देवप्रयाग की तपोभूमि में मोरारीबापू द्वारा सीमित श्रोताओं के साथ 26 जून से रामकथा का मंगल गान।

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देवप्रयाग की तपोभूमि में मोरारीबापू द्वारा सीमित श्रोताओं के साथ 26 जून से रामकथा का मंगल गान।

देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड में, अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा ‘गंगा’ कहलाती है। इसी कारण देवप्रयाग को पंच प्रयागों में सबसे ज्यादा महत्त्व दिया जाता है। देवप्रयाग अद्वितीय प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। देवप्रयाग से भगवान विष्णु के पाँच अवतार – वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम – का संबंध माना जाता है। और ब्रह्मा, परशुराम, दशरथ और जटायु की यह तपस्थली भी मानी जाती है। एक मान्यता के अनुसार, मुनि देव शर्मा ने ११ हजार वर्ष तक तपस्या की थी और भगवान विष्णु यहीं प्रकट हुए थे। उन्होंने देव शर्मा को त्रेता युग में देवप्रयाग वापस आने का वचन दिया था और श्री रामावतार में अपना वचन पूरा भी किया। रामचन्द्र जी के देवप्रयाग आने और विश्वेश्वर लिंग की स्थापना करने का उल्लेख शास्त्र में मिलता है।
*रामं भूत्वा महाभाग गतो देवप्रयागके।*
*विश्वेश्वरे शिवे स्थाप्य पूजियित्वा यथाविधि।।*
ऐसा भी कहा जाता है कि देव शर्मा के नाम पर ही देवप्रयाग का नाम पड़ा। पौराणिक मतानुसार महादेव भगवान शिव का यह प्रिय स्थल बताया गया है। इसका कारण ’गंगा’ का यहाँ प्रवाहित होना है। देवप्रयाग की चार दिशाओं एवं केन्द्र में भगवान शिव यहाँ विराजे है। देवप्रयाग तीर्थ के केन्द्र में ’आदि विश्वेश्वर’ स्थित है। रामेश्वर धाम के बाद यहीं भगवान श्रीराम ने त्रेतायुग में पूर्ण विधान से शिवलिंग स्थापित किया था।
ऐसी इस तप:पूत स्थली में, मोरारीबापू द्वारा 861वीं नौ दिवसीय रामकथा गान का आयोजन 26 जून से 04 जुलाई तक होने जा रहा है। कोविड-19 की विकट परिस्थिति में, सरकार के द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पूर्णरूप से पालन किया जाएगा एवं श्रोताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूर्व-निर्धारित सीमित संख्या के श्रोता ही कथा स्थल में प्रवेश कर सकेंगे । समाविष्ट होने वाले श्रोताओं को यजमान श्री की ओर से पूर्व सूचना दी जाएगी। रामकथा का सीधा प्रसारण 26 जून सायं 4:00 से 6:00 तक एवं 27 जून से 04 जुलाई प्रातः 10 से 1:00 तक आस्था चैनल और चित्रकूटधामतलगाजरडा यूट्यूब चैनल द्वारा किया जाएगा ।