IPO के बाद एक तिमाही में जोमैटो को हुआ 356 करोड़ का घाटा

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IPO के बाद एक तिमाही में जोमैटो को हुआ 356 करोड़ का घाटा

ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो (Zomato)  कोवित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-जून तिमाही में 359 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस अवधि में उसे 99.8 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के बाद एक तिमाही में कंपनी को सबसे बड़ा घाटा हुआ है. Zomato के मुताबिक, कमाई के मुकाबले खर्चों में बढ़ोतरी के चलते घाटा बढ़ा है.

Zomato के मुताबिक, कंपनी को पहली तिमाही में 844.4 करोड़ रुपए की आय हुई है, जो कि पिछले साल इस अवधि में 266 करोड़ रुपए था. हालांकि इस तिमाही में कंपनी का खर्च बढ़कर 1,259.7 करोड़ रुपए हो गया जबकि पिछले साल जून तिमाही में यह 383.3 करोड़ रुपए था.

यूजर्स को दे रहा है ‘अनलिमिटेड फ्री डिलीवरी

Zomato चुनिंदा यूजर्स के लिए Zmato Pro Plus मेंबरशिप लॉन्च करने के लिए तैयार है. Zomato कुछ लकी यूजर्स को एक इनवाइट भेजेगा जिसके माध्यम से वो Zomato Pro Plus मेंबरशिप को इनेबल कर सकते हैं. जोमैटो प्रो प्लस यूजर्स के लिए “अनलिमिटेड फ्री डिलीवरी” के बेनिफिट्स का दावा करता है क्योंकि यह सर्विस चुनिंदा यूजर्स के लिए सर्ज और डिस्टेंस फीस पर छूट देगी. ये बिलकुल एमेजॉन प्राइम यूजर्स द्वारा प्राप्त किए जा सकने वाले फ्री-डिलीवरी बेनिफिट्स के समान है.

बंपर हुई जोमैटो की लिस्टिंग

शेयर बाजार में Zomato की लिस्टिंग बंपर हुई थी. 53 फीसदी प्रीमियम पर जोमैटो का शेयर NSE पर 116 रुपए पर लिस्ट हुआ था. BSE पर यह शेयर 115 रुपए के स्तर पर लिस्ट हुआ था. इस आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस 72-76 रुपए के बीच था. कंपनी ने आईपीओ के जरिए 9375 करोड़ रुपए जुटाए. इसमें 9000 करोड़ का फ्रेश इक्विटी शेयर है.

फाउंडर दीपेंद्र गोयल बने सुपररिच

Zomato के फाउंडर दीपेंद्र गोयल के पास कंपनी में 4.7 फीसदी हिस्सेदारी है. वैल्युएशन के हिसाब से यह वैल्यु 650 मिलियन डॉलर के करीब होती है. इसके अलावा उनके पास कंपनी में 368 मिलियन डॉलर ऑप्शन स्टॉक भी है जो अगले छह सालों में इन्हें मिलेगा. दोनों मिलाकर इनकी कंपनी में हिस्सेदारी डबल हो जाती है. कंपनी का मार्केट कैप 13.3 बिलियन डॉलर है.

पढ़ाई के दौरान शुरू किया था बिजनेस

दीपेंद्र गोयल IIT से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है. पढ़ाई के दौरान पिज्जा ऑर्डर को लेकर होने वाले परेशानी के बाद उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर ऑनलाइन डिलिवरी की शुरुआत की. इसमें आस पड़ोस के कैफे और रेस्टोरेंट्स को फोन नंबर की मदद से जोड़ा गया. जब उनकी पत्नी की नौकरी दिल्ली विश्वविद्यालय में लग गई तब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर फुल टाइम एंटरप्रेन्योरशिप की शुरुआत की.