दूसरे विश्व युद्ध में फाइटर प्लेन उड़ा चुके डीएस मजीठिया 

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दूसरे विश्व युद्ध में फाइटर प्लेन उड़ा चुके डीएस मजीठिया 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

देश के असली हीरो और सबसे उम्रदराज फाइटर मैन स्क्वाड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) डीएस. मजीठिया, पूरा नाम दिलीप सिंह मजीठिया शतक लगाकर 102 साल की उम्र में भी हौसले और जज्बे से भरे हैं। 27 जुलाई को वह अपना 103वां जन्मदिन नैनीताल बोट हाउस क्लब में मनाएंगे। सच्चे देशभक्त और जीवन के विविध आयामों से परिपूर्ण डीएस मजीठिया की कहानी हर किसी को जाननी और उसे आगे बढ़ानी चाहिए। देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए जीवन को कितने चाव से जिया और दूसरों के लिए प्रेरणा बना जा सकता है ब्रिटिश रूल के दौरान सरदार दिलीप सिंह वर्ष 1940 में जब वायुसेना में शामिल हुए तो उन दिनों दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था। ब्रिटिश गवर्नमेंट ने उन्हें बर्मा के मोर्चे पर भेजा। इस दौरान वह बर्मा में फाइटर प्लेन हॉकर हरीकेन के साथ वहां डटे रहे और अपने साहस के चलते सच्चे हीरो कहलाए। पहली अगस्त 1940 को उन्हें कमीशन मिला था। हालांकि सेना के साथ उनका साथ लंबा नहीं रहा। पारिवारिक दायित्वों के चलते उन्हें जल्द ही स्वैच्छिक अवकाश लेना पड़ा। जिसके बाद उन्हें कई मेडल मिल चुका है। रिटायर्ड होने के बाद भी सरदार दिलीप सिंह का हवाई जहाज उड़ाने का शौक बना रहा। अपने शौक का पूरा करने के लिए उन्होंने न केवल एक चाटर्ड प्लेन खरीदा बल्कि चीनी मिल परिसर में ही अपना निजी एयरपोर्ट भी बनाया। नेपाल की धरती पर पहली बार हवाई जहाज उतारने का श्रेय दिलीप सिंह मजीठिया को ही है। उन्होंने 23 अप्रैल 1949 को काठमांडू के परेड ग्राउंड में यह ऐतिहासिक कार्य किया था। आज भी काठमांडू के त्रिभुवन हवाई अड्डे पर लगी उनकी तस्वीर इस बात की पुष्टि करती है। सेना से अवकाश लेने के बाद 1947 के करीब में मजीठिया गोरखपुर चले गए और जहां वह सरदार नगर में पहले से स्थापित अपने परिवार की सरैया सुगर मिल का काम देखने लगे। लंबे समय तक वह इस चीनी मिल के चेयरमैन रहे। उनके चेयरमैन रहते वह चीनी मिल एशिया की ख्यातिप्राप्त मिल हो गई। उनके कार्यकाल में सरैया स्टील कंपनी और रोलिंग मिल सहित कई अन्य उद्योग भी खूब फले-फूले। 90 के दशक में अस्वस्थता के चलते वह अपनी आस्‍ट्रेलियन पत्नी जाॅन सैंडर्स के साथ दिल्ली में रहने लगे। हालांकि उनके सरदार नगर आने-जाने का सिलसिला बना रहा। बीते दो-तीन वर्ष में अधिक उम्र के चलते उनके यहां आने पर विराम लग गया। आज भी सरदार नगर में करीब पांच एकड़ में उनकी कोठी मौजूद है। गोरखपुर में तकनीकी संस्थान खोलने को लेकर जमीन की अड़चन का मामला जब सरदार दिलीप सिंह तक पहुंचा तो उन्होंने इसमें खुद पहल की। 1970 में तकनीकी संस्थान खोलने के लिए अपनी 317 एकड़ जमीन दान में दे दी। वही तकनीकी संस्थान अब मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का रूप ले चुका है। कुशीनगर का बुद्ध पीजी कालेज, बुद्ध इंटर कालेज, गोरखपुर का लेडी प्रसन्न कौर इंटर कालेज सरदारनगर भी आज दिलीप सिंह मजीठिया के ही प्रबंधन में ही चलता है। सरदार मजीठिया के जीवन के पांच दशक गोरखपुर के सरदार नगर में बीता है। जहां उन्होंने न केवल पूर्वांचल की धरती को औद्योगिक रूप से उर्वर बनाया बल्कि मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे तकनीकी शैक्षणिक संस्थान की नींव तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरदार मजीठिया वर्ततान में उत्तराखंड रह रहे हैं। उनकी बेटी किरन ने बताया कि मजीठिया आजकल भीमताल में रह रहे हैं। नैनीताल में उनकी कोठी में दो साल पहले आग लग गई थी। जिसके बाद वह भीमताल शिफ्ट हो गए। नैनीताल राजभवन गोल्ड कोर्स में होने वाली गवर्नर्स गोल्फ गोल्ड कप टूर्नामेंट में मजीठिया अनेक प्रतियोगिता जीत चुके हैं। वायु सेना में सेवारत रहने के दौरान मजीठिया गोल्फ के शौकीन हो गए थे। वह इस अवस्था में राजभवन में आयोजित गोल्फ के प्रैक्टिस मैच में 140 मीटर या करीब 148 गज का होल इन वन का कारनामा तीन बार कर चुके हैं। मजीठिया राजभवन में आयोजित गोल्फ क्लब में वेट्रन कैटगरी की प्रतियोगिता चैपियन रह चुके हैं इतिहासकार के अनुसार मजीठिया ने टाइगर मोथ एयरक्राफ्ट की ट्रेनिंग लाहौर में ली थी। ममीठिया ने 80 के दशक में नैनी झील में सेलिंग करना शुरू कर दिया था। 1985 में सेलिंग के दौरान भयंकर तूफान आ गया तो उनकी नौका डूब गई, लेकिन उन्होंने भयंकर लहरों के बीच खुद के साथ ही साथी को भी सुरक्षित किनारे पहुंचा दिया। राजभवन गोल्फ क्लब के कैप्टन के अनुसार इस साल स्वास्थ्य कारणों से मजीठिया गोल्फ प्रतियोगिता में शामिल होने में असमर्थ हैं। राज्यपाल ने कहा की वे भारतीय सशस्त्र बलों के गौरव हैं। मजीठिया के अंदर एक सच्चे सैनिक की जिजीविषा और मूल्य हैं। गोल्फ के प्रति भी डीएस मजीठिया का बेहद जुनून रहा है और वे शानदार गोल्फर रहे हैं। राज्यपाल ने इस मुलाकात को एक प्रेरणादायी और बेहद ही सकारात्मक बताया। राज्यपाल ने उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। श्री मजीठिया के अंदर एक सच्चे सैनिक की जिजीविषा और मूल्य हैं। गोल्फ के प्रति भी श्री मजीठिया का बेहद जुनून रहा और वे शानदार गोल्फर रहे हैं। उन्होंने इस मुलाकात को प्रेरणादायी और सकारात्मक बताया। दूसरे विश्वयुद्ध समेत 1947-48 में भारत-पाक युद्ध समेत अनेक लड़ाइयों में असाधारण वीरता का प्रदर्शन कर चुके देश के सबसे बुजुर्ग फाइटर मैन स्क्वाड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) डीएस. मजीठिया का 27 जुलाई को 103 वां जन्मदिन नैनीताल बोट हाउस क्लब में मनाया जाएगा। आयोजन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर गुरमीत सिंह भी शामिल होंगे।