उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड हस्तांतरित राज्य/ विकास प्राधिकरणों के कार्मिकों को पेंशन लाभ दे सरकार – नेगी
कैलाश जोशी (अकेला)
उत्तर प्रदेश के राज्य विकास प्राधिकरण में है पेंशन व्यवस्था लागू |
उच्च न्यायालय के निर्देश से अनुमन्य है पेंशन सुविधा
सुप्रीम कोर्ट भी पेंशन को कार्मिकों का हक है मानता |
विकासनगर- जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि हाल ही में सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की नियमावली के तहत भर्ती हुए कार्मिकों को पेंशन आदि लाभ देने की बात कैबिनेट में रखी, जोकि सराहनीय कदम है, लेकिन इसके साथ सरकार को उत्तर प्रदेश के राज्य, विकास प्राधिकरणों में अपनी वर्षों की सेवा देने के उपरांत उत्तराखंड राज्य में हस्तांतरित हुए कार्मिकों को भी पेंशन सुविधा अनुमन्य करनी चाहिए, जैसा कि इस मामले में कई बार पत्रावली उच्च स्तर पर गतिमान रही, लेकिन कार्मिकों को कोई लाभ नहीं मिल पाया |
नेगी ने कहा कि राज्य विकास प्राधिकरणों के मामले में मा. उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश ने वर्ष 20/11/10 में प्राधिकरणों के समस्त कार्मिकों को पेंशन आदि लाभ दिए जाने के निर्देश दिए थे, जिसके क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार शासनादेश दिनांक22/12/11 के द्वारा सभी कार्मिकों को पेंशन सुविधा दी जा रही है, लेकिन उत्तराखंड राज्य में इन कार्मिकों को कोई सुविधा नहीं है |
जहां तक वित्तीय बोझ का सवाल है ये प्राधिकरण लाभ कमाने वाले संस्थान हैं तथा सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा तथा इसके साथ-साथ इन कार्मिकों की संख्या भी मुट्ठी भर है | नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि विधायकों/ सांसदों को पद की शपथ लेते ही मृत्यु होने/ त्यागपत्र देने पर आजीवन पेंशन दिए जाने की व्यवस्था है, लेकिन कार्मिकों की 30- 35 साल की सेवा के उपरांत भी पेंशन न मिलना बहुत कष्टकारी ही है| मोर्चा सरकार से मांग करता है कि उत्तर प्रदेश राज्य/ विकास प्राधिकरणों की भांति उत्तराखंड राज्य में हस्तांतरित होकर आए प्राधिकरणों के कार्मिकों को सेवानिवृत्ति उपरांत पेंशन आदि लाभ प्रदान करे |