केदार घाटी महिलाओ द्वारा मंचित रामलीला से ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ शताब्दी वर्ष का भव्य श्रीगणेश

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केदार घाटी महिलाओ द्वारा मंचित रामलीला से ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ शताब्दी वर्ष का भव्य श्रीगणेश
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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। उत्तराखंड पर्वतीय अंचल के लोकजीवन ने अपनी अस्मिता, अपने संघर्ष और मूल्यबोध को सक्रिय रखने के लिए, जिन कलारूपो का सहारा लिया, उनमे रामलीला का स्थान केन्द्रीय रहा है। एक सार्वभौम कालजयी चरित कथा को पीढ़ियों से लोगों ने अपनी स्थानीयता के अनुरूप अनेक विविध शैलियों व दृष्टियों से प्रस्तुत किया है। रामलीला उत्तराखंड की पारंपरिक नाट्य व आस्था का एक महत्वपूर्ण सम्बल रहा है। अंचल की इस आस्था को दिल्ली प्रवास मे कायम रख, दिल्ली एनसीआर मे प्रवासरत उत्तराखंड के प्रवासियो की सु-विख्यात सामाजिक संस्था ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ का शताब्दी वर्ष (1923-2023) समारोह श्रृंखला का भव्य श्रीगणेश 2 जनवरी को गढ़वाल भवन नई दिल्ली मे, रुद्रप्रयाग की 38 महिला रंगकर्मियो से सुसज्जित ‘केदार बद्री मानव श्रम समिति उत्तराखंड’ के बैनर तले उत्तराखंड की सु-विख्यात रामलीला का मंचन एक अभिनव प्रयोग के तहत किया गया।

शताब्दी वर्ष समारोह श्रृंखला के प्रथम दिन आयोजित रामलीला मंचन की अध्यक्षता विश्व ब्राह्मण फैडरेशन अध्यक्ष व व्यवसायी के सी पांडे द्वारा अन्य विशिष्ट अतिथियो मे सुमार अवकाश प्राप्त ले.जनरल अरविंद रावत, ललित मोहन नेगी सहायक पुलिस आयुक्त दिल्ली पुलिस तथा व्यवसायी डाॅ विनोद बछेती तथा हरीश अवस्थी के सानिध्य में दीप प्रज्ज्वलित कर व सभी अतिथियों व कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा श्रीगणेश आरती के बाद ‘सियापति रामचंद्र की जय….।’ उदघोष के साथ किया गया।

‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट द्वारा शताब्दी वर्ष समारोह श्रृंखला उद्घाटन के अवसर पर सभी अतिथियों के साथ-साथ सभागार में उपस्थित विभिन्न सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओ से जुडे प्रबुद्ध जनो, सभी श्रोताओं तथा रामलीला मंडली कलाकारों का स्वागत अभिनंदन किया गया। मुख्य व विशिष्ट अतिथियों का स्वागत-सम्मान स्मृति चिन्ह, पुष्प गुच्छ व दुपट्टा ओढा कर किया गया।

शताब्दी वर्ष समारोह श्रृंखला उद्घाटन के अवसर पर ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ कार्यकारिणी पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा सुशीला रावत, उषा घिल्डियाल, देवेन्द्र जोशी, रोशनी चमोली, खुशाल सिंह बिष्ट, कुलदीप नेगी, सुभाष डबराल, रमेश घिल्डियाल, कुसुम कन्डवाल इत्यादि इत्यादि के साथ-साथ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ, सोशल मीडिया व टीवी चैनल पत्रकारों को भी स्मृतिचिन्ह व दुपट्टा ओढा कर सम्मानित किया गया।

