आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
साल 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की गई थी। इसके दो साल बाद साल 1950 में विश्व स्वास्थ्य दिवस को मनाने का निर्णय लिया गया। इस दिन को विश्व स्तर पर मनाने की पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की। ऐसे में स्वास्थ्य दिवस को मनाने की शुरुआत हुई।दुनिया भर के सभी देशों में समान स्वास्थ्य सुविधाओं को फैलाने के लिए लोगों को जागरूक करना, स्वास्थ्य संबंधी मामलों से जुड़े मिथकों को दूर करना और वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर विचार करना और उन विचारों पर काम करना स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य है। इस दिन स्वास्थ्य सेवाओं, सुविधाओं और देखभाल संबंधी विषयों पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।इस साल विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 की थीम ‘हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य है। इस साल की थीम का उद्देश्य हमारे ग्रह पर रहने वाले हर मनुष्य के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है। भारत विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर ‘योग अमृत महोत्सव’ मना रहा है, जिसे आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य दिवस 2021 की थीम ‘एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण’ था। मौजूदा सामाजिक परिवेश स्वास्थ्य के लिहाज से कई मायनों में चुनौतियां खड़ी कर रहा है। विशेषकर कोरोना महामारी के बाद से शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह की सेहत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव देखा गया है। कोरोना के कई वैरिएंट्स ने जहां लोगों के लिए गंभीर जटिलताएं पैदा कीं, वहीं समाज में बनी असामान्य स्थितियों का मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर देखने को मिला। अस्पतालों में इलाज के लिए लगी लंबी लाइनों और भागादौड़ी के बीच क्या आपके दिमाग में कभी यह ख्याल आता है कि जो डॉक्टर्स, आपका इलाज कर रहे हैं वे कितने स्वस्थ हैं? यह सवाल इसलिए आवश्यक है क्योंकि सामान्यतौर पर हमें अपनी परेशानी के आगे कुछ दिखाई नहीं देता है और इसी के साथ यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि अगर डॉक्टर्स ही स्वस्थ नहीं हैं तो वह हमारा इलाज किन परिस्थितियों में कर रहे हैं? आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है, सेहत के प्रति लोगों को जागरूक करने का खास दिन। पर इस बार हम उनके स्वास्थ्य की बात करेंगे जिनके पास हम खुद को स्वस्थ रखने की अतिउम्मीद लेकर पहुंचते हैं- हमारे डॉक्टर्स।डॉक्टर्स कितने स्वस्थ हैं? यह सुनने में अटपटा सा रहा होगा, पर मौजूदा हकीकत इस सवाल को ‘आवश्यक सवाल’ के तौर पर पूछने को विवश करती है। सदियों से चली आ रही एक रूढ़िवादी सोच- ‘डॉक्टर्स भगवान होते हैं’ ने संभवत: अनायास भी हमारे दिमाग में इस सवाल को आने ही नहीं दिया, क्योंकि भगवान तो कभी अस्वस्थ हो ही नहीं सकते। पर आंकड़े निश्चित ही इससे उलट और परेशान करने वाले हैं, जो इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि हमें डॉक्टर्स को पहले इंसान और फिर ‘धरती का भगवान’ मानना होगा।आईएमए का सर्वे मौजूदा सामाजिक स्थिति पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि तनावपूर्ण स्थिति में आपकी उत्पादकता कम हो जाती है, ऐसे में डॉक्टर्स के लिए तनाव और अवसाद जैसी स्थिति पैदा कर, स्वस्थ समाज की कल्पना करना बेमानी ही होगी। चिकित्सक और मरीज दोनों को इस बात को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है, दोनों को रूढ़िवादी काल्पनिक मायाजाल से निकलने की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 पर हमें ”स्वस्थ डॉक्टर-स्वस्थ समाज” विषय पर गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि ऐसी परिस्थितियां न पैदा होने पाएं जिसका परिणाम आत्महत्या जैसा दुखद हो, न ही ऐसी स्थितियां आएं जिससे मरीज और डॉक्टर के बीच अविश्वास उत्पन्न हो। रोगियों के लिए दवा और दुआ दोनों आवश्यक है, इस संतुलन से बेवजह छेड़छाड़ क्यों करना? दो साल से कोविड-19 महामारी से जूझते रहने के बाद भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी जगह सामान्य सेहत पर जोर देने को प्राथमिकता दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सवाल पूछे हैं कि क्या हम सभी के लिए साफ हवा, पानी और भोजन उपलब्ध होने वालेविश्व की फिर से कल्पना करने में सक्षम हैं? क्या सभी अर्थ व्यवस्थाएं सेहत और बेहतर होने पर ध्यान दे रह हैं. क्या शहर रहने लायक हैं और लोगों का उनकी सेहत के साथ हमारे ग्रह की सेहत पर नियंत्रण है? ये सवाल हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम अपनी नीतियों में कितने सही हैं. इतना ही नहीं प्रदूषण और प्लास्टिक महासागरों की गहराइयों से लेकर पर्वतों की ऊंचाइयों तक पहुंच गए हैं और अब हमारी खाद्य शृंखलाओं का हिस्सा बन चुके हैं. प्रसंस्कृत भोजन, पेय पदार्थ और अन्य गैर सेहतमंद भोजन के तंत्र जिनकी की वजह से मोटापा, कैंसर,दिल की बीमारियां, डाबिटीज जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, एक तिहाई वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण पर सरकार का विशेष ध्यान है। सुदूर गांवों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। सुदूर गांवों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षो के अन्तराल में कोरोना महामारी से पूरी मानवता पीड़ित रही है। यद्यपि अब कोरोना का प्रभाव काफी कम हो गया है किन्तु अभी पूर्ण रूप से समाप्त नही हुआ है। कोरोना काल में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के व्यापक प्रयास का प्रभाव धरातल पर दिखाई है। जब उत्तराखंड के लोग अपना रजत जयंती वर्ष मनाएं तो ये प्रदेश सबसे खुशहाल प्रदेश कहलाए। ये चुनौती है, जिसे हर राज्यवासी को स्वीकार करना होगा और इस ओर जुट जाना चाहिये। आज ही के दिन सन 2000 में यूपी से पहाड़ी क्षेत्रों को अलग कर उसमें तराई के उधमसिंह नगर और हरिद्वार को शामिल करते हए उत्तरांचल राज्य की स्थापना केंद्र की अटल सरकार ने की थी। उस दौरान पहाड़ी राज्य की उम्मीदें और समस्याएं भी पहाड़ जैसी है।