कैबिनेट का फैसलाः कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 11ः बढ़ा, भू-कानून पर फैसला

0
234

देहरादून। उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक में आखिरकार कर्मचारियों की महंगाई भत्ते की मांग पर मुहर लगा दी गई है। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा बैठक में 11ः डीए बढ़ाए जाने की बात कही गई है।
कैबिनेट बैठक में आज विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई, लेकिन कर्मचारियों की नजर बैठक में कर्मियों के महंगाई भत्ते पर ही रही। बैठक में महंगाई भत्ता को पर मुहर लगने के बाद कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कैबिनेट बैठक में महंगाई भत्ता में 11ः की बढ़ोत्तरी पर मुहर लग गई है। इसके लिए कर्मचारी आभार जताते हैं कि सरकार ने कर्मचारियों की इस मांग को गंभीरता से लेते हुए अंतिम निर्णय ले लिया है। वहीं, गोल्डन कार्ड पर कैबिनेट में चर्चा नहीं होने पर राज्य कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। दरअसल राज्य कर्मचारी गोल्डन कार्ड में सुधारीकरण किए जाने की मांग कर रहे थे। कर्मचारियों का कहना है कि गोल्डन कार्ड के लिए उनके वेतन से पैसा काटा जा रहा है, लेकिन कर्मचारियों को सुविधा महंगाई भत्ते का लाभ राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिलेगा। उत्तराखंड में कुल सवा तीन लाख कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का लाभ मिलेगा। पहले 17ः महंगाई भत्ता मिलता था अब 11 पर्सेंट मिलाकर 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता हो गया है.। ऐसे में कैबिनेट में इसके सुधारीकरण को लेकर फैसला किया जाना चाहिए था. ताकि कर्मचारियों को गोल्डन कार्ड का बेहतर लाभ मिल सके.कैबिनेट ने आज महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी की है। उसका लाभ राज्य के सरकारी कर्मचारियों को 1 जुलाई 2021 से मिलेगा। आंकड़ों की बात की जाए तो कर्मचारियों को औसतन 7000 रुपए का लाभ मिलेगा। कानून का सीधा-सीधा मतलब भूमि के अधिकार से है। यानी आपकी भूमि पर केवल आपका अधिकार है न की किसी और का. जब उत्तराखंड बना था तो उसके बाद साल 2002 तक बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड में केवल 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे। वर्ष 2007 में बतौर मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने यह सीमा 250 वर्ग मीटर कर दी। इसके बाद 6 अक्टूबर 2018 को भाजपा के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत एक नया अध्यादेश लाए, जिसका नाम उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम,1950 में संशोधन का विधेयक था. इसे विधानसभा में पारित किया गया। इसमें धारा 143 (क), धारा 154(2) जोड़ी गई। यानी पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया। अब कोई भी राज्य में कहीं भी भूमि खरीद सकता था। साथ ही इसमें उत्तराखंड के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर में भूमि की हदबंदी (सीलिंग) खत्म कर दी गई। इन जिलों में तय सीमा से अधिक भूमि खरीदी या बेची जा सकेगी। बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रीनगर नगर पालिका को उच्चीकृत कर नगर निगम बनाने का एलान किया था। जिस पर शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में मोहर लग गई है।