2 जनवरी से 12 जनवरी, 11 दिनो तक नित्य सायं 4 से 7.30 बजे तक पहली बार रामलीला के इस महायज्ञ मे सिर्फ महिला कलाकारों द्वारा गढ़वाल भवन, झन्डेवालान मे लक्ष्मी शाह के निर्देशन मे मंचित की जा रही उत्तराखंडी रामलीला शैली के बावत ‘केदार बद्री मानव श्रम समिति उत्तराखंड’ रामलीला मंडली प्रमुख राजेन्द्र सिंह नेगी द्वारा अवगत कराया गया, सुदूर सीमांत केदार घाटी में उत्तराखंड की महिलाओ के शक्तिकरण के लिए अभिनव तरीके से कार्यरत संस्था, केदारनाथ मंदिर का प्रसाद बनाने के साथ-साथ सिर्फ महिला कलाकारों के द्वारा सम्पूर्ण रामलीला का मंचन भी करती है। सम्पूर्ण महिला पात्रों से सुसज्जित रामलीला का पहला मंचन अगस्तमुनि मे किया गया था। विगत वर्षों में उत्तराखंड मे तथा एक बार हरियाणा मे, अब तक कुल बारह बार इस रामलीला का सम्पूर्ण मंचन किया जा चुका है। दिल्ली में पहली बार आयोजित हो रहे मंचन पर सभी महिला कलाकारो मे हर्ष व्याप्त है। सभी कलाकार आत्मविश्वास से ओत-प्रोत हैं। हार्मोनियम मे अखिलेश गोस्वामी व तबला मे भुपेन्द्र हटवाल द्वारा संगीतबद्ध विभिन्न राग आधारित गायन व संवादो पर रामलीला मंचन मे सभी पात्रों के किरदार महिलाऐ निभा रही हैं, जो एक सफल व जनमानस द्वारा स्वागत योग्य अभिनव प्रयोग रहा है।

महिलाओ द्वारा मंचित की जा रही रामलीला का शुभारंभ नट-नटी के संवाद से किया गया, रावण, कुंभकरण व विभिषण द्वारा कठोर ब्रह्म तपस्या जाप-
ओम ब्रह्म देवाय नम: ….।
से वर प्राप्ति। रावण द्वारा वर प्राप्ति के बाद शिव व पार्वती के आश्रय कैलाश को डगमगाने का दुस्साहस करना। सन्तान विहीन दशरथ का चिंता व्यक्त कर मुनि आज्ञानुसार यज्ञ हेतु सहमत होना। तीन रानियों से चार पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघन के जन्म के बाद दशरथ दरबार मे विश्वामित्र का आगमन व राम लक्ष्मण को मुनि की रक्षा हेतु वन भेजना। वन में ताडिका व सुबाहु बध तक की रामलीला मंचन महिला पात्रों द्वारा बडे ही आत्मविश्वास के साथ राग आधारित गीत गायन व संवाद व्यक्त कर तथा प्रभावशाली अभिनय कर किया गया। सभी महिला पात्रों द्वारा श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया गया। ताडिका व सुबाहु बध मे राक्षसों द्वारा उत्तराखंड की विविध लोक संगीत धुनों व नृत्य विधा का अभिनव प्रयोग श्रोताओं को गुदगुदाने मे सफल रहा।

प्रथम दिन करीब चार घंटे तक मंचित रामलीला का समापन श्री रामचंद्र कृपालु भजमन…। श्रीराम वंदना से किया गया। रामलीला मंच संचालन गढ़वाल हितैषिणी सभा सचिव दीपक द्विवेदी द्वारा बखूबी किया गया।

महिलाओ द्वारा मंचित इस रामलीला के अभिनव सफल प्रयोग का अवलोकन कर, निश्चित रूप से कहा जा सकता है, चाहे रामकथा की महती संकल्पना के कारण हो, चाहे रामचरितमानस की लोक प्रतिष्ठा के कारण हो, लोगों का जितना सहयोग रामलीला नाट्य आयोजन मे होता है, उतना किसी भी अन्य नाट्य रूप या सांस्कृतिक आयोजनों मे मिल पाना कठिन होता है। रामकथा को देखना, सुनना और जीवन में उतारना उत्तराखंड के जनमानस की मानसिकता का आदर्श रहा है। इसीलिए रामलीला के दृश्य को अपने अंचलीय स्वभावो के अनुरूप देखने की परिपाठी उत्तराखंडियों मे संस्कारगत है। इसी संस्कार के तहत गढ़वाल भवन मे केदार घाटी की महिलाओ द्वारा मंचित रामलीला को गढ़वाल हितैषिणी सभा द्वारा शताब्दी वर्ष समारोह मे उत्तराखंड के अपार जनमानस के मध्य मंचित करवाना, संस्था सदस्यों की मानसिकता का भी आदर्श कहा जा सकता है। शताब्दी वर्ष के शुभारंभ का स्वागत योग्य व सफल कदम माना जा सकता है।
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