिगडऩे की आशंका रहती है। हृदय रोगियों को

ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लिहाजा, यात्रियों को सबसे पहले डाक्टर से अपना
चिकित्सकीय परीक्षण करवाना चाहिए। बल्कि अमरनाथ यात्रा की ही तरह यहां भी मेडिकल
सर्टिफिकेट अनिवार्य होना चाहिए। चारधाम यात्रा में उमड़ रही भीड़ और इस दृष्टि से कम पड़ती
व्यवस्थाओं को देखते हुए अब उच्च स्तर पर समन्वय समिति की आवश्यकता महसूस की जा रही
है। सूत्रों के अनुसार इस विषय पर गंभीरता से विचार चल रहा है। जल्द ही धर्मस्व व पर्यटन मंत्री
और विभागीय स्तर पर दो समितियां गठित की जा सकती हैं।चारधाम यात्रा से बदरी-केदार मंदिर
समिति, गंगोत्री व यमुनोत्री मंदिर समिति, पर्यटन, धर्मस्व, पुलिस, प्रशासन, परिवहन, स्वास्थ्य,
पेयजल, ऊर्जा, लोनिवि समेत अन्य विभाग जुड़े हैं। यात्रा प्रारंभ होने से पहले सभी विभागों ने अपने-
अपने हिसाब से तैयारियां कीं, लेकिन इस बार यात्री जिस तरह का उत्साह दिखा रहे हैं, उससे धामों
और यात्रा मार्गों पर व्यवस्थाएं भी कम पडऩे लगी हैं। असल में सभी विभागों ने अलग-अलग
व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन समग्र रूप से कार्यों की मानीटरिंग और व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को उच्च
स्तरीय समन्वय समिति का अभाव दिख रहा है। सूत्रों के अनुसार इस सिलसिले में समन्वय समिति
के गठन का सुझाव सरकार को मिला है।अब इस दिशा में गंभीरता से मंथन किया जा रहा है। सूत्रों
ने बताया कि जल्द ही पर्यटन व धर्मस्व मंत्री के स्तर पर एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित इसके
अलावा विभिन्न विभागों की समन्वय समिति के गठन पर भी विचार चल रहा है, ताकि व्यवस्थाएं
बेहतर की जा सकें और यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। चारधाम यात्रा को लेकर देश-
विदेश के श्रद्धालुओं व पर्यटकों में भारी उत्साह है। रिकार्ड संख्या में यात्री धामों में उमड़ रहे हैं।
सरकार की ओर से यात्रियों की सुविधाओं के लिए हरसंभव प्रयास किए गए हैं। मुख्यमंत्री लगातार
यात्रा व्यवस्था की मानीटरिंग कर रहे हैं। अधिकारियों को अतिथि देवो भव: की भावना के साथ कार्य
में तत्पर रहने के निर्देश हैं।  चारधाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। विकट भौगोलिक
परिस्थितियों के चलते धामों में कई व्यवस्थाएं, विशेषकर आवास की सुविधा सीमित है। यहां की
जलवायु और पारिस्थितिकी भी संवेदनशील है। पल-पल बदलता मौसम और हाड़ कंपा देने वाली ठंड
विचलित करने वाली होती है। उन्होंने कहा कि इन विकट परिस्थितियों की परवाह किए बगैर यात्री
भारी उत्साह में धामों में उमड़ रहे हैं।यात्रियों की अत्यधिक संख्या धामों की वहनीय क्षमता से
अधिक हो जा रही है। ऐसे में स्वाभाविक है कि सरकार के स्तर से किए जा रहे प्रयास कम पड़ जा
रहे हैं। यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य सेवाओं को
लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया है