12 वर्ष बाद भारत के अंतिम गांव सीपू में होगी महादेव की विशेष पूजा

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12 वर्ष बाद भारत के अंतिम गांव सीपू में होगी महादेव की विशेष पूजा

                    डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड प्रदेश के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ की धारचूला तहसील लम्बे समय तक भारततिब्बत व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र रही है. इस तहसील में रं जनजाति के लोगों की बसासत है जो यहाँ की तीन घाटियोंदारमा, व्यांस और चौंदास में शताब्दियों से निवास करते आये हैं.धारचूला से 18 किलोमीटर दूर तवाघाट नामक स्थान है जहां कालीगंगा और धौलीगंगा नदियों का संगम होता है. यदि हम कालीगंगा नदी के साथ साथ ऊपर चढ़ते जाएं तो व्यांस घाटी पहुँचते हैं और धौलीगंगा के साथ चलें तो दारमा घाटी. तीसरी अर्थात चौंदास घाटी इन दोनों के मध्य में स्थित है.परम्परानुसार रं समाज के लोग इस मार्ग से चलने वाले भारततिब्बत व्यापार में एकाधिकार रखते थे. व्यापार के दौरान यहाँ के व्यापारी तकलाकोट और ग्यानिमा में मंडियों में जाकर अपने तिब्बती मित्र व्यापारियों के साथ वस्तुओं का क्रयविक्रय किया करते थे. तिब्बत से याक के बाल, सुहागा, बकरियां, ऊन और नमक जैसा सामान लाया जाता था जबकि भारत से चीनी, गुड़ और राशन जैसी चीजें विक्रय के लिए ले जाई जाती थीं. पुरुषों के व्यापार में तिब्बत गए होने के दौरान गाँवों में रह रही महिलाएं एक फसल उगाती थीं जिसमें मुख्य रूप से कुटू और फांफर पैदा होता था. फल और सब्जियां भी पैदा किये जाते थे.दारमा और व्यांस घाटियों के बहुत ऊंचाई पर अवस्थित होने के कारण यहाँ के निवासी सर्दियों में धारचूला और उसके आसपास की गर्म बसासतों में जाते थे जहाँ उनके अपनेअपने गाँवों के नियत आवास हुआ करते थे. ये आवास अब भी हैं और उन्हें खेड़े कहा जाता है.बारह वर्षो बाद चीन सीमा से लगे दारमा घाटी स्थित अंतिम गांव सीपू में महादेव महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। 17 जून से होने वाले महाकुंभ की तैयारियां होने लगी है। दारमा घाटी के सभी गांवों के ग्रामीण महाकुंभ की तैयारियों में जुटे हैं।चीन सीमा पर भारत के अंतिम गांव सीपू में बारह वर्षो बाद महादेव की पूजा होती है। जिसे स्थानीय लोग महादेव महाकुंभ मानते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार सीपू के निकट महादेव गुफा में आज भी भगवान शिव के पदचिन्ह हैं। माना जाता है कि भगवान शिव ने यहां पर लंबे समय तक तपस्या की थी। जहां पर उन्होंने अपना पांव रखा वह चिन्ह बरकरार है। सीपू गांव में बारह वर्ष बाद होने वाली इस पूजा का विशेष महत्व है। सीपू गांव के ग्रामीण आयोजन के लिए तैयारियों में जुट गए हैं। पिथौरागढ़ जिले में स्थित देश का अंतिम गांव सीपू 15 जून से शिवमय होगा। इस गांव में 12 वर्ष के बाद महादेव की विशेष पूजा अर्चना होगी। आयोजन में भाग लेने के लिए दारमा वैली के अंतर्गत आने वाले 14 गांवों के लोग देशभर से अपने गांव पहुंचने लगे हैं।चीन सीमा से लगे भारतीय भू भाग को भगवान शंकर की भूमि माना जाता है। हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कैलास मानसरोवर इसी भूमि से होती है। सदियों से यात्री इसी मार्ग से भगवान शिव के धाम कैलास पहुंचते हैं। धारचूला तहसील के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में तीन घाटियां हैं। व्यास घाटी, चौदांस घाटी और दारमा घाटी। तीनों घाटियों में बारह वर्ष के अंतराल में भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। इस वर्ष यह पूजा दारमा घाटी की सीपू गांव में