उत्तराखंड सरकार के एजेंडे में नहीं है राष्ट्रीय खेल हॉकी, ढांचागत सुविधाएं तक नदारद

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उत्तराखंड सरकार के एजेंडे में नहीं है राष्ट्रीय खेल हॉकी, ढांचागत सुविधाएं तक नदारद

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

राष्ट्रीय खेल हॉकी उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं रहा। यही वजह है कि प्रदेश के खिलाड़ियों को ढांचागत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही है। पूरे राज्य में केवल देहरादून में एकमात्र एस्ट्रो टर्फ है। हालांकि हरिद्वार में एक अन्य एस्ट्रो टर्फ का निर्माण किया जा रहा है।खेल प्रशिक्षकों के 60 फीसदी से अधिक पद खाली हैं। जबकि खेल की नर्सरी कहे जाने वाले स्कूलों में भी खेल के मैदान तक नहीं हैं। प्रदेश की हॉकी एसोसिएशन का कहना है कि हॉकी को बढ़ावा देने के लिए कम से कम हर जिले में एक एस्ट्रो टर्फ होनी चाहिए। उत्तराखंड में खेलों के क्षेत्र में युवा सुनहरा करियर बना सकते हैं। खासकर हॉकी के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन खिलाड़ियों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में पर्याप्त एस्ट्रो टर्फ तक नहीं हैं।यदि हर जिले में एक एस्ट्रो टर्फ नहीं बन सकता तो कम से कम पांच से छह एस्टो टर्फ होने चाहिए थे। इसके अलावा खेल प्रशिक्षकों की भी कमी बनी है। खेल विभाग में खेल प्रशिक्षकों के 63 फीसदी पद वर्षों से खाली हैं। कुछ यही हाल शिक्षा विभाग का है। सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए खेल मैदान तक नहीं हैं। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में खेल मैदान न होने से खिलाड़ी हॉकी की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। पूर्व राज्य खेल समन्वयक चंद्र किशोर नौटियाल के मुताबिक समग्र शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों को खेलों के लिए वर्ष भर में 25 हजार रुपये दिए जाते हैं।इसी बजट से सभी खेलों की तैयारी करनी होती है। पर्वतीय क्षेत्र के स्कूलों में खेल मैदान न होने से छात्र प्रैक्टिस भी नहीं कर पाते। उत्तराखंड हॉकी एसोसिएशन के सचिव बताते हैं कि कुमाऊं मंडल में एक भी एस्ट्रो टर्फ नहीं है। जबकि हर जिले में कम से कम एक-एक एस्ट्रो टर्फ होना चाहिए। युवाओं में खेल भावना को विकसित करने के लिए सभी जिलों में खेल प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा। केरल प्रारुप के अनुरूप देहरादून और हल्द्वानी में प्री फ्रेब्रीकेट खेल गांव का निर्माण किया जाएगा। राष्ट्रीय खेलों के लिए विभिन्न आयोजन स्थलों तक रोड नेटवर्क का विकास किया जाएजगा। लेकिन इस दिशा में कुछ नहीं किया जा सका। यही वजह रही कि वर्ष 2018 के बाद अब 2021 में भी राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का मौका मिलने के बावजूद प्रदेश में राष्ट्रीय खेल नहीं हो पाए। प्रदेश में पर्याप्त खेल सुविधाएं न मिलने से खिलाड़ी दूसरे राज्यों से खेलने का मजबूर हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया मूल रूप से हरिद्वार जिले के रोशनाबाद की है, लेकिन यहां पर्याप्त सुविधाएं न मिलने से वह उत्तर प्रदेश से खेल रही हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड में ओलंपिक पदक विजेता के स्वर्ण पदक जीतने पर पुरस्कार की धनराशि मात्र डेढ़ करोड़ है। जबकि अन्य प्रदेश इससे कई अधिक धनराशि पुरस्कार के रूप में दे रहे हैं। 