कैलाश जोशी
देहरादून। समाजसेविका व राज्य निर्माण आन्दोलनकारी भावना पाण्डे उत्तराखण्ड में राज्य गठन के बाद से आई सरकारों की कार्यशैली से काफी आहत है। उनका कहना है कि जिन उद्देश्यों को लेकर उत्तराखण्ड राज्य की कल्पना की गयी थी। उन सभी अवधाराणों को प्रदेश में आई अब तक की सभी सरकारों ने चकनाचूर करने का काम किया है। जिसके चलते प्रदेशभर में हताशा और निराशा का माहोल है। उन्होंने कहा कि उनसे प्रदेशवासियों की हालत देखी नही जाती और वे शीघ्र प्रदेशवासियों के अधिकारों के लिए आन्दोलन छेड़ेगी। उनका आन्दोलन तक तक जारी रहेगा जब तक प्रदेश के दूर दराज के इलाकों को विकास की धारा से नही जोड़ा जाता।
समाजसेविका भावना पाण्डे लगातार गरीबों असहाय लोगों की लगातार मदद करती आ रही है। उनका कहना है कि जिस दिन प्रदेश के दूर दराज के इलाकों को किसी भी सरकार ने विकास की धारा से जोड दिया। उस दिन समझ लेना उत्तराखण्ड का विकास हो गया। उन्होंने कहा कि राज्य गठन से लेकर अब तक तीन जिलों में सरकार लगातार विकास का खाका खींच रही है। अन्य नौ जिले आज भी विकास की राह तक रहे है। जहां न तो अस्पताल है और न डाक्टर। रोजगार तो दूर की बात सरकार की कोई योजना इन नौ जिलों के हालत सुधारने वाली नही बनी है। जिसका उन्हे आज तक मलाल है। एक संक्षिप्त मुलाकात में समाजसेविका भावना पाण्डे ने कहा कि राज्य निर्माण आन्दोलन में महिलाओं की प्रमुख रूप से भागेदारी रही है। क्योंकि पहाड़ों में रोजगार न होने के कारण युवाओं को पलायन करना पड़ता था। यह समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। खेतीबाड़ी चारापत्ती से लेकर घर की आर्थिक स्थिति सुधारने में उत्तराखण्ड की महिलाएं बढ़चढ कर हिस्सा लेती है। किन्तु यहां आई सरकारों ने महिलाओं के लिए किसी भी तरह की अलग से न तो योजना बनाई और न ही महिलाओं को राजनिति में उभरने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि एक समय अलग निर्माण के लिए आन्दोलन किया था। किन्तु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब प्रदेश की जनता को अपने अधिकारों के लिए भी सघर्ष करना होगा। उसकी शुरूआत वे शीघ्र करेंगी और तबतक चैन से नही वे बैठेंगी जब तक प्रदेश के दूर दराज के इलाके खुशहाली के चरम तक नही पहंुच जाते।