कोविड-19 महामारी मे आत्मबल से बना पत्रकारों का परोपकारी कारवां

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कोविड-19 महामारी मे आत्मबल से बना पत्रकारों का परोपकारी कारवां
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सी एम पपनैं

देहरादून। कोरोना विषाणु संक्रमण की विश्वव्यापी महामारी, राष्ट्रव्यापी लाकडाऊन, समय-समय पर किए गए अन्य प्रशासनिक लाकडाऊन तथा लगाए गए करफ्यू के दौरान, जनमानस को अनेको संकटो व पीड़ाओ से गुजरना पड़ा है।

जनमानस की उक्त पीड़ाओ व संकटो का संज्ञान ले, विवेकशील हो, कई परोपकारी सामाजिक संगठनों, संस्थाओ व लोगों द्वारा, जरूरत मंदो की मदद हेतु, सोशल मीडिया पर देशभर मे, बडे स्तर पर ग्रुप बनाए गए। परोपकारी व्यक्तियों को, उक्त ग्रुपो से जोड, व्यापक स्तर पर जरूरतमंद लोगों के हितार्थ, मदद हेतु, हाथ बढ़ाऐ गए। परोपकार किया गया।

कोरोना विषाणु संक्रमण की लम्बे दौर की महामारी मे, बडे स्तर पर देश के पत्रकार भी सपरिवार प्रभावित व संकटग्रस्त रहे हैं। जीवन के ऐसे विपरीत दौर में, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के कुछ पत्रकारों के परिवारों पर भी, संकट के बादल घिरे। विवेकशील हो, देहरादून के कुछ पत्रकारों द्वारा, अपना कर्तव्य समझकर, एक राय से अपने संकटग्रस्त पत्रकार साथियों के हितार्थ, सोशल मीडिया पर पत्रकारों का एक ग्रुप बना, एकजुट हो, अपने स्त्रोतो से जनसेवा को अंजाम दिया गया।चाही गई मदद, आपस में इकठ्ठा कर, संकटग्रस्त पत्रकार के दरबाजे तक पहुचा कर, जो एक प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत किया गया, उससे स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ, अनेको अन्य पत्रकार, सामाजिक संगठनो, बुद्धिजीवी प्रकोष्ठों से जुडे बुद्धिजीवी, डाक्टर तथा विभिन्न दलों से जुडे राजनेता भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सके। मदद करने का आहवान करने लगे। ऐसे मे पत्रकारों द्वारा, महामारी मे, जनसरोकारो के हितार्थ सोशल मीडिया पर एक दूसरा नया ग्रुप ‘कोविड-19 हैल्प मीडिया ग्रुप’ नाम से बनाया गया। जिसमे पत्रकारों सहित, सभी अन्य वर्गो से जुडे परोपकारियो को भी जोड़ा गया।

व्यापक स्तर पर उक्त ग्रुप से जुडे प्रबुद्ध लोगों द्वारा, कोरोना पीड़ितों व संकटग्रस्त परिवारो के लिए राहत सामग्री जुटाई जाने लगी। जरूरत मंदो को, उनकी मांग व जरूरत के अनुरूप, स्थानीय प्रशासन की मदद से, राशन किट, दवाईया, मास्क, सेनेटाईजर, हैंडवास, स्टीमर व अन्य आवश्यक सामान का वितरण घर-घर जाकर, किया जाने लगा, जो वितरण का क्रम यथावत जारी है। साथ ही आक्सीजन, अस्पतालो मे बैड व अन्य व्यवस्था का इंतजाम भी परोपकारियों द्वारा जरूरत के मुताबिक, उत्तराखंड के दूरदराज पहाडी इलाको मे, एक पहल के तहत, संकटग्रस्त व जरूरतमंद परिवारो के दरबाजे तक, प्रशासन की मदद से, पहुचाई जा रही है, जो अति सराहनीय कार्य है।

व्यक्त किया जाता है, भारत की यह संस्कृति रही है, जरूरत मंद की मदद की जानी चाहिए।अवलोकन कर ज्ञात होता है, कोरोना विषाणु संक्रमण के कहर ने, हर घर-परिवार को अपनो की पहचान, इस कोरोना कहर की विपत्ती के समय करवाई है। कोरोना काल के दौरान, निजी स्तर पर किए गए परोपकारी कार्यो को, बडे स्तर पर परखा व सराहा गया है। किया गया परोपकार, महामारी के दौरान, जनमानस के बीच, काफी मजबूत साबित हुआ है।

कोरोना महामारी पत्रकारों के जीवन मे भी ऐसी चुनोती लेकर आई, जो उसे पहले कभी नहीं मिली थी। उत्तराखंड के देहरादून स्थित पत्रकारों व जनसमाज द्वारा, कोरोना महामारी की विकट समस्या मे, हितैषियों व परोपकारियो को अच्छी तरह पहचाना गया। स्थानीय पत्रकारों को गर्व हो रहा है, उन्हे आत्मीयता मिल रही है, ऊर्जा मिल रही है, सोशल मीडिया का ग्रुप, जन सेवार्थ मे चलाने पर।

ग्रुप से जुडे अनेको परोपकारियों मे, अफजाल अहमद, आलोक शर्मा, अजीत, कैलाश जोशी ‘अकेला’, राकेश बिजलवाण (विचार एक नई सोच के अध्यक्ष), रमन जायसवाल, डा.महेश कुरियाल, भावना पांडे, अवधैष नोटियाल, गौरव वासुदेव, के सी पांडे (उद्यमी), महेश जीना (विधायक), डा.अशोक कुमार, आदित्य चौहान, रचिता जुयाल (पुलिस प्रशासन) इत्यादि का नाम, उक्त ग्रुप के संचालक, बडे आत्मीय सम्मान के साथ लेना चाहते हैं, जिनकी मदद के बल, न सिर्फ कोरोना महामारी संकट से प्रभावित पत्रकारों व उनके परिवारो को उबरने का मौका मिला, साथ ही गरीब व संकटग्रस्त लोगों को भी, आवश्यक सामग्री व अन्य मदद मिलने से, संकट से उबरने का मौका मिला।

 

मानवीयता के तहत सोच विचार कर ज्ञात होता है, परोपकार ही मानव का सबसे बड़ा धर्म है। प्रकृति का कण-कण हमें, परोपकार की शिक्षा देता है। सच्चा परोपकार वही है, जो कर्तव्य समझकर किया गया हो।परोपकार ही वह गुण है, जिससे मनुष्य मे अथवा जीवन में सुख की अनुभूति होती है। परोपकार की महिमा अपरंपार है। परोपकार का हमारे जीवन में, अत्यंत महत्व है। जिसका आचरण हमें निरंतर करना चाहिए।
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