विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल उद्योग जगत का साथ पाने को बेताब

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विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल उद्योग जगत का साथ पाने को बेताब

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड के विकास में उद्योग अहम भूमिका निभाते हैं। चुनाव में भी हर राजनीति दल उद्योगपतियों से सहयोग की अपेक्षा करता है और इन्हें अपने साथ लेकर आगे बढ़ना चाहता है। यही कारण है कि राज्य में किसी की भी सरकार हो, उद्योग जगत चुनाव में हमेशा एक बड़े दबाव समूह के रूप में काम करता है।उत्तराखंड में इस समय लगभग 330 बड़े और 68888 सूक्ष्म, लघु मध्यम उद्योग हैं। इनमें कार्यरत कार्मिकों की संख्या 4.66 लाख से अधिक है। ये सभी उद्योग राज्य में 52 हजार करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश कर रहे हैं। यह पूंजी निवेश प्रदेश के विकास में सहायक बन रहा है। साथ ही उद्योग रोजगार की समस्या को दूर करने में भी सहयोग कर रहे हैं। इसीलिए प्रदेश सरकारें उद्योगपतियों को पूरा सम्मान देती हैं। ये औद्योगिक समूह मतदाताओं के मत व्यवहार को भी सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। वैसे तो मतदाता अपना मत देने के लिए स्वतंत्र होता है और उस पर कोई दबाव नहीं डाला जा सकता, बावजूद इसके कहीं न कहीं इन औद्योगिक समूह का राजनीतिक विशेष दल से जुड़ाव श्रमिकों के मत व्यवहार को प्रभावित करता है। इसके अलावा चुनाव के दौरान पार्टियों को आर्थिक सहायता की भी जरूरत पड़ती है। राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक कई औद्योगिक समूह इन दलों को आर्थिक सहयोग भी करते हैं। हालांकि, यह सब स्वैच्छिक और आपसी संबंधों के आधार पर होता है। ऐसे में साफ है कि राजनीतिक दल कहीं न कहीं इनके दबाव में भी रहते हैं। उद्योग जगत खुद भी राजनीति पर करीब से नजर रखता है। कारण यह कि वह भी ऐसी सरकार चाहता है जो उद्योगों को बढ़ावा दे और उन्हें आगे बढ़ने में मदद दे। दलों की रीतिनीति को देख कर ही ये आगे कदम बढ़ाते हैं।