पर्वतीय कला केन्द्र का 55वां स्थापना दिवस मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति में मनाया गया
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कैलाश जोशी (अकेला)
नई दिल्ली (न्यूज1 टुडे व्यूरो)। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर सन् 1968 मे स्थापित ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ द्वारा, 17 अक्टुबर की सांय एलटीजी सभागार मंडी हाउस में, संस्था का 55वा स्थापना दिवस, मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति मे उत्तराखंड के लोकगीतों, नृत्यों व लोकगाथाओं के अंशों का प्रभावशाली मंचन कर मनाया गया।
स्थापना दिवस के इस अवसर पर ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ अध्यक्ष सी एम पपनै व संस्था संरक्षकों दीवान सिंह बजेली, रमा उप्रेती, रतन सिंह रावत, डाॅ बी एस नेगी, पूरन चंद्र नैलवाल, टी सी उप्रेती, महेश चंद्रा, रमेश सुन्दरियाल, सुल्तान तोमर, गोपाल उप्रेती, पी सी नैनवाल, चंदन डांगी व संस्था संरक्षक व मुख्य सलाहकार के सी पांडे द्वारा मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल का मंच पर स्वागत अभिनंदन कर, पुष्पगुच्छ व स्मृतिचिन्ह भैट किया गया।
स्थापना दिवस के इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष सी एम पपनै द्वारा मुख्य अतिथि के साथ-साथ संस्था संरक्षकों, केन्द्र व उत्तराखंड राज्य सरकार के अधिकारियो, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्थाओ के पदाधिकारियों व पत्रकारों से खचाखच भरे सभागार मे उपस्थित सभी श्रोताओं को संस्था गठन के विगत 55 वर्षों के ऐतिहासिक क्षणो, कार्यो व संस्था उद्देश्यों पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया। पर्वतीय कला केन्द्र के प्रेरक संस्थापक गुरु रहे, सु-विख्यात लोकगायक व संगीतकार स्व.मोहन उप्रेती के निर्देशन में देश-विदेश मे मिली ख्याति व उत्तराखंड के लोकसंगीत, लोकगीतों व लोकगाथाओं को मिली पहचान तथा वर्तमान मे स्व.मोहन उप्रेती के साथ-साथ, स्व.नईमा खान उप्रेती, स्व.बी एम शाह, स्व.बृजेन्द्र लाल शाह, स्व.प्रेम मटियानी, स्व.भगवत उप्रेती इत्यादि इत्यादि केन्द्र से जुड़े रहे प्रेरकों से मिली प्रेरणा से उत्तराखंड की सांस्कृतिक विधा के संरक्षण व संवर्धन के लिए, संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यो के बावत अवगत कराया गया।
संस्था संरक्षक व मुख्य सलाहकार के सी पांडे द्वारा मंचासीन मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री काे संस्था की प्रभावशाली भूमिका व वित्तीय समस्याओं के बावत अवगत कराया गया। समस्या समाधान हेतु केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय स्तर पर समस्या समाधान हेतु सविनय निवेदन किया गया।
मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पर्वतीय कला केन्द्र के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों, संरक्षकों व कलाकारों को 55वे स्थापना दिवस पर शुभकामनाऐ देकर व्यक्त किया गया, उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में निवासरत जनमानस का जीवन बहुत जटिल व संघर्षमयी है। पर्वतीय अंचल के लोकगीत-संगीत व लोकनृत्य बहुत समृद्ध, प्रभावशाली और आकर्षणशील हैं। स्व.मोहन उप्रेती इस विधा पर बहुत अच्छा कार्य कर इस कला को एक प्रभावशाली दिशा दे गए हैं। पर्वतीय कला केन्द्र इस गीत-संगीत व नृत्य विधा के संवर्धन पर विगत पांच दशकों से बखूबी निरंतर कार्य कर रहा है। उत्तराखंड की इस कला को देश-विदेश में मंचित कर उत्तराखंड और देश का नाम रोशन कर रहा है। संस्कृति मंत्रालय पर्वतीय कला केन्द्र को पर्वतीय अंचल की कला के संवर्धन मे पूर्ण मदद व सहयोग करेगा।
पर्वतीय कला केन्द्र के कलाकारों द्वारा स्थापना दिवस के इस अवसर पर उत्तराखंड पर्वतीय अंचल के मनोहारी व कर्णप्रिय लोकसंगीत की धुनों मे लोकगीतो, नृत्यों व लोकगाथाओं के अंशों का प्रभावशाली व यादगार मंचन किया गया। बबीता पांडे द्वारा पर्वतीय कला केन्द्र के परंपरागत लोकधुनों का व दीक्षा उप्रेती द्वारा लोकनृत्यों का संकलन कर प्रभावशाली मंचन किया गया। मंचित गीत, नृत्य व लोक गाथाओ के अंशों को अमित सक्सेना द्वारा डिजाइन व निर्देशित किया गया था।
विरेंद्र पुंडीयाल द्वारा मंचित कार्यक्रम गाथा बखान बखूबी किया गया। लोकगायन मे चन्द्रा बिष्ट, नीलम राना, महेंद्र लटवाल, भुवन रावत, राहुल, दीपक राना, मधुबेरिया शाह, सुमित्रा किशोर, के एस बिष्ट, लक्ष्मी महतो, पुष्पा जोशी, नीमा गुसाई, सृष्टि नाब्याल तथा नृत्य में सावित्री शर्मा, गीता गुसाई नेगी, नवीन चांद, स्वेता चांद, भूपाल सिंह बिष्ट, भगवती, रवि शर्मा, कुबेर कोटियाल, ममता कर्नाटक इत्यादि ने श्रोताओं को प्रभावित किया। कार्यक्रम समापन पर सभी श्रोताओं द्वारा तालियों की बहुत देर तक गडगड़ाहट कर मंचित लोकगीतो, नृत्यों व लोकगाथाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। केन्द्र के सभी कलाकारों व पदाधिकारियों को भविष्य की शुभकामनाऐ दी गई।
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