‘गोल्डन फर्न’ से फूलों की घाटी के अस्तित्व को खतरा

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गोल्डन फर्नसे फूलों की घाटी के अस्तित्व को खतरा

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

चमोली जनपद में नैसर्गिक सौंदर्य से भरी फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजातियों के फूल खिलते हैं। यूनेस्को ने वर्ष 1982 में इस घाटी को विश्व धरोहर घोषित किया था। फूलों की घाटी 87.50किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में फैली हुई है।घाटी से पॉलीगोनम को खत्म करने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन लाखों रुपपये खर्च कर चुका है। लेकिन अब घाटी में गोल्डन फर्न नई मुसीबत बन गया है। घाटी के कई हिस्सों में गोल्डन फर्न की पैदावार साल दर साल बढ़ रही है। नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व के निदेशक ने बताया कि खूबसूरत फूलों की घाटी में गोल्डन फर्न का दायरा बढ़ रहा है। पुष्पावती नदी के किनारे, मेरी की कब्र, बामण धौड़ से लेकर पिकनिक स्पॉट तक घाटी में गोल्डन फर्न फैल गया है। गोल्डन फर्न का पौधा करीब आधा मीटर का होता है। इसके पत्ते चौड़े और हल्के पीले रंग के होते हैं। यह अपने इर्द-गिर्द फूलों को पनपने नहीं देता। घांघरिया से करीब दो किलोमीटर की दूरी से ही गोल्डन फर्न की पैदावार शुरू हो जाती है पिछले वर्ष घाटी में गोल्डन फर्न की पेदावार कम थी, लेकिन इस बार चारों ओर दूर-दूर तक गोल्डन फर्न ही नजर आ रहा है। फूलों की घाटी में पोलिगोनम की समस्या अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि गोल्डन फर्न ने वन विभाग के अधिकारियों की चिंता को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. घाटी में दूर-दूर तक गोल्डन फर्न का पौधा फैल गया है. इससे घाटी में दूसरे फूलों के पौधों को खतरा पैदा होने की बात कही जा रही हैजिस फूलों की घाटी के दीदार के लिए हजारों की तादाद में सैलानी आते हैं वहां अब एक नए पौधे का कब्जा हो रहा है।पाॅलीगोनम के बाद गोल्डन फर्न ने फूलों की घाटी में अपना दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसकी वजह से वहां नए फूलों की प्रजातियां पैदा नहीं हो पा रहीं हैं। हालांकि पार्क प्रशासन ने इसे उखाड़ फेंकने का काम शुरू कर दिया है। पाॅलीगोनम को जड़ से उखाड़ने के लिए पार्क की ओर से करीब 5 लाख रुपये सालाना खर्च कर रहा है। जोशीमठ नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ ने बताया कि फूलों की घाटी में गोल्डन फर्न चिंताएं बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्क प्रशासन का ध्यान फिलहाल घाटी से पॉलीगोनम के उन्मूलन पर है। घाटी में गोल्डन फर्न के सर्वेक्षण के बाद जल्द ही इसके उन्मूलन के लिए भी प्रपोजल तैयार किया जाएगा। पुष्पावती नदी जो कि फूलों की घाटी से बीचों-बीच बहने वाली नदी है उसके किनारे भी पहले रंग-बिरंगे फूल खिलते थे मगर अब वहां पर भी तेजी से गोल्डन फर्न फैल रहा है जिस वजह से घाटी प्रशासन चिंता में आ रखा है और घाटी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इससे पहले पॉलीगोनम घाटी के लिए मुसीबत बन गया था और उसको खत्म करने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन अब तक कई लाख रुपए खर्च कर चुका है। यह मुसीबत टली नहीं थी कि अब घाटी में गोल्डन फर्न नामक नई मुसीबत आ गई है और यह घाटी के कई हिस्सों में साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। नंदा देवी के बायोस्फीयर रिसर्च के निदेशक का कहना है कि खूबसूरत फूलों की घाटी में गोल्डन फर्न का बढ़ना चिंता का विषय है और इसके लिए योजना बनाई जा रही है। यह अपने आसपास फूलों को उगने नहीं देता। पिछले वर्ष तक इसकी पैदावार कम थी मगर इस बार चारों ओर दूर-दूर तक फैला हुआ है और अब इसके उन्मूलन के लिए प्रस्ताव नहीं है. नंदादेवी वन सरंक्षण के अधिकारियों की माने तो इस पौधे को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है और जल्द ही इस पौध से घाटी को निजात दिलायी जायेगी। लेकिन अब घाटी में गोल्डन फर्न नई मुसीबत बन गया है। घाटी के कई हिस्सों में गोल्डन फर्न की पैदावार साल दर साल बढ़ रही है।इससे घाटी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।