होनी है। चीन सीमा से लगे इस गांव में सीपाल जाति के लोग रहते हैं। पूजा में दारमा घाटी के अंतर्गत आने वाले 14 गांवों के लोग भागीदारी करेंगे। परंपरागत ढंग से होने वाली इस पूजा को लेकर गांव की युवा पीढ़ी में खासा उत्साह है। गांव की नई पीढ़ी पहली बार इस पूजा में शिरकत करेगी। देश भर में फैले दारमा वैली के लोग पूजा में भाग लेने के लिए गांवों में पहुंचने लगे हैं। सीपू गांव पहुंचने के लिए बनाया गया पैदल मार्ग पिछले माह ग्लेशियर खिसकने से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र सिंह ने बताया कि कुछ स्थलों पर मार्ग बेहद खतरनाक हालत में है। बुजुर्गों और महिलाओं को गांव पहुंचने में खासी दिक्कत हो रही है। अगले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में लोग सीपू गांव पहुंचेंगे। सीपू गांव निवासी प्रसिद्ध मूर्तिकार का कहना है कि कुंभ की तर्ज पर बारह वर्ष बाद होने वाली पूजा को लेकर प्रदेश व देश के अन्य भागों में रहने वाले लोगों में उत्साह बना है। इसके अलावा पर्यटक व अन्य लोग भी पूजा में आने वाले हैं। इस दौरान सीपू में विशेष चहल पहल रहेगी । बाहर से लोग आएंगे और भाईचारा बढेगा। सभी भगवान महादेव की भूमि में आने को आतुर हैं।लोनिवि धारचूला के सहायक अभियंता ने बताया कि दारमा घाटी के सीपू, मार्छा सहित अन्य गांवों के क्षतिग्रस्त पैदल मार्गो का आंकलन कर रिपोर्ट प्रशासन को भेज दी गई है। स्वीकृति की प्रतीक्षा की जा रही है। स्वीकृति मिलते ही उच्च हिमालयी गांवों के पैदल मार्गो की मरम्मत की जाएगी। उच्च हिमालयी घाटी दारमा में तवाघाट से ढाकर तक 66 किमी सड़क बन चुकी है। चीन सीमा से लगे अंतिम गांव सीपू और मार्छा अभी भी सड़क से वंचित हैं। तिदांग सड़क से सीपू की दूरी आठ किमी और मार्छा की दूरी चार किमी है। इसी पैदल मार्ग पर बीते वर्ष ग्लेशियर आने से क्षतिग्रस्त मार्ग ठीक नहीं किया गया है। भारत सरकार की डिजिटल इंडिया का सपना सीमांत में साकार हो रहा है। चीन सीमा से सटे दारमा घाटी के भारतीय गांवों में वी सेट के माध्यम से संचार सेवा शुरू करने का काम तेजी से हो रहा है। बालिंग के बाद दारमा घाटी का अंतिम गांव सीपू भी संचार सेवा से जुड़ गया है।
भारत सरकार की योजना के तहत बीबीएनएल कंपनी वी सेट लगा रही है। सीमांत के 35 गांवों में वी सेट के माध्यम से संचार सेवा शुरू की जाएगी। इनमें दारमा घाटी में 13 गांव बोगलिंग, सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, दुग्तू, दांतू, गो, बोन, फिलम, तिदांग, मारछा, सीपू शामिल हैं। व्यास घाटी में सात गांवों बुदी,गर्ब्यांग, नप्लचु, गुंजी, नाबी, रोंकांग, कुटी में भी वी सेट से ही संचार सेवा उपलब्ध होगी। धारचूला तहसील के ही चौदास घाटी के तीन गांवों धारपांगू, बुंगबुंग (सिमखोला) और जिप्ति में वी सेट लगेंगे। इसके अलावा मुनस्यारी के 12 गांवों बुरफू, बोना, डिमडिमिया, भवानी, नामिक, रिंगुनिया, टांगा, चुलकोट, पाचू, पातो और ढुनामनी गांव शामिल हैं।
धारचूला और मुनस्यारी के इन गांवों में अभी तक संचार की कोई सुविधा नहीं थी। यहां के लोगों को किसी तरह की आपदा की सूचना देने के लिए 30 से 70 किलोमीटर पैदल चलकर तहसील मुख्यालय पहुंचना पड़ता था। वी सेट लगने के बाद जहां लोगों को बातचीत की सुविधा मिलेगी वहीं वाईफाई के माध्यम से वीडियो कालिंग और ह्वाट्सएप का लाभ भी सीमांत के लोगों को मिलेगा। सीपू गांव की प्रधान ने बताया कि दारमा घाटी के सीपू गांव तक अभी सड़क भी नहीं है। गौरतलब है कि राज्य में विद्यमान विभिन्न शिव मंदिरों को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु उत्तराखंड के पर्यटन विभाग द्वारा शिव सर्किट की कमी है