विधायक से सीधे नाता रखता है गांव फिर भी बेहाल
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
पहाड़ पर आज भी मूलभूत सुविधाओं का काफी अभाव है। जनप्रतिनिधि चुनावी मौसम में विकास के वादे तो करते हैं पर वे हकीकत में कितना उतरते हैं सभी को पता ही है। चुनाव जीतने के बाद जनता से किए गए वादे असल धरातल पर नहीं उतर पाते देवीधुरा-बसानी मोटर मार्ग ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहा है।मार्ग स्वीकृति के बाद सरकार के दस साल के कार्यकाल के बाद भी ग्रामीण पक्की सड़क से महरूम है। सड़क के अभाव में कई परिवार पलायन कर चुके है तो निवासरत परिवारो को बारिश में कीचड़ भरी सड़क से गुजरना पड़ता है। मंत्री की ससुराल और पूर्व विधायक का ननिहाल होने के बाद भी सड़क और क्षेत्र की बदहाली नेताओं की इच्छाशक्ति और कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़े कर रही है।पहाड़ पर आज भी मूलभूत सुविधाओं का काफी अभाव है। जनप्रतिनिधि चुनावी मौसम में विकास के वादे तो करते हैं पर वे हकीकत में कितना उतरते हैं सभी को पता ही है। चुनाव जीतने के बाद जनता से किए गए वादे असल धरातल पर नहीं उतर पाते देवीधुरा-बसानी मोटर मार्ग ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहा है। मार्ग स्वीकृति के बाद कांग्रेस और भाजपा सरकार के दस साल के कार्यकाल के बाद भी ग्रामीण पक्की सड़क से महरूम है। सड़क के अभाव में कई परिवार पलायन कर चुके है तो निवासरत परिवारो को बारिश में कीचड़ भरी सड़क से गुजरना पड़ता है। मंत्री की ससुराल और पूर्व विधायक का ननिहाल होने के बाद भी सड़क और क्षेत्र की बदहाली नेताओं की इच्छाशक्ति और कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़े कर रही है। देवीधुरा से बसानी 32 किमी मोयरमार्ग को 2012 में स्वीकृति मिली थी। स्वीकृति के बाद पहले फेज में पटुवाडांगर से बोहरागाव तक 12 किमी सड़क कटिंग का कार्य शुरू किया गया। मगर अनुबंधित ठेकेदार ने काम आधे में ही छोड़ दिया। मामला न्यायालय तक पहुँचा तो छह साल कार्य अधर में लटका रहा। 2018 में विभाग ने नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया निपटा कर कार्य शुरू करवाया। मगर तीन साल गुजर जाने के बाद भी सड़क में डामरीकरण नहीं हो पाया है। 2018 में पहले फेज में सोलिंग कार्य के साथ ही बोहरागाव तक सड़क कटिंग का कार्य भी शुरू कर दिया गया। जिसमें सड़क किनारे सुरक्षा दीवार, पुल निर्माण और सोलिंग व डामरीकरण होना था। मगर विभागीय सुस्ती के चलते अब तक सड़क नहीं बन सकी है। देवीधुरा गांव से पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व का गहरा नाता होना भी सड़क की दशा नहीं सुधार पाया। पूर्व कैबिनेट मंत्री की देवीधुरा में ससुराल होने के बावजूद ग्रामीण पक्की सड़क से महरूम है। ग्रामीणों का कहना है कि जब जनप्रतिनिधियों के खास गांव का यह हाल है तो अन्य गावों के विकास की क्या कल्पना की जा सकती है। पहाड़ पर आज भी मूलभूत सुविधाओं का काफी अभाव है। जनप्रतिनिधि चुनावी मौसम में विकास के वादे तो करते हैं पर वे हकीकत में कितना उतरते हैं सभी को पता ही है। चुनाव जीतने के बाद जनता से किए गए वादे असल धरातल पर नहीं उतर पाते है।