AIIMS में बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल सफल, नहीं दिखा दुष्प्रभाव
कोरोना की तीसरी लहर के आने से पहले बच्चों की वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर सामने आ रही है. भारत बायोटेक की ओर से बच्चों पर किया जा रहा वैक्सीन ट्रायल दिल्ली AIIMS में पहले चरण में सफल हो गया है. वैक्सीनेशन प्रोग्राम के प्रमुख डॉ संजय राय ने कहा कि 12 से 18 साल के बच्चों में वैक्सीन लगाने के बाद पाया गया कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है.
क्या रहा ट्रायल का रिजल्ट?
दूसरे चरण का ट्रायल शुरु
पहले चरण के ट्रायल के परिणाम के बाद एम्स के डॉक्टरों ने दूसरे ऐज ग्रुप के बच्चों का ट्रायल भी आज से शुरु कर दिया है. इस ट्रायल में 6 से 12 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया है. जिन बच्चों का आज शारीरिक परीक्षण किया गया है उन्हें अगले एक से दो दिनों में वैक्सीन लगाई जाएगी.
थोड़ा डर और थोड़ी हिम्मत
नोएडा के पांचवी क्लास में पढ़ने वाली श्रेया पोद्दार अपने पिता के साथ वैक्सीनेशन ट्रायल में हिस्सा लेने आई. श्रेया इस बात से खुश है कि वैक्सीन लगने के बाद वह जल्द से जल्द स्कूल जा पाएगी. वहीं दिल्ली की कामच्छा शेखावत भी अपने पिता नागेन्द्र शेखावत के साथ वैक्सीन ट्रायल के लिए आई. नागेन्द्र बड़े लोगों के ट्रायल में हिस्सा ले चुके हैं. ऐसे में कामच्छा अपने पिता से प्रभावित हैं. उन्होंने बताया कि थोड़ा डर जरुर है लेकिन स्कूल जाने का उत्साह उसे वैक्सीन लेने के लिए उत्साहित कर रहा है.
अगले तीन महीनों में आ सकती है वैक्सीन
डॉ संजय राय ने कहा कि अभी यह कहना काफी जल्दबाजी होगा कि कब तक बच्चों की वैक्सीन बन जाएगी. उन्होंने कहा कि वैक्सीन के सफल परीक्षण में लगभग 9 से 12 महीनों का वक्त लगता है. बावजूद इसके इमरजेंसी एप्रूवल की बात करें तो अगले तीन महीनों में उम्मीद की जा सकती है कि बच्चों की वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी.
जरुरत पड़ी तो घर भी जाएगी टीम
एम्स सूत्रों के मुताबिक बैच्चों के वैक्सीनेशन में सबसे बड़ी परेशानी सैम्पल कलेक्शन को लेकर आती है. एक बार वैक्सीनेशन होने के बाद कई बार यह भी देखा गया है कि लोग ब्लड सैम्पल देने नहीं आते. इस बात को ध्यान में रखते हुए एम्स वैकल्पिक इंतजामों पर भी ध्यान दे रहा है. कोशिश यह की जा रही है कि अगर कोई बच्चा सैम्पल देने नहीं आ पाता है तो उसके घर जाकर बल्ड सैम्पल कलेक्ट किया जाए.