चुनाव आयोग रखेगी इंटरनेट मीडिया पर नजर 

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चुनाव आयोग रखेगी इंटरनेट मीडिया पर नजर 

 डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

चुनावी बिगुल बजने से पहले ही 16 तक चुनावी रैलियों पर आयोग ने प्रति‍बंध लगा दिए हैं। जिसके बाद राजनीतिक पार्टियों के सामने प्रचार-प्रसार की चुनौती खड़ी हो गई है। कोविड गाइडलाइन के तहत कोई भी रैली, रोड शो और पदयात्रा नहीं निकाल सकेगा। इसलिए अपनी बातें लोगों तक पहुंचाने के लिए अब राजनीति दलों के नेता इंटरनेट मीडिया पर काफी सक्रिय रहेंगे। इसके लिए बकायदा पार्टियां आइटी टीम को तैयार कर चुकी हैं। फेसबुक पेज के जरिये पार्टी के नेताओं को लाइव स्ट्रीमिंग से लेकर इनके पक्ष में माहौल बनाने के लिए वीडियो तैयार किए जा रहे हैं। हालांकि इंटरनेट मीडिया पर डाले जाने वाले कंटेंट पर चुनाव आयोग की पूरी नजर बनी रहेगी।आचार संहिता प्रभावी होने के साथ चुनावी बिगुल बज चुका है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चुनावी सभाएं प्रतिबंधित हैं। ऐसे में वोटरों तक बात पहुंचाने और उन्हें लुभाने का विकल्प इंटरनेट मीडिया बचता है। युवाओं में खासा लोकप्रिय इंटरनेट मीडिया उन्हें लुभाने का हथियार बनेगा। उत्तराखंड में 50 प्रतिशत से अधिक मतदाता युवा हैं। ऐसे में इंटरनेट मीडिया पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता दिलचस्प होने वाली है।उत्तराखंड में 81.43 लाख मतदाता हैं। इनमें 41 लाख से अधिक मतदाताओं की उम्र 40 वर्ष से कम है। 18 से 19 वर्ष के 1.58 लाख मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार वोट करेंगे। प्रदेश में 40 से 59 वर्ष के मतदाताओं की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत के करीब है। राज्य में बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या 13 लाख से कम है। हिस्सेदारी के लिहाज से यह कुल वोटरों का 15.8 प्रतिशत होते हैं। जाहिर है ऐसे में राजनीतिक दलों का फोकस युवाओं पर अधिक रहेगा। भाजपा, कांग्रेस व आप इंटरनेट मीडिया पर खूब सक्रिय हैं। चुनावी बेला में लोकप्रियता के साथ सक्रियता बढ़ाने के लिए पार्टियों के आइटी सेल की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। इंटरनेट मीडिया पर प्रचार के तौर-तरीकों व चुनावी खर्च की निगरानी के लिए निर्वाचन आयोग ने सेल गठित की है। प्रत्येक जिले में ऐसी समितियां प्रभावी हो गई हैं। इंटरनेट मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने, सांप्रदायिकता फैलाने जैसे पोस्ट की कड़ाई से निगरानी होगी। कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गाइडलाइन्स रिवाइज़ की गईं और राजनीतिक रैलियों पर 16 जनवरी तक के लिए फ़िलहाल प्रतिबंध लगाया गया, वैसे ही पार्टियों की ऑनलाइन सक्रियता बढ़ती हुई देखी जा रही है. कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के प्रसार के खतरे को देखते हुए सभी प्रमुख पार्टियां अपने सोशल मीडिया पर एकाएक एक्टिव नज़र हैं. राज्य के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो भाजपा और कांग्रेस राज्य में दो-दो बार सरकार बना चुके हैं। राज्य गठन के बाद भाजपा ने अंतरिम सरकार बनाई। इसके बाद वर्ष 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई। 2007 में कांग्रेस के हाथों से सत्ता फिसली और भाजपा ने सरकार बनाई। 2012 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। कोविड के समय में चुनाव संपन्न करवाना वाकई काफी चुनौतीपूर्ण है,​​ जिसके लिए चुनाव आयोग ने पिछले कुछ महीनों में बड़ी तैयारी की है. इसके साथ ही, चुनाव आयोग ने पांचों राज्यों के वोटरों के आंकड़े देने के दौरान बताया कि महिला वोटरों की संख्या उत्तराखंड समेत इन सभी राज्यों में बढ़ी है. सभी पोलिंग बूथों पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. उत्तराखंड में हर 692 वोटरों पर एक पोलिंग स्टेशन होगा. पांचों राज्यों में 1000 से कम आबादी पर एक पोलिंग बूथ होगा. उत्तराखंड में चुनाव प्रचार पर उम्मीदवार के खर्च की सीमा को बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दिया गया है. चुनाव आयोग ने संबंधित अधिकारियों और सिस्टम को निर्देश दिए हैं कि चुनाव के समय पैसे, शराब और ड्रग्स समेत किसी भी तरह की गैर कानूनी सामग्री वितरण न हो. राजनीतिक पार्टियों के लिए सुविधा एप आयोग ने डेवलप किया है, तो लोगों की सुविधा और शिकायतों के लिए सीविजिल एप. पार्टी के तरफ से संभावित उम्मीदवार लगातार इंटरनेट मीडिया पर एक्टिव हैं। वहीं, नेता स्थानीय नेताओं के लिए प्रोफेशनल आइटी टीम के तौर पर काम कर रहे हैं। आप पार्टी की तरफ से इंटरनेट मीडिया के लिए सोशल मीडिया वार रूम भी बनाया गया है, जिसमें स्थानीय उम्मीदवार से लेकर प्रदेश स्तर पर नेताओं की ब्राडिंग का काम किया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नेताओं की सक्रियता बढऩे लग गई है। फेसबुक का लाइव फीचर चुनाव प्रचार का महत्वपूर्ण माध्यम बनकर उभरा है। इसके जरिये तीनों पार्टियों के आला नेता विभिन्न विधानसभाओं में अपने कार्यकर्ताओं से जुड़ेंगे। राजनीतिक दल और बड़े नेता अपने फैंस क्लब सोशल मीडिया में चला रहे हैं। निर्वाचन आयोग हैशटैग की पहचान कर उस पर निगाह रखेगा। हैशटैग ट्रेंडिंग पर निगाह रखते हुए उन हैशटैग वाले ट्वीट्स, यूट्यूब वीडियो, व्हाट्सएप, फेसबुक, कू, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम सहित अन्य सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए विज्ञापन करने वाले उम्मीदवार/पार्टी पर ये सेल निगरानी रखेंगे। इंटरनेट मीडिया पर लोकप्रिय चेहरों में सीएम, पूर्व सीएम हरीश रावत, त्रिवेंद्र रावत प्रमुख नाम हैं। फेसबुक पर 22.41 लाख फालोअर के साथ धामी सबसे आगे हैं। ट्विटर पर हरदा की लोकप्रियता सबसे अधिक है।