1956 का ओलम्पिक ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में हुआ. भारतीय टीम की कमान बलबीर सिंह सीनियर के हाथों में थी. ग्रुप मैच के दौरान 28 नवंबर 1956 को भारत का मुकाबला अमेरिका से था. अमेरिका के खिलाफ खेले गये इस मैच में कप्तान बलबीर सिंह घायल हो गये तब मैदान में जलवा बिखरने की बारी थी 27 वर्षीय हरदयाल सिंह की. भारत यह मुकाबला 16-0 जीता जिसमें 5 गोल अकेले हरदयाल सिंह के थे.  1956 के इस ओलम्पिक में फाइनल में भारत की भिड़ंत पाकिस्तान के साथ थी. भारत ने पाकिस्तान को  1-0 से हरा कर ओलंपिक में अपनी छठी जीत दर्ज की. हरदयाल सिंह ने अपने ओलम्पिक करियर में 19 गोल मारे थे. देहरादून में जन्मे हरदयाल सिंह हॉकी खेलने से पहले कुछ समय तक भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून में काम करते थे. अपने एक जानने वाले के कहने पर हरदयाल सिंह भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट में शामिल हो गए. 1949 में हरदयाल सिंह सिख रेजीमेंट में स्पोर्ट्स कोटे के तहत भर्ती गो गये. बाद में उन्हें सिख रेजीमेंट हॉकी टीम में कोच कम मैनेजर का पद भी दिया गया. हरदयाल सिंह 1985 में एशिया कप खेलने गई भारतीय हॉकी टीम के मुख्य कोच रहे थे. 1969 में भारतीय सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हुए थे.रिटायरमेंट लेने के बाद हरदयाल सिंह 1983 से 1987 तक भारतीय हॉकी टीम के कोच रहे. 2004 में हॉकी में विशेष योगदान के लिए उन्हें ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया. ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिलाने वाले इस खिलाड़ी का जीवन अंत में मुफलिसी में बीता. राजधानी में रहने के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने उनकी कभी कोई सुध नहीं ली. 2015 पंजाब सरकार ने उनकी दो लाख रूपये की मदद की जिससे उन्होंने अपने अस्पताल के बिलों का भुगतान किया. मुख्यमंत्री ने हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का स्मरण करते हुए खेल दिवस की बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस प्रकार की नई खेल नीति लाएगी, जिसमें खिलाड़ियों को तैयारी के लिए संसाधनों की कमी न रहे। राज्य सरकार की कोशिश है कि खिलाड़ियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए। अभावों के कारण खेल प्रतिभा दबी न रहे। आगे बढने के पूरे अवसर मिलें। राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सुबह के समय उत्तराखंड के कई स्थानों पर क्रास कंट्री दौड़ का आयोजन किया गया। राजधानी देहरादून में गांधी पार्क से आयोजित इस दौड़ की शुभारंभ सीएम पुष्कर सिंह धामी ने झंडी दिखाकर किया। खुद जॉगिंग करते हुए इसमें प्रतिभाग किया। साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि उत्तराखंड में राज्य सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने वाली नई खेल नीति लाएगी।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क से ‘नीरज चोपड़ा ग्लोरी क्रास कंट्री रन’ का फ्लैग ऑफ किया। इसका आयोजन राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर खेल विभाग उत्तराखंड और उत्तराखण्ड एथलेटिक्स संघ की ओर से किया गया। मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की है। इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार राज्य में जल्द ही एक नई खेल नीति का ऐलान भी करेगी। उत्तराखंड में एक नई एवं आकर्षक खेल नीति लागू की जाएगी। इस नीति में विशेष रूप से हमारे युवाओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिभा का विकास करने हेतु उचित आर्थिक प्रोत्साहन का प्रावधान होगा। हमारा प्रयास होगा कि प्रदेश के कोने कोने में वंदना जैसी प्रतिभा के द्वीप प्रज्ज्वलित